“Aukat” or “status” is often a central theme in many stories and narratives, as it can play a significant role in shaping characters’ relationships and decisions. Here’s a brief example of a story about “Aukat”:

Once upon a time, there lived a wealthy merchant named Raj. He was proud of his wealth and high social status, and often looked down upon those who were less fortunate. One day, he met a poor farmer named Mukesh, who lived a simple and content life. Despite his humble circumstances, Mukesh was full of joy and kindness, and he soon became friends with Raj.

Over time, Raj became envious of Mukesh’s contentment and began to question his own happiness. He realized that despite all his wealth and status, he was not truly happy, and that true happiness came from within. He learned to appreciate the value of humility and simplicity, and became a better person as a result.

In this story, “Aukat” or “status” was initially a source of pride for Raj, but he eventually learned that true happiness and fulfillment cannot be bought with money or status.

“औकात” या “स्थिति” अक्सर कई कहानियों और कथाओं में एक केंद्रीय विषय होता है, क्योंकि यह पात्रों के संबंधों और निर्णयों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यहाँ “औकात” के बारे में एक कहानी का एक संक्षिप्त उदाहरण दिया गया है:

एक समय की बात है, राज नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। उन्हें अपने धन और उच्च सामाजिक स्थिति पर गर्व था, और अक्सर वे उन लोगों को हेय दृष्टि से देखते थे जो कम भाग्यशाली थे। एक दिन उसकी मुलाकात मुकेश नाम के एक गरीब किसान से हुई, जो सादा और संतोषी जीवन व्यतीत करता था। अपनी विनम्र परिस्थितियों के बावजूद, मुकेश खुशी और दया से भरे हुए थे, और जल्द ही राज के साथ उनकी दोस्ती हो गई।

समय के साथ, राज को मुकेश की संतुष्टि से ईर्ष्या होने लगी और वह अपनी खुशी पर सवाल उठाने लगा। उसने महसूस किया कि उसकी सारी दौलत और हैसियत के बावजूद, वह वास्तव में खुश नहीं था, और वह सच्ची खुशी भीतर से आई थी। उन्होंने विनम्रता और सादगी के मूल्यों की सराहना करना सीखा और परिणामस्वरूप एक बेहतर इंसान बन गए।

इस कहानी में, “औकात” या “स्थिति” शुरू में राज के लिए गर्व का स्रोत थी, लेकिन अंततः उन्होंने सीखा कि सच्ची खुशी और तृप्ति पैसे या स्थिति से नहीं खरीदी जा सकती।

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Aukat Shayari in Hindi ॥ औकात शायरी

बिगड़ रहा हो वक़्त तो, न कोई हालात पूछता है, टकरा जाता है कोई अनजाने में, तो सबसे पहले औकात पूछता है।


दिखा दी है औकात, जिन्हें हम अपना मानते थे, वो ही निकले बेवफा, जिन्हें सबसे करीब मानते थे।


बात तो औकात की होती है जिंदगी में अक्सर कोई बता जाता है, कोई दिखा जाता है।


बहुत कोशिशें की थीं, उसने खुद को बदलने की, मौका मिलने पर जो आज, अपनी औकात दिखा गया।


सिलसिला न रुका खुशियों का कि वो हमारी खुशियों की सौगात थी, कैसे आ जाता कोई गम जिंदगी में उसके आगे ग़मों की क्या औकात थी।


दर्द दिल में और मन में जज़्बात लेकर घूमते हैं, इन्सान हैं हम इंसानियत की औकात लेकर घूमते हैं।


बदल गयी है जिंदगी किसी की किसी के दिन और किसी की रात बदल गयी है, अब वो लहजा कहाँ है उसके अल्फाजों में देखो आज किसी की औकात बदल गयी है।


औकात का पैमाना भी आजकल पैसा हो गया है यारों, बिक चुका है ये भी कुछ रईसदारों के हाथ।


बुरे वक़्त के साथ जो मैंने अपनी मुलाकात देख ली, किसी की सच्चाई और किसी की औकात देख ली।


सफलता की फसल सींचने को मेहनत की बरसात बनानी पड़ती है, झुक के सलाम करती है ये दुनिया पहले बस औकात बनानी पड़ती है।


जिन्हें हमने अपना समझा वो आज गैरों में हैं, हमें दिखाते थे जो औकात वो आज किसी और के पैरों में हैं।


खुद के बारे में वो बताते हैं जिनसे लोग अनजान है पता लग ही जाता है  हर इन्सान की औकात का, कारनामे तुम्हारे खुद तुम्हारी पहचान हैं।


घूम फिर कर हर शख्स उसी बात पर आ जाता है, मतलब निकल जाए तो अपनी औकात दिखा जाता है।


कभी-कभी जमीन पर गिरना भी जरूरी है दोस्तों, ऊंचीं उड़ाने अक्सर इन्सान को उसकी औकात भुला देती है।


लोग बातों ही बातों में हालात पूछ लेते हैं, कितना कमा लेते हो कहकर, औकात पूछ लेते हैं।


शाखों से गिर कर टूट जाऊ, मै वो पत्ता नही आंधियो से कह दो कि अपनी औकात मे रहें


“मेरी औकात का तुम “अंदाजा” लगा सको, इतनी तो तुम्हारी “औकात” नहीं”


कामयाबी का जनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या औकात है


उसे कह दो ज्यादा औकात औकात न करे मैं अपनी औकात पे आया तो उसकी औकात लिख दूँगा


बेवजह ही नहीं होती आंखों से बरसात, दौलत ने पूछी होगी दिलवालों की औकात।


आदतें बुरी नहीं शौक ऊँचे हैं वरना किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं कि हम देखें और पूरा न हो


“औकात देखकर “जरूरते” भी सिमट जाती है, जेब में पैसा न हो तो “भूख” भी मिट जाती है”


जो लोग ऐसा सोचते है मैं उनसे दूर हो जाऊं वही साले औकात बताएंगे मुझे अपना अगर जरा सा मशहूर हो जाऊं


कुछ लोग इस तरह जीने का सलीका सिखाते है, औकात में रहूं इसीलिए औकात दिखाते है।


मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है


“शाखों से गिर कर “टूट” जाऊ, मै वो पत्ता नही, आंधियो से कह दो कि अपनी औकात मे रहें”


अकड़ तोड़नी है, उन मंजिलों की, जिनको अपनी ऊंचाई पर गरूर है..!!


अगर मुझसे हाथ मिलाना है, तो मुझे सहना सीख, वरना अपनी औकात में रहना सीख।


मालूम है मुझे मेरी औक़ात, हर बार क्यों दिखाते हो, छोड़ना है तो छोड़ ही जाओ न, यूँ हर बार क्यों सताते हो।


अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ जिनकी हमे छुने की औकात नहीं होती


औकात तो कुत्तों की होती है….. हमारी तो हैसियत है


तू हाथ ही लगा के देख लियो प्रधान फिर देख हम भी तेरी फ़िल्म ही बना देंगे


वो छोड़ के गए तो एक सबक सीखा गए, अबके कोई आये तो उसे औकात में रखा जाए।


वो मेरी न हुई तो ईसमेँ हैरत की कोई बात नहीँ क्योँकि शेर से दिल लगाये बकरी की ईतनी औकात नही


“औकात तो “कुत्तों” की होती है, हमारी तो “हैसियत” है”


दौलतसे औकातनापी जाएजहाँ, क्याइंसान कीकद्र होगीवहाँ।


बेटा तू जो कुत्ते की तरह भोकता है तुझे सच मे कुत्ता न बना दिया तो कहना


जो इन्तिकाम लेने उतरूँ मैं, तो अपनी कलम से तेरी औकात बता दूं।


वैसे तो पूरी दुनिया हमारी दीवानी है हाँ भूल गए है कुछ लोग औकात अपनी वक्त रहते उन्हें उनकी औकात याद दिलानी है


“बुरे वक्त की भी क्या बात होती है, वो भी सलाह देता है जिसकी कोई “औकात” नहीं होती है


मेरे‪ साथ रहना है, तो मुझे ‪सहना सिख, वरना अपनी औकात में रहना‎सिख…


कुछ सालों को लगता है उन्होंने अपनी औकात से मेरा मुँह बंद कर दिया अरे बात बस इतनी सी है तू मेरे से बात करने के लायक नही है


औकात तो उनकी मुंहलगाने की भी ना थी, हम तो उनसे दिल लगा बैठे थे।।


मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी


“नज़रों से “घमण्ड” का पर्दा भी हटाएगा, वक़्त ही तुझे तेरी “औक़ात” दिखाएगा”


औकात की बात वही करते है, जिनकी कोई औकात नहीं होती है.


फ्री फायर एक अच्छा गेम है माना पर उसमे कुछ अच्छी अपडेट आना बाकी है सुनो #PUBG सिर्फ नाम ही काफी है


औकात जो नाप रहे हो ज़ुबान की धार से, ज़रा ख़ुद में झाँक लो ज़मीर के दीदार से।


“अक्सर वही “लोग” उठाते हैं हम पर उँगलियाँ, जिनकी हमे “छूने” की औकात नहीं होती”


औकातका तोवक्त आनेपर पत्ताचलता है… रातको गिदड़कितना भीचिल्ला ले, सुबहतो शेरोका हीदबदबा होताहै..


अगर मैं तुम्हे अच्छा नही लगता तो भाड़ में जाओ मुझे घण्टा फर्क नही पड़ता


चाँद तारों पर पहुंचने का क्यों गुमां करता है तू ए इंसान, मत भूल कभी के दो मुठ्ठी रेत से ज्यादा तेरी औकात नहीं।


औकात दिखा देती है एक दिन मोहब्बत भी इसलिए खुद से ज्यादा चाहत किसी की मत रखना


“कुछ लोग इस तरह “जीने” का सलीका सिखाते है, औकात में रहूं इसीलिए “औकात” दिखाते है”


साथ बैठने कीऔकात नहींथी उसकी, जिसको मैंनेसर पर बिठा रखाथा


कोशिशे लाख आजमाई तुम्हारा साथ निभाने में, एक पल भी न लगा तुम्हे औकात दिखाने में।


उसकी औकात का उसे एहसास जरुरी था शीशा था, टूटना जरुरी था


“औकात बस “इतनी सी” रखिये की, सामने वाला “आपकी” औकात दिखाने से पहले, खुद की “औकात” देख ले”


आइनादिखाता है रोज़ औकात चेहरों की


चलो हकीक़त से थोड़ी मुलाक़ात करते हैं, जितनी औकात बस उतनी ही बात करते हैं।


तेरी तो इतनी भी औकात नहीं की तुझसे नफरत करूँ ना जाने कैसे मोहब्बत हो गई


सबकी औकातहै बससफ़ेद चादर और वो भीखुद सेओढ़ने कीताकत नहोगी


मुझ से मिलने मेरी औकात आई है, मकान कच्चा है और बरसात आई है।


झूठ इसलिए बिक जाता है क्योंकि सच को खरीदने की सबकी औकात नहीं होती


“रात को “गिदड़” कितना भी चिल्ला ले, सुबह तो “शेरो” का ही दबदबा होताहै”


बुरेवक्त कीभी क्याबात होतीहै, वोभी सलाहदेता है जिसक कोईऔकात नहींहोती है.


मुझे मेरी ही नजरो में गिरा कर चली गई, वो आईना बन कर आई थी, मुझे मेरी औकात दिखा कर चली गई।


खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धुल का मगर दो बून्द बारिश ने औकात बता दी


 

“कुछ लोग अपनी “औक़ात” दिखा देते हैं, गिराने की फ़िराक़ में बस “इल्जाम” लगा देते हैं”


एड़ियाउठा करचलने सेकद नहीं बढ़ता रकीबोंसे कहदो, अपनीऔकात मेरहें


फिर हुआ यूं के घड़ी खोल के रख दी हमने, वक्त हर शख़्स की औकात बताये जा रहा था।


ऐ दिल तू ज़रा कम ही हसरतें पाला कर बस तू अपनी औकात के हिसाब के ख्वाब देखा कर


“वो मेरी न हुई तो इसमें  “हैरत” की कोई बात नहीँ, क्योँकि “शेर” से दिल लगाये “बकरी” की ईतनी औकात नही”


इज्ज़तदोगे तोइज्ज़त पाओगे, औकातदिखाओगे तोबड़ा पछताओगे।


मेरे औकात से बड़े मेरे सपने है, और मेरे ही खिलाफ खड़े आज मेरे अपने है।


सब की औकात है बस सफ़ेद चादर और वो भी खुद से ओढ़ने की ताकत न होगी


“मालूम है “मुझे” मेरी औक़ात, हर बार क्यों “दिखाते” हो, छोड़ना है तो “छोड़” ही जाओ न, यूँ हर बार “क्यों” सताते हो”


खूबहौसला बढ़ायाआँधियों नेधुल कामगरदो बून्दबारिश नेऔकात बतादी


मैं मोहब्बत में ऐसे अल्फ़ाज़ लिख देता हूँ, कलम उठा के उस बेवफा की औकात लिख देता हूं।


अब मैं तुझे अपने शब्दों में जगह दूँ ऐसी तुझमे कोई बात नहीं अब मैं तेरे बारे में लिखू इतनी तेरी औकात नहीं


“आज हमसे वो “पूछ” रहे है हमारी औकात, जो हमारी “रहमतों” के कर्जदार आज भी हैं”


औकातनहीं हैं, आँख सेआँख मिलानेकी, औरबात करतेहैं हमारानाम मिटानेकी।


चीर दूंगा मेरे जख्मी पैरों से इन लंबे रास्तों को, वक्त मेरा बताएगा औकात इन हसीन चेहरों को।


आइना दिखाता है रोज़ औकात चेहरों की


“किसी को “नीचा” दिखाना, छोटी औकात होने की सबसे बड़ी पहचान है”


ज्यादा Smart बनने की कोशिश मतकर क्योंकि, मेरेबाल भीतेरे औकातसे लंबेहै..!


किसी ने पूछा था मुझसे कमा कितना लेते हो, बस जेब या पेट नहीं, औकात भर का कमा लेता हूं।


वो बार बार औकात की बात करता है इसे वक़्त के बारे में बता दो कोई


“कुछ लोगों की “वफ़ा” की ज़ात नहीं होती, रिश्ते तो बना लेते हैं, बस “निभाने” की औक़ात नहीं होती”


आदतेबुरी नहीं, शौक ऊँचेहैं, वर्नाकिसी ख्वाबकी इतनी औकात नही की, हमदेखे औरपुरा नाहो।


हवाओंसे कहदो किअपनी औकातमें रहेहम पैरोंसे नहींहौसलो सेउड़ा करतेहै..!!


कहना चाहो तो कह लो तुम काफ़िर मुझे, मैंने औकात से बाहर जाकर प्यार किया है।


कितने कमजर्फ है ये गुब्बारे चन्द सांसो में फूल जाते है नीच को जब उरूज मिलता है अपनी औकात भूल जाते है


“औकात नहीं है “दुश्मनो” की आँख से आँख मिलाने की, और साले बात करते है “घर” से उठाने की”


काम निकल जाए तो औकात दिखते है लोग, वरना पाँव पकड़करगिड़गिड़ाते है लोग.


औकात पे आ जाते हैं, जब हम औकात की बात करते हैं।


चीज़ों से हो रही है पहचान आदमी की औकात अब हमारी बाजा़र लिख रहे हैं


औकातकी बातमत करऐ दोस्त, तेरी बन्दूकसे ज्यादालोग हमारीआँखों सेडरते हैं।


तेरी अकड़ देख ली मैंने, क्या ही बड़ी बात है, कुछ तो छूट मेरी दी है, वरना तेरी क्या औकात है।

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