Aashiqui Shayari ॥ आशिकी शायरी

हमें भी याद रखें जब लिखों तारीख गुलशन की, की हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना।

हमें भी याद रखें जब लिखों तारीख गुलशन की, की हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना।

कोई देखे नही आशिकी उम्र भर मनाती रही मै नाखुशी इस कदर नाम उसका लबों पर ना आया कभी यूँ निभाती रही आशिकी उम्र भर।

कोई देखे नही आशिकी उम्र भर मनाती रही मै नाखुशी इस कदर नाम उसका लबों पर ना आया कभी यूँ निभाती रही आशिकी उम्र भर।

मेरी नजरों से पूछ तेरी आशिक़ी की हद क्या है जरा करीब से देख इनमें तेरी तस्वीर की गहराई क्या है।

मेरी नजरों से पूछ तेरी आशिक़ी की हद क्या है जरा करीब से देख इनमें तेरी तस्वीर की गहराई क्या है।

प्यार वो जख्म है जो कभी भरता नही, ये वो सफर है जो मर के भी ख़त्म होता नही।

प्यार वो जख्म है जो कभी भरता नही, ये वो सफर है जो मर के भी ख़त्म होता नही।

फूल हूँ गुलाब का चमेली का मत समझना आशिक हूँ आपका अपनी सहेली का मत समझना।

फूल हूँ गुलाब का चमेली का मत समझना आशिक हूँ आपका अपनी सहेली का मत समझना।

फ़ुलो के साथ कांटे नसीब होते है, खुशी के साथ गम भी नसीब होता है यु तो मजबुरी ले डुबती हर आशिक को वरना खुशी से बेवफ़ा कौन होता है।

फ़ुलो के साथ कांटे नसीब होते है, खुशी के साथ गम भी नसीब होता है यु तो मजबुरी ले डुबती हर आशिक को वरना खुशी से बेवफ़ा कौन होता है।

कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको चलो ऐसा करो भूला दो मुझको तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये दिल की गहराई से ऐसीदुआ दो मुझको।

कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको चलो ऐसा करो भूला दो मुझको तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये दिल की गहराई से ऐसीदुआ दो मुझको।

मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला, अब सारा शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता।

मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला, अब सारा शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता।

प्रेम यक़ीन दिलाने का मोहताज नहीं होता एक दिल धड़कता है तो दुजा समझता है।

प्रेम यक़ीन दिलाने का मोहताज नहीं होता एक दिल धड़कता है तो दुजा समझता है।

बच बच के निकले बिजली फिर भी गिरी, आशियां बचाया तो मगर बचाना फिजुल था।

बच बच के निकले बिजली फिर भी गिरी, आशियां बचाया तो मगर बचाना फिजुल था।

हुस्न वालों की नियत जबसे खराब हो गई जिन्दगी आशिकों की तब से बर्बाद हो गई।

हुस्न वालों की नियत जबसे खराब हो गई जिन्दगी आशिकों की तब से बर्बाद हो गई।

देख के हाल शरीफों का कि शराफत छोड़ दी हमने, देखा जो हाल आशिकों का कि मुहब्बत छोड़ दी हमने।

देख के हाल शरीफों का कि शराफत छोड़ दी हमने, देखा जो हाल आशिकों का कि मुहब्बत छोड़ दी हमने।

कितनी है आशिकी तुमसे ये कह नहीं पाते, बस इतना कह सकते हैं के तुम बिन रह नहीं पाते।

कितनी है आशिकी तुमसे ये कह नहीं पाते, बस इतना कह सकते हैं के तुम बिन रह नहीं पाते।

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