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हे भगवान..! बस इतना करना मैं जिनके लिए दुआ माँगू वह दुआ पूरी करना।
दुआ करते है हम अपने खुदा से, कोई ना तरसे कभी रोटी कपड़ा मकान के लिए।
ना दुआ मिलती है और ना दवा मिलती है फ़िक्रमन्दों को अक्सर ये सज़ा मिलती।
जिसकी जितनी औकात थी उसने वहीं दिया हमें, कुछ ने दी दुआएं तो कुछ ने दी बददुआं हमें।
तेरी ही दुआओं से है रोशन ये ज़िन्दगी मेरी, ना मिले खुदा तो भी है जन्नत ये ज़िन्दगी मेरी।
फिर से मोहब्बत के फार्म भर दिए हैं साहब, बस दुआ करो इस बार पेपर रद्द न हो पाएँ।
करीब आ जा इस तरह कि मुझे भी कुछ ख़बर ना हो, तुझे पा के बस दुआ करुँ ख़त्म चाहत का ये सफ़र ना हो।
दुआ करो कि मैं कोई गजल लिख सकूं, और उस बेवफा को ही खुदा लिख सकूं।
दुआएं कभी ज़ाया नहीं होतीं, पूरी होती हैं मुकम्मल यकीन की तरह।
तुम दुआ नहीं दवा हो, किसी दवा की अहमियत मरीज से पूछो।
दिन गुज़र नहीं रहा रात की कोई ख़बर नहीं, ये कैसी दुआएं मिली है मुझे जिनका कोई असर नहीं।
वो भूल गया माँग कर दुआओं में मुझे, अब उसकी दुआ मुझे किसी और का होने नहीं का देती।
ख़ुद से कौन पूछे किस हाल में हो, ख़ुद कहूँ बीमार हूँ तो दुआ माँगे है।
रब से मांगी थी मैंने वो दुआ हो तुम, मेरी हर शाम का आखिरी और हर सुबह का पहला ख्याल हो तुम।
मन्नत मांग कर लौट रहे थे हम मंदिर से, रास्ते में तुम मिल गई और दुआ कबूल हुई।
सोचता हुँ दुआ में उन्हें मांग लूँ , लेकिन वो तो और किसी का होना चाहते हैं।
दुआ करते है दिल से न हो नफरत आपको हमसे, नही है प्यार हमे किसी से तो क्यों खेलु किसी के दिल से।
तुम मिले तो यूँ लगा हर दुआ कुबूल हो गयी, काँच सी टूटी किस्मत मेरी हीरों का नूर हो गयी।
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से, खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम।
काश कोई दिल से मरने की हमें दुआ दे, हजार बरस जीने की ना बददुआ दे।
चलो आज एक और ज़ख्म को दिल में जगह देते है, तुम दर्द देते रहो हम दुआ देते है।
मुझ पर तेरी तस्वीर दवा और, तेरा नाम दुआ सा असर करता है।
खुदा के पास भी होगी खुशियों की कमी, बहुत बार माँगी दुआओं में आजतक ना मिली।
हर तरफ खुशी और चैन हो, महफूज़ रहे हर कोई, ना कोई बेचैन हो।
तुम्हारे अलावा मेरी दवा क्या है दुआ क्या है, खुद मेरा कत्ल करके पूछते हो कि हुआ क्या है।
उसके हक़ मे हर रोज मैं दुआ पढता हूँ, उसकी हर दुआ कुबूल हो बस उस रब से यही दुआ करता हूँ।
मुझको दुआ वो दे गया कुछ इस अदा के साथ, उसका उठना बैठना हो जैसे रब के साथ।
हरबार दुआ में हम उन्हें माँगते रहे, वो बदनसीब हमें छोड़कर किसी और को ताड़ते रहें।
इजाज़त हो तो चुन लें हम भी दो इक फूल बगीची, दुआ हमनें भी मांगी थी कि गुलशन में बहार आए।
बरस रहा है उसका प्यार मुझ पर किसी कि दुआ बनकर।
मत पूछिए हमसे हमारे इश्क़ की दहलीजे, दुआ ऐसी कि उनके जनाजे के साथ हमारा जनाजा भी उठे।
जिनकी यादों में हर वक़्त रहती है मेरी आँखें नम, आज भी उसकी सलामती की दुआ करते हैं हम।
दुआ मुकम्मल हो या आसमाँ में कहीं खो जाए, मैं खुदा नहीं बदलूँगा, इतना वादा है।
मेरे चाहने वाले मुझे जब जब दुआ देते हैं, चंद नफ़रत करने वालों की बददुआ बेअसर हो जाती है।
हमारे मज़हब तो ये हथेलियां फ़रमाती है, जुड़े तो पूजा खुले तो दुआ कहलाती है।
मेरी हर दुआ तेरे लिए रहेगी, चाहे तु जितने सितम कर, कभी बेवफा न कहेगी।
वो किसी और का हाथ थाम के चला गया, हम गए थे रब के दर उसके लिए दुआ माँगने।
मेरा चाँद सुकूँ से सोया रहे, और उसे देखने में ध्यान मेरा खोया रहे।
तुझसे जीतने की तो कभी तमन्ना ही न की, तुझको जीतने की दिन रात दुआ करता हूँ।
अपनों से बिछड़ने का दर्द वो क्या जाने, जो टूटते तारों को देख दुआ मांगे।
दुआ का असर कुछ इस कदर है, कि जिससे दुआ की वो भी बेखबर है।
कुछ बातें मरने के बाद बताएंगे तुम्हें, दुआ करो कि एक मुलाकात वहाँ तो हो।
ये दुआ मेरी कबूल हो, अगले जन्म में दोस्त मेरी तू ही हो।
तुम तो मेरी हर दुआ में शामिल थी, पर तुम किसी और को बिन माँगे मिल गयी।
कैसे माँगूँ उसे दुआओं में अपनी दुआओं में खुदा थोड़ी न माँगा जाता है।
बंद आँखों से होते है जो दीदार जानां, होता है उनमें दुआओं का होना।
अनसुनी फ़रियादें समेटे हुआ आसमान तेरा, कभी बरसे मेरे शहर में तो दुआ क़ुबूल हो।
हर बार दुआ ही दवा बने ज़रूरी नही, आग लगें और धुँआ उठे ज़रूरी नही।
वो पूछता रहा मुझसे कि क्या मांगा मैंने दुआओं में, और मैं बस उसे देख कर मुस्कुराता रहा।
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