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दिलजलो की महेफिल मे, दिलवालो की महेमाननवाज़ी नहीं होती।
राख को मत कुरेदो, अंदर शोले भड़के हैं, इश्क़ में दिलजलों का, यही अंज़ाम होता है।
अहसास तुमने ना किया, और दिलजले हम रह गए, अहसास तुमने होने ना दिया बेवजह कसुरबार हम बन गए।
दिल लगा कर देखो ज़रा दीवानगी क्या होती है, भला दिलजले क्या जानेंगे के दिल्लगी क्या होती है।
अज़ीब शर्त रखी थी उस दिलजले ने, इश्क़ कर मुझसे और मुझे कुबूल भी कर।
यारो प्यार जताना क्या छोड़ दिया, लोग दिलजले कहने लगे।
एक अदद इश्क भी जरूरी है जिंदगी में, वरना महफ़िल कैसे लगेगी दिलजलों की।
आजकल इश्क के कुछ ऐसे सिलसिले हो गए, एक नहीं बल्कि सब के सब दिलजले हो गए।
रात हो गयी है सारा शहर सो रहा है, एक दिलजला देखो छुपकर रो रहा है।
हमें बेकरार ना कर यूं सामने रह कर, हम दिलजले हैं मर जाएंगे दर्द सह कर।
यूँही दिलजले से बने रहते हो हर पल, फ़िर कहते हो ज़माना बुरा है।
हम दिलजलें है ज़नाब रातों को सोतें नहीं रोतें है हम।
तुम्हारी महफ़िल में सिर्फ दिलजले बैठे है, दिल जलाने के सिवा तुम्हे आता क्या है।
जो ये उठ रहा है बार बार उस तरफ से धुआं, हो न हो जरूर है कोई दिलजला ही बैठा वहाँ।
हर सुलगती आग से धुआँ नहीं निकला करता, यकीन ना हो तो दिलजलों से पूछ लो।
कड़वा कह कर तौहीन न करिए शराब की, किसी दिलजले से पूछिए कितनी मिठास है।
हमें तो तुम दिलजले कहते हो, मोहब्बत में पागल कहते हो, तुम्हारे इश्क में हम दिवाने है, लेकिन तुम हमे बेगाना कहते हो।
आज दिलजले है इस क़दर तन्हा, जैसे ख़ुद से भी राब्ता टूटा।
शेर-ओ-आतिश भी कहा सबके बस काम है, अंजुमन का ये अदब भी दिलजलों के नाम है।
झूठ बोलते है लोग, शराब में नशा होता है, दिलजलों पर तो शराब भी बेअसर हो जाती है।
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