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मिलो कभी चाय पर, फिर क़िस्से बुनेंगे,तुम ख़ामोशी से कहना, हम चुपके सुनेंगे. खाना तलाशते कचरे मेंजाहिर मज़बूरी करते हैं,मैं…

  करम बंधन में बन्ध रहियो फल की ना तज्जियो आस कर्म मानुष का धर्म है संत भाखै रविदास.   गुरु…

पागलपन और जुनून तो आज भी वही हैं बस उसके भाई को देखकर सब ठीक हो जाता हैं। जब तक…