Love is a complex and multifaceted emotion that has intrigued philosophers, poets, and scientists for centuries. It is often described as a profound feeling of affection, attachment, and care for someone or something. Love can take many forms, including romantic love between partners, the love between parents and children, the love for friends, and even love for pets or objects. It is a fundamental human experience that can bring immense joy, happiness, and fulfillment, but it can also be accompanied by vulnerability and the potential for heartache. Love is not limited to humans; it is observed in various forms across the animal kingdom, suggesting its deep evolutionary roots. The experience of love can be influenced by cultural norms, personal values, and individual experiences, making it a uniquely personal and universal phenomenon. It often involves a combination of emotions, such as affection, attraction, empathy, and commitment, and can lead to a sense of connection and intimacy with others. Love has been a central theme in literature, art, music, and countless other aspects of human culture, highlighting its enduring importance in the human experience.
ये जो तुम्हारी याद है बस यही एक मेरी जायदाद है
ना चाँद अपना था और ना तू अपना थाकाश दिल भी मान लेता की सब सपना था
तेरे शहर में आके बेनाम हो गएतेरी चाहत में अपनी मुस्कान हो खो गएजो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबेकी जैसे तेरी आशिकुई के गुलाम ही हो गए
म्हेखानो की ये मई-कासी तुम से हैशायरों की शायरी तुम से हैहै जुदा अपनी मंजिले तो कोई गम नहींअपनी तो अब आशिकी सिर्फ तुम से है
आशिक़ी दिल-लगी नहीं दिल की लगी होती है,मुहोब्बत जब भी होती है बे-मुरव्वत से होती है
मेरी नजरों से पूछ तेरी आशिक़ी की हद क्या है,जरा करीब से देख इनमें तेरी तस्वीर की गहराई क्या है
हमें भी याद रखें जब लिखों तारीख गुलशन की,की हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना.
कौन करता था वफ़ाओं के तकाज़े तुमसेहम तो बस तेरी झूठी तसल्ली के तलबगार थे
एक आदत सी हो गयी है चोट खाने कीभीगी हुए पलकों संग मुस्कुराने कीकाश अंजाम वफ़ा का पहले ही जानतेतोह कोशिश भी नहीं करते दिल लगाने की.
जोर क्या क्या जफ़ाएँ क्या क्या हैं,आशिक़ी में बलाएँ क्या क्या हैं।
जो मोहब्बत तुम्हारे दिल में है,उसे जुबां पर लाओ और बयां कर दो,आज बस तुम कहो और कहते ही जाओ,हम बस सुनें ऐसे बेज़ुबान कर दो.
समुंदर बहा देने का जिगर तो रखते है लेकिन,हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त.
दीदार हमारे सनम का कोई ईद से कम नहींसनम हमारा यारों कोई चाँद से कम नहीं.
आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताबदिल का किया रंग करू खूने-ए-जिगर होने तकहम ने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिनख़ाक हो जायेंगे हम तुम को खबर होने तक.
आपको सलाम, आपकी सादगी को सलाम,जो हम से ना हो सकी उस आशिक़ी को सलाम।
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझकोचलो ऐसा करो भूला दो मुझको,तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये,दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको.
इतना करुगा मुहब्बत के तू खुद कहेगी,देख वो मेरा आशिक जा रहा है
एहसास की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में,वरना रेत भी सूखी हो तो निकल जाती है हाथों से.
हमें भी याद रखें जब लिखों तारीख गुलशन कीकी हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना.
अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहोब्बत को वार दें,इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ।
तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते है,पियार से नहीं रुसवाई से डरते है,मिलने की चाहत तो बहुत है मगर,मियन के बाद की जुदाई से डरते है.
एहसास की नमी बेहद जरुरी है हर रिश्ते में,वरना रेत भी सूखी हो तो निकल जाती है हाथों से.
खामोश तुम्हारी नजरों ने एक काम गजब का कर डाला,पहले थे हम दिल से तन्हा अब खुद से ही तन्हा कर डाला.
समुंदर बहा देने का जिगर तो रखते है लेकिन,हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है दोस्त.
चुपके-चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है,हमको अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है !!
न खबर होगी तुम्हे मेरी आशिकी की,सुना है सांसो की हद सिर्फ मौत होती है.
धीरे धीरे जलते हैं धीमे सी आंच पर,शायद तभी आशिकी और चाय बहुत मशहूर है..
प्रेम यक़ीन दिलाने का मोहताज नहीं होताएक दिल धड़कता है तो दुजा समझता है.
जन्नत-ए-इश्क मैं हर बात अजीब होती हैकिसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है
मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला,अब सारा शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता.
ऐ मोहब्बत, तुझे पाने की कोई राह नही,तू तो उसे ही मिलेगी जिसे तेरी परवाह नहीं.
हम तो फूलों की तरह अपनी आदत से बेबस हैंतोडने वाले को भी खुशबू की सजा देते हैं
दर्द है दिल में पर एहसास नहीं होतारोता है दिल जब वो पास नहीं होताबर्बाद हो गए हम उनकी मोहब्बत मेंऔर वो कहते है इस तरह से प्यार नहीं होता.
आशिक़ी में ‘मीर’ जैसे ख़्वाब मत देखा करो,बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो !!
अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा.
ना चाँद अपना था और ना तू अपना था,काश दिल भी मान लेता की सब सपना था
जब जब में लेता हूँ साँस तू याद आती हैमेरी हर एक साँस मे तेरी खुश्बू बस जाती हैकैसे कहूँ तेरे बिना में ज़िंदा हूँक्यूंकी हर साँस से पहले तेरी खुसबु आती है
इतना करुगा मुहब्बत के तू खुद कहेगीदेख वो मेरा आशिक जा रहा है
थे बहुत बे-दर्द लम्हे खत्म-ए-दर्द-ए-आशिक़ी के,थीं बहुत बे-मेहर सुबहें मेहरबान रातों के बाद.
हम ने एक असूल पे सारी उम्र गुज़ारी है,जिस को अपना जान लिया फिर उस को परखा नहीं.
जिंदगी जला दी हमने ,जब जैसी जलानी थी,अब धुऐं पर तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी.
मिल जाता है दो पल का सुकूंन बंद आँखों की बंदगी मेंवरना परेशां कौन नहीं अपनी-अपनी ज़िंदगी में.
हमारे जख्मो की वजह भो वो हैहमारे जख्मो की दावा भी वो हैनमक जख्मो पे लगाये भी तो किया हुआमोहब्बत करने की वजह भी तो वो है.
हमें कोई ग़म नहीं था,ग़मे-आशिक़ी से पहले,न थी दुश्मनी किसी से,तेरी दोस्ती से पहले.!!
काश कोई पैमाना होता मोहब्बत मापने का,तो हम शान से आते तेरे सामने सबूत के साथ.
मैं शायर नहीं फिर भी शायरी करता हूँ,मैं आशिक़ नहीं फिर भी आशिकी करता हूँ.
दुश्मनी में दोस्ती का थोड़ा सा सिलसिला रहने दियाउसके सारे ख़त जलाए बस पता बाकी रहने दिया.
कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार हैजुदाई के बाद भी हुम्हे तुझसे पियार हैतेरे चेरे की उदासी कर रही है बयान दास्ताँकी मुझसे मिलने के लिए तू भी बेकरार है
मैं क्या लिखूँ के जो मेरा तुम्हारा रिश्ता है।।वो आशिक़ी की ज़ुबान में कहीं भी दर्ज नहीं..!!
न आँखों से छलकते हैं,न कागज पर उतरते हैं,कुछ दर्द ऐसे भी होते हैंजो बस भीतर ही पलते हैं.
इंतज़ार बस वही कर सकता हैजिसकी मोहब्बत सच्ची हो.
मुमकिन हो तो मेरे दिल मे रह लोइससे हसीन मेरे पास कोई घर नही.
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता हैज़रूरी नहीं के वो बेवफा होता हैदे कर आपकी आँखों में आंसूअकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है.
प्रेम यक़ीन दिलाने का मोहताज नहीं होता,एक दिल धड़कता है तो दुजा समझता है.
जन्नत-ए-इश्क मैं हर बात अजीब होती है किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है
मैने ईश्क करने का मिजाज बदल दिया है अब तो बस तन्हाईयों से आशिकी करते हैं !!
दिसंबर की सर्दी है तेरी आशिकी जैसी याद भी करूँ तो पूरा बदन कांपता है !!
आशिकी की किताब का एक उसूल बताते हैं मुड़ कर देखा तो इश्क़ माना जाएगा !!
हाँ है, तो मुस्कुरा दो ना है तो नज़र फेर लो यूँ शरमा के आँखें झुकानेसे उलझनें बढ़ रही हैं
क्यों करते नहीं तुम इश्क़ के बदले इश्क़ मैं करता हूँ सच में तुमसे बेशुमार इश्क़
आशिकी को मेरी तुम पागलपन बता कर टाल देते हो मेरी मोहब्बत को कुछ इस तरह से मज़ाक में उड़ा देते हो
इस आशिक की आशिकी पर शक ना करो शक है तो हमपर अपना इतना हक ना करो
मैं दिल को तेरे कदमों में रख सर झुकाता हूँ यह है आशिकी जो मैं तुझे दिखाना चाहता हूँ
तेरी मेरी मोहब्बत का सिलसिला खत्म ना हो पाए खुदा ऐसा कुछ करे के तू मुझसे कभी दूर ना जाए
यह आशिकी है जो हमारी तुम जान जाओ हम करते हैं सच्चा प्रेम तुम यह मान जाओ
यह है आशिकी दिल में मेरे देख लो मोहब्बत करो और इश्क की आग सेक लो
मैं आईने में अपना चहरा भूल सकता हूँ तुम्हारा कभी नहीं
तुम्हारे इश्क़ से बनी हूँ मैं पहले ज़िंदा थी अब जी रही हूँ मैं
मैं मरने के लिए नहीं पीता पीने के लिए मरता हूँ
यह आदत अब नहीं जाने वाली है यह तो वो बीवी है जो साथ रह कर सताएगी और तलाक भी नहीं देगी
दुनियाँ के सबसे मशहूर और बेहतरीन कलाकार वो लोग होते हैं जिनकी अपनी एक अदा होती है वो अदा जो किसी की नकल करने से नहीं आती
आशिकी में जिसकी हम रात भर ना सोते हैं सुना है वो हर रात किसीका तकिया बने होते हैं
यह ज़िंदगी चल तो रही थी मगर तेरे आने से मैंने जीना शुरू किया मेरे बुरे वक्त में तुम थे मेरे साथ अब अगर अच्छे वक़्त में तुम नहीं तो यह वक़्त भी मुझे नहीं चाहिए
आशिकी की गहराईयों में खूबसूरत क्या है एक मैं हूँ एक तुम हो और ज़रुरत क्या है
मुक़म्मल ना सही अधूरा ही रहने दो ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं अच्छा सुनो तुम अपना जरा ध्यान रखना अभी मौसम बीमारी का भी हैं और आशिकी का भी!
तुझसे आशिकी कर तेरे गुलाम हो जाते हैं तुम बोली लगाओ हमारी हम नीलाम हो जाते हैं
राख से भी आएगी खुशबू इश्क़ की मेरे खत तुम सरे आम जलाया ना करो !
यह जो आशिकी तुमसे मैं करने लगा हूँ तेरे कहने पर मैं जो बदलने लगा हूँ मुझे तुम ऐसे ही अब संभाल लेना दूर गयी तो समझना में मरने लगा हूँ
है इश्क तो फिर असर भी होगा, जितना है इधर , उधर भी होगा
किसने कहा मोहब्बत सच हो तो मुकम्मल जरूर होती है आशिकी तो हमने भी पूरे दिल से किया था।
आशिकी में गुलाब का फूल, आप जरा इसे करलो कबूल, वैसे तो जिंदगी ने दिए है बहुत से गम, अगर आप मिल जाओ तो सारे गम जाऊंगा मैं भूल
तेरा नाम ही क्यों ये दिल रटता है, क्यों ये दिल सिर्फ तुझ पे ही मरता है, न जाने कितना नशा है तेरी आशिकी में, अब तो तेरी याद में ही ये दिन कटता है।
मेरे लबों पे बस तेरा नाम हो मोहब्बत में ऐसा अपना काम हो हीर राँझा की मिसाले लोग भूल जाएँ अपनी मोहब्बत ही इतनी खास हो
तुम्हारा दिल चाहे तो छोड़ देना मोहब्बत का सफर तन्हा बिता लेंगे तुम नहीं तो तुम्हारी यादें ही सही अपना हमसफ़र बना लेंगे
तुम्हारी आशिकी को दिल पे सजाये बैठे हैं पर अपना दिल तोड़ने की इजाज़त कभी नहीं देंगे
वो पिला कर जाम होंठो से अपनी आशिकी का,अब कहते हैं नशे की आदत अच्छी नहीं होती।
मुस्कुराने से शुरू और रुलाने पर खत्म,mये वो जुल्म है जिसे लोग आशिकी कहते हैं
तेरे शहर में आके बदनाम हो गए, तेरी चाहत में अपनी मुस्कान खो गए, जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे, कि जैसे तेरी आशिकी के गुलाम हो गए…
दिल की किताब में गुलाब उनका था, रात की नींदों में ख्वाब उनका था, कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा, मर जायेंगे तुम्हारे बिना ये जवाब उनका था…
इश्क करती हूँ तुझसे अपनी जिंदगी से ज्यादा, मैं डरतीं हूँ मौत से नही तेरी जुदाई से ज्यादा, चाहे तो हमे आज़मा कर देख किसी और से ज्यादा, मेरी जिंदगी में कुछ नही तेरी आशिकी से ज्यादा…
तू चाँद मैं सितारा होता, आसमान में एक आशियां हमारा होता, लोग तुझे दूर से देखा करते और, सिर्फ पास रहने का हक हमारा होता…
इस नजर ने उस नजर से बात करली, रहे खामोश मगर फिर भी बात करली, जब मोहब्बत की फ़िज़ा को खुश पाया, तो दोनों निगाहों ने रो रो कर बरसात करली…
तू तोड़ दे वो कसम जो तूने खाई है, कभी कभी याद करने में क्या बुराई है, तुझे याद किये बिना रहा भी तो नही जाता, तूने दिल में जगह जो ऐसी बनाई है…
इश्क सभी को जीना सीखा देता है, वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है, इश्क नही किया तो करके देखना, ज़ालिम हर दर्द सहना सिखा देता है…
प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे, मगर…जब तुम मिले तब इन अल्फाजो को मायने मिले…
मेरे प्यार की पहचान तू ही तो हैं, मेरे जीने का अरमान तू ही तो हैं, कैसे बयाँ करे आलम इस दिल का, मेरी आशिकी मेरी जान तू ही तो हैं…
आशिक़ी दिल-लगी नहीं दिल की लगी होती है, मुहोब्बत जब भी होती है बे-मुरव्वत से होती है…
ना जाने आशिक़ी में कितने अफसाने बन जाते है, शमां जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते है, कुछ हासिल करना ही आशिको की मंजिल नही होती, किसी को खोकर भी कुछ लोग दिवाने बन जाते है…
तेरे शहर में आके बेनाम हो गए, तेरी चाहत में अपनी मुस्कान ही खो गए, जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे, की जैसे तेरी आशिक़ी के गुलाम ही हो गए…
समुंदर बहा देने का जिगर तो रखते है लेकिन, हमें आशिकी की नुमाइश की आदत नहीं है…
आदत है या तलब, इश्क है या चाहत, तू दिल मे है या साँसों मे, दीवानगी है या मेरी आशिकी, तू ज़िन्दगी है या फिर एक किस्सा, पर जो भी है सिर्फ तू है…
प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फ़ाज थे, मगर जब तुम मिले तब इन अलफ़ाजो को मायने मिले…
प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे, मगर…जब तुम मिले तब इन अल्फाजो को मायने मिले…
आदत है या तलब, इश्क है या चाहत तू दिल मे है या साँसों मे, दीवानगी है या मेरी आशिकी, तू ज़िन्दगी है या फिर एक किस्सा, पर जो भी है सिर्फ तू है…
कोई देखे नही आशिकी उम्र भर, मनाती रहा मै नाखुशी इस कदर, नाम उसका लबों पर ना आया कभी, यूँ निभाती रही आशिकी उम्र भर…
प्यार कहते है आशिकी कहते है, कुछ लोग उसे बंदगी कहते है, मगर जिसके साथ हमें मोहब्बत है,हम उन्हें अपनी जिन्दगी कहते है…
Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.