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    Home»shayari»Tanha Shayari in Hindi | तन्हाई शायरी
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    Tanha Shayari in Hindi | तन्हाई शायरी

    Yuvraj KoreBy Yuvraj Kore10/03/2025No Comments10 Mins Read
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    100+Tanha Shayari Quotes
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    कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।

    कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।


    रोते हैं तन्हा देख कर मुझको वो रास्ते, जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।

    रोते हैं तन्हा देख कर मुझको वो रास्ते, जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।


    ए मेरे दिल , कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर , सिर्फ तुम और मैं ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में …

    ए मेरे दिल , कभी तीसरे की उम्मीद भी ना किया कर , सिर्फ तुम और मैं ही हैं इस दश्त-ए-तन्हाई में …


    अब तो उन की याद भी आती नहीं कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

    अब तो उन की याद भी आती नहीं कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ


    मैं हूँ दिल है तन्हाई है तुम भी होते अच्छा होता

    मैं हूँ दिल है तन्हाई है तुम भी होते अच्छा होता


    तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा, दूर तुमसे अब रह न सकूँगा, अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,ये दूरी अब सह न सकूँगा।

    तुमसे कुछ कहूँ तो कह न सकूँगा, दूर तुमसे अब रह न सकूँगा, अब नहीं आता तुम्हारे बिन दिल को चैन,ये दूरी अब सह न सकूँगा।


    एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।

    एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।


    तेरे वजूद की खुशबु बसी है साँसों में, ये और बात है नजरों से दूर रहते हो।

    तेरे वजूद की खुशबु बसी है साँसों में, ये और बात है नजरों से दूर रहते हो।


    थकन, टूटन, उदासी, ऊब, तन्हाई, अधूरापन , तुम्हारी याद के संग इतना लम्बा कारवाँ क्यूँ है ..?

    थकन, टूटन, उदासी, ऊब, तन्हाई, अधूरापन , तुम्हारी याद के संग इतना लम्बा कारवाँ क्यूँ है ..?


    अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा

    अपने साए से चौंक जाते हैं उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा


    मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोडो, तुम बताओ कैसी हो ?

    मुझे तन्हाई की आदत है मेरी बात छोडो, तुम बताओ कैसी हो ?


    जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।

    जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।


    हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम, कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।

    हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम, कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।


    किस से कहु, अपनी तन्हाई का आलम. लोग चहरें के हसी देख, बहुत खुश समझते हैं.

    किस से कहु, अपनी तन्हाई का आलम. लोग चहरें के हसी देख, बहुत खुश समझते हैं.


    कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है, अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है, तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती, तन्हाई में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है।

    कहीं पर शाम ढलती है कहीं पर रात होती है, अकेले गुमसुम रहते हैं न किसी से बात होती है, तुमसे मिलने की आरज़ू दिल बहलने नहीं देती, तन्हाई में आँखों से रुक-रुक के बरसात होती है।


    कौन भूला पाया हैं, तेरी यादों के जख़ीरे को, दिल की धड़कन, तन्हाईयों की रुह होती है।।

    कौन भूला पाया हैं, तेरी यादों के जख़ीरे को, दिल की धड़कन, तन्हाईयों की रुह होती है।।


    ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों, जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया।

    ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों, जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया।


    मीठी सी खुशबू में रहते हैं गुमसुम, अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी।

    मीठी सी खुशबू में रहते हैं गुमसुम, अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी।


    खौफ अब खत्म हुआ सबसे जुदा होने का.. अपनी तन्हाई में हम अब मसरूफ बहुत रहते हैं..

    खौफ अब खत्म हुआ सबसे जुदा होने का.. अपनी तन्हाई में हम अब मसरूफ बहुत रहते हैं..


    तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले

    तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ, के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले


    यादों में आपके तनहा बैठे हैं, आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं, आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो, इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।

    यादों में आपके तनहा बैठे हैं, आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं, आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो, इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।


    सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का, मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता।

    सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का, मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता।


    ना ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में, वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है ।

    ना ढूंढ़ मेरा किरदार दुनियाँ की भीड़ में, वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है ।


    कोसते रहते हैं अपनी जिंदगी को उम्रभर भीड़ में हंसते हैं मगर तन्हाई में रोया करते हैं

    कोसते रहते हैं अपनी जिंदगी को उम्रभर भीड़ में हंसते हैं मगर तन्हाई में रोया करते हैं


    मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ?  इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है 

    मैं तन्हाई को तन्हाई में तनहा कैसे छोड़ दूँ?  इस तन्हाई ने तन्हाई में तनहा मेरा साथ दिए है 


    तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया, रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।

    तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया, रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।


    वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा, मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।

    वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा, मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।


    ज़िन्दगी के ज़हर को यूँ पी रहे हैं, तेरे प्यार के बिना यूँ ज़िन्दगी जी रहे हैं, अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें, तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे हैं।

    ज़िन्दगी के ज़हर को यूँ पी रहे हैं, तेरे प्यार के बिना यूँ ज़िन्दगी जी रहे हैं, अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें, तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे हैं।


    ऐ सनम तू साथ है मेरे मेरी हर तन्हाई में कोई गम नहीं की तुमने वफ़ा नहीं की इतना ही बहुत है की तू शामिल है मेरी तबाही में।

    ऐ सनम तू साथ है मेरे मेरी हर तन्हाई में कोई गम नहीं की तुमने वफ़ा नहीं की इतना ही बहुत है की तू शामिल है मेरी तबाही में।


    अब तो याद भी उसकी आती नहीं,  कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ 

    अब तो याद भी उसकी आती नहीं,  कितनी तनहा हो गई तन्हाईयाँ 


    कितना अधूरा सा लगता है जब बादल हो बारिश न हो, आँखें हो कोई ख्वाब न हो और अपना हो पर पास न हो।

    कितना अधूरा सा लगता है जब बादल हो बारिश न हो, आँखें हो कोई ख्वाब न हो और अपना हो पर पास न हो।


    कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे, अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।

    कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे, अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।


    मेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्त, चुप-चाप आँधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।

    मेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्त, चुप-चाप आँधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।


    जब शक्ल कोई तन्हा कमरे में सँवरती है, आईना ही जाने क्या उस पर गुजरती है।।

    जब शक्ल कोई तन्हा कमरे में सँवरती है, आईना ही जाने क्या उस पर गुजरती है।।


    शाम-ए तन्हाई में इजाफा बेचैनी,  एक तेरा ख्याल न जाना एक दूसरा तेरा जवाब न आना

    शाम-ए तन्हाई में इजाफा बेचैनी,  एक तेरा ख्याल न जाना एक दूसरा तेरा जवाब न आना


    कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाकोई आ कर हमको जरा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।

    कांटो सी दिल में चुभती है तन्हाई, अंगारों सी सुलगती है तन्हाकोई आ कर हमको जरा हँसा दे, मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।


    जब से देखा है चाँद को तन्हा, तुम से भी कोई शिकायत ना रही।

    जब से देखा है चाँद को तन्हा, तुम से भी कोई शिकायत ना रही।


    कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें, हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें, काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें, हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।

    कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें, हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें, काटी हैं अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें, हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।


    इन उदास कमरों के.. कोनों की गीली तन्हाई.. … वक़्त की धूप के साथ सूख ही जायेगी…!!

    इन उदास कमरों के.. कोनों की गीली तन्हाई.. … वक़्त की धूप के साथ सूख ही जायेगी…!!


    तुझ पे खुल जाती मेरे रूह की तन्हाई भी,  मेरी आँखों में कभी झांक के देखा होता

    तुझ पे खुल जाती मेरे रूह की तन्हाई भी,  मेरी आँखों में कभी झांक के देखा होता


    अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात... खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?

    अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात… खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?


    तेरी याद ने मेरा बुरा हाल कर दिया, तन्हा मेरा जीना मुहाल कर दिया।।
    तेरी याद ने मेरा बुरा हाल कर दिया, तन्हा मेरा जीना मुहाल कर दिया।।

    जब भी तन्हाई में उनके बगैर जीने की बात आयी,उनसे हुई हर एक मुलाकात मेरी यादों में दौड आई

    जब भी तन्हाई में उनके बगैर जीने की बात आयी,उनसे हुई हर एक मुलाकात मेरी यादों में दौड आई


    हमने सोचा के दो चार दिन की बात होगी लेकिन तेरे ग़म से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया
    हमने सोचा के दो चार दिन की बात होगी लेकिन तेरे ग़म से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया

    "एक मैं ही नहीं, ये पूरी दुनिया ही तनहा है।"

    “एक मैं ही नहीं, ये पूरी दुनिया ही तनहा है।”


    "मैं इतना तनहा हूँ, की खुद से बात करने के लिए शब्द नहीं है।"

    “मैं इतना तनहा हूँ, की खुद से बात करने के लिए शब्द नहीं है।”


    "तुम वो फ़िक्र हो, जिसका ज़िक्र मैं अक्सर तन्हाई में करता हूँ।"

    “तुम वो फ़िक्र हो, जिसका ज़िक्र मैं अक्सर तन्हाई में करता हूँ।”


    "तन्हा इंसान अपने आप को सबसे ज्यादा अच्छे से समझता है।"

    “तन्हा इंसान अपने आप को सबसे ज्यादा अच्छे से समझता है।”


    "तुम तब तक तेज़ी से आगे नहीं बढ़ सकते जब तक की तुम अपने आप के साथ नहीं हो।"

    “तुम तब तक तेज़ी से आगे नहीं बढ़ सकते जब तक की तुम अपने आप के साथ नहीं हो।”


    सुकून से तेरी तस्वीर देख कर खुद को महफूज़ कर लेते है तन्हाई मैं जब भी तेरी याद आये तुझे महसूस कर लेते है ।।

    सुकून से तेरी तस्वीर देख कर खुद को महफूज़ कर लेते है तन्हाई मैं जब भी तेरी याद आये तुझे महसूस कर लेते है ।।


    बड़ा दर्द देती है तेरी तन्हाई जिस्म मैं आग सी लगा जाती है कोई तो वजह दे मुस्कराने की मैं रोता हु तो रोती है मेरी तन्हाई ।।

    बड़ा दर्द देती है तेरी तन्हाई जिस्म मैं आग सी लगा जाती है कोई तो वजह दे मुस्कराने की मैं रोता हु तो रोती है मेरी तन्हाई ।।


    तन्हा रह कर भी कभी मुस्करा जाते हैगम मिले तो उसे भी पी जाते है ।।

    तन्हा रह कर भी कभी मुस्करा जाते हैगम मिले तो उसे भी पी जाते है ।।


    मेरी जुदाई को इस ज़माने मैं ना देख पाया कोई मेरे सिवा बैठ कर तनहाई मैं ना रोया होगा कोई।।

    मेरी जुदाई को इस ज़माने मैं ना देख पाया कोई मेरे सिवा बैठ कर तनहाई मैं ना रोया होगा कोई।।


    गुजर जायेगा ज़माना तेरी याद नही गुजरती ना चाहकर भी ज़ख्म रोज मिल जाते है ।।

    गुजर जायेगा ज़माना तेरी याद नही गुजरती ना चाहकर भी ज़ख्म रोज मिल जाते है ।।


    साथ रहा तू मेरे और मेरी तन्हाई मैं "कोई शिकायत नही तुझसे की तूने वफाई नही की" इतना काफ़ी है की शामिल है तू मेरी तबाही मैं ।।

    साथ रहा तू मेरे और मेरी तन्हाई मैं “कोई शिकायत नही तुझसे की तूने वफाई नही की” इतना काफ़ी है की शामिल है तू मेरी तबाही मैं ।।


    आग ऐसी थी तन्हाई की, की मेरा घर जला दिया भीड़ तो बहुत थी धुँवा देखने वालों की मगर कोई दो  बूंद पानी का ना ला दिया ।।

    आग ऐसी थी तन्हाई की, की मेरा घर जला दिया भीड़ तो बहुत थी धुँवा देखने वालों की मगर कोई दो  बूंद पानी का ना ला दिया ।।


    खुदा कभी किसी को किसी पर इतना फिदा भी ना करे करे तो आखरी सांस तक फिर जुदा ना करे माना कि मरता नही कोई जुदाई मैं मगर वो जिये भी तो कैसे तन्हाई मैं ।।

    खुदा कभी किसी को किसी पर इतना फिदा भी ना करे करे तो आखरी सांस तक फिर जुदा ना करे माना कि मरता नही कोई जुदाई मैं मगर वो जिये भी तो कैसे तन्हाई मैं ।।


    तेरे दूर जाने का गम" अब तो सांसे भी लगती है बोझ सी कैसे तुम्हे बताए अब ये धड़कन की आवाज भी लगती है शोर सी ।।

    तेरे दूर जाने का गम” अब तो सांसे भी लगती है बोझ सी कैसे तुम्हे बताए अब ये धड़कन की आवाज भी लगती है शोर सी ।।


    दूसरा कोई गम नही ज़िन्दगी मैं सिर्फ तेरी एक जुदाई के सिवा कुछ नही मिला ज़िन्दगी मैं सिर्फ तेरी तनहाई के सिवा ।।

    दूसरा कोई गम नही ज़िन्दगी मैं सिर्फ तेरी एक जुदाई के सिवा कुछ नही मिला ज़िन्दगी मैं सिर्फ तेरी तनहाई के सिवा ।।


    "धूप वक़्त की अपने आप सूखा जायेगी  तन्हाई मैं गिरे मेरे आँशुओ को "

    “धूप वक़्त की अपने आप सूखा जायेगी  तन्हाई मैं गिरे मेरे आँशुओ को “


    अकेले मैं उनके बिना रहने की जब भी बात आयी साथ उनके बिताए हर एक पल यादो मैं दौड़े दौड़े चले आयी ।।

    अकेले मैं उनके बिना रहने की जब भी बात आयी साथ उनके बिताए हर एक पल यादो मैं दौड़े दौड़े चले आयी ।।


    "तेरी तन्हाई से अच्छा तेरी बेवफाई है कम से कम तुझसे नफरत करने के लिए याद करने की वजह तो है "

    “तेरी तन्हाई से अच्छा तेरी बेवफाई है कम से कम तुझसे नफरत करने के लिए याद करने की वजह तो है “


    ज़माना सिर्फ कहने को अपने साथ है मगर दिल मे छुपके से एक तन्हाई पलती है ।।

    ज़माना सिर्फ कहने को अपने साथ है मगर दिल मे छुपके से एक तन्हाई पलती है ।।


    रास्ते कितने भी मखमली क्यों ना हो मोहब्बत के लेकिन खत्म वहां होते है जहाँ तन्हाई के खंडर है ।।

    रास्ते कितने भी मखमली क्यों ना हो मोहब्बत के लेकिन खत्म वहां होते है जहाँ तन्हाई के खंडर है ।।


    ये खुदा लौटा दे वो पुराने मौसम यादो भरी हवाओ का लौट के ना आये कभी ये मौसम तन्हाई का ।।

    ये खुदा लौटा दे वो पुराने मौसम यादो भरी हवाओ का लौट के ना आये कभी ये मौसम तन्हाई का ।।


    कुछ इस तरह तेरे दिल के करीब आते गए हम तन्हाइयो के और भी नजदीक जाते गए ।।

    कुछ इस तरह तेरे दिल के करीब आते गए हम तन्हाइयो के और भी नजदीक जाते गए ।।


    इश्क़ मैं तो हर तरफ सिर्फ तन्हाई का साया है मोहब्बत मैं तो सिर्फ कुछ लोगों ने ही सच्चा प्यार पाया है ।।

    इश्क़ मैं तो हर तरफ सिर्फ तन्हाई का साया है मोहब्बत मैं तो सिर्फ कुछ लोगों ने ही सच्चा प्यार पाया है ।।


    हो जाओ गर तनहा कभी तो मेरा नाम याद रखना, मुझे याद हैं सितम तेरे, तू मेरा प्यार याद रखना।।

    हो जाओ गर तनहा कभी तो मेरा नाम याद रखना, मुझे याद हैं सितम तेरे, तू मेरा प्यार याद रखना।।


    किस क़दर बद-नामियाँ हैं मेरे साथ क्या बताऊँ किस क़दर तन्हा हूँ मैं।। अनवर शऊर।।

    किस क़दर बद-नामियाँ हैं मेरे साथ क्या बताऊँ किस क़दर तन्हा हूँ मैं।। अनवर शऊर।।


    दरवाज़े पर पहरा देने तन्हाई का भूत खड़ा है।। मोहम्मद अल्वी।।

    दरवाज़े पर पहरा देने तन्हाई का भूत खड़ा है।। मोहम्मद अल्वी।।


    जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने, अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।

    जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने, अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।


    कोई दिन गर ज़िंदगानी और है अपने जी में हमने ठानी और है

    कोई दिन गर ज़िंदगानी और है अपने जी में हमने ठानी और है


    आतिश -ऐ -दोज़ख में ये गर्मी कहाँ  सोज़-ऐ -गम है निहानी और है

    आतिश -ऐ -दोज़ख में ये गर्मी कहाँ  सोज़-ऐ -गम है निहानी और है


    बारह देखीं हैं उन की रंजिशें , पर कुछ अब के सरगिरानी और है

    बारह देखीं हैं उन की रंजिशें , पर कुछ अब के सरगिरानी और है


    देके खत मुँह देखता है नामाबर , कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है

    देके खत मुँह देखता है नामाबर , कुछ तो पैगाम -ऐ -ज़बानी और है


    हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम , एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है .

    हो चुकीं ‘ग़ालिब’ बलायें सब तमाम , एक मर्ग -ऐ -नागहानी और है .


    चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत . बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला

    चंद तस्वीर-ऐ-बुताँ , चंद हसीनों के खतूत . बाद मरने के मेरे घर से यह सामान निकला


    दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये

    दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये


    यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये

    यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये


    ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये

    ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये


    समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये

    समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये


    तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये

    तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये


    कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये

    कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये


    मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी

    मैं नादान था जो वफ़ा को तलाश करता रहा ग़ालिब यह न सोचा के एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी


    तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे

    तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब के सारी उम्र अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे


    बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है

    बे-वजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है


    क़ासिद के आते -आते खत एक और लिख रखूँ मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में

    क़ासिद के आते -आते खत एक और लिख रखूँ मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में


    हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को “ग़ालिब” यह ख्याल अच्छा है

    हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को “ग़ालिब” यह ख्याल अच्छा है


    काग़ज तन्हा है, कलम मौन है, दिल भी कह रहा है, तू कौन है।।

    काग़ज तन्हा है, कलम मौन है, दिल भी कह रहा है, तू कौन है।।


    देख लिया जमाना निचोड़कर, बूँद बूँद टपकी हूँ तन्हा-तन्हा होकर।।

    देख लिया जमाना निचोड़कर, बूँद बूँद टपकी हूँ तन्हा-तन्हा होकर।।


    क्या टुटा है अंदर अंदर क्यों चेहरा कुम्हलाया हैं, तन्हा तन्हा रोने वाले कौन तुम्हे याद आया है।।

    क्या टुटा है अंदर अंदर क्यों चेहरा कुम्हलाया हैं, तन्हा तन्हा रोने वाले कौन तुम्हे याद आया है।।


    रख लो दिल में संभाल कर, थोड़ी सी यादें मेरी, रह जाओग जब तन्हा, बहुत काम आयेंगे हम।।

    रख लो दिल में संभाल कर, थोड़ी सी यादें मेरी, रह जाओग जब तन्हा, बहुत काम आयेंगे हम।।


    इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पायेगा, तू वहां जी लेगा तन्हा मैं यहाँ मर जाऊंगा अकेला।।

    इससे ज्यादा कुछ नहीं हो पायेगा, तू वहां जी लेगा तन्हा मैं यहाँ मर जाऊंगा अकेला।।


    जान-ए-तन्हा पे गुजर जायें हजारो सदमें, आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं।।

    जान-ए-तन्हा पे गुजर जायें हजारो सदमें, आँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं।।


    और तो सब ठीक है लेकिन, कभी-कभी यूँ ही, चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है।।

    और तो सब ठीक है लेकिन, कभी-कभी यूँ ही, चलता फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है।।


    आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे, सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे।।

    आईना लेके जो भी आए हैं, हम भी उनका जमीर देखेंगे, सब हैं तन्हा, सभी में खालीपन, आप किस किस की पीर देखेंगे।।


    सच ही कहा था किसी ने तन्हा जीना सीख, मोहब्बत कितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ जाती है।।

    सच ही कहा था किसी ने तन्हा जीना सीख, मोहब्बत कितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ जाती है।।


    तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

    तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

    Yuvraj Kore
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    Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.

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