ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए, मुझे बस तेरी की एक झलक चाहिए.,
मोहब्बत थी तो चाँद अच्छा था, उतर गई तो दाग भी दिखने लगे.,
चाँद तारो में नज़र आये चेहरा आपका, जब से मेरे दिल पे हुआ है पहरा आपका.,
एक अदा आपकी दिल चुराने की, एक अदा आपकी दिल में बस जाने की, चेहरा आपका चाँद सा और एक, हसरत हमारी उस चाँद को पाने की.,
चाँद की चाँदनी से एक पालकी बनाई हैं, यह पालकी मैंने तारों से सजाई हैं, ऐ हवा जरा धीरे-धीरे चलना, मेरे दोस्त को बड़ी प्यारी नींद आई हैं.,
देखा चांद आज जो मेरे छत की तरफ, शर्मा के डूब गया मगरिब की तरफ, बुला रखा हूं मैं जो अपने महबूब को,तारे चमकने लगे हैं आसमां की तरफ.,
फिका पड़ जाता है तेरे हुस्न के सामने चांद, ए मेरे जान पर्दे में रहा कर सुबह व शाम.,
लोग कहते है तू चांद का मुखड़ा है, पर मेरे नजर में चांद तेरा टुकड़ा है.,
चांद नें जब देखा मेरे महबूब को, वह भी कह दिया माशाला माशाला.,
एक प्यारी सी दिल को चुराने की, एक इरादा रगों में बस जाने की, चांद सा हुस्न और तारे सा चमक,दिल में है हसरत तुम्हे पाने की.,
मेरी और चांद की किस्मत मिलती जुलती है, वो सितारों में अकेला और मैं हजारों म अकेला.,
चांद कह कर गया था के रौशनी देगा मेरे घर में, इसलिए बिन जलाए चिराग घर में बैठा हूं आज मैं.,
मुन्तजिर हूं कि तारों को जरा आंख लगे, चांद को बुलालूंगा आंगन में इशारा कर के.,
बेसहारा और टूटा सा लगता हूं, सताए हुए गम घूटा सा लगता हूं, जब से मैंने चांद को भी टूटा देखा, अब मैं खुद से झुटा सा लगता हूं.,
बेचैन कुछ इस क़दर था कि सोया ना रात भर, उंगलियों से लिख रहा था तेरा नाम चांद पर.,
हर रात बीताई है कुछ इसी यादों में, चांद आएगा कभी तो मेरे दरवाजों पे.,
ए आसमां अगर गुरूर है तुझे उस चांद पे, तो देख आज चांद मेरे घर तशरीफ़ लाए हैं.,
चंद से प्यारी चांदनी और चांदनी से प्यारी रात है, रात से प्यारी जिंदगी और जिंदगी से प्यारी आप हैं.,
ज़माने को हसरत, शोहरत और धन चाहिए, मुझे तो चांद सा चमकता तेरा बदन चाहिए.,
चांद की मोहब्बत तो जरा देखो, कर्ज लेके रौशनी देती है जमीं को.,
चांद के बिना भी चांदनी रात है, क्यूंकि आप जो आज मेरे साथ हैं.,
हारे नहीं है मगर चल रहे हैं, टूट गए हैं मगर फिसल रहें हैं, पहुंच जाऊं बस एक बार चांद पर, ये आरज़ू लिए हाथो को मल रहें हैं.,
जागता रह गया रात भर इसी उम्मीद में की, चांद चल रहा है तो आएगा मेरे छत पर भी.,
पूछो उस चांद से कैसे तड़पते थे हम, रोते थे, बिलक्ते थे, सिसकते थे हम, कोन सुनता भला मेरे टूटे दिल की कहानी, चांद से रातो में अपनी बात कहते थे हम.,
ख्वाहिश है के बहुत परेशान करूं, चांद को भी एक बड़ा इम्तेहान लूं, गर फैल हो जाए तो सजा ए मौत दे दूं, टूटे दिल की दर्द का एक मजा चखा दूं.,
ए चांद बता तू क्यों जगा करता है, क्यों आसमानों की चक्कर लगाया करता है, में तो दीवाना हूं उनके इश्क़ में मगर, क्या तभी किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है.,
जगाओ ना मुझे के मैं देख रहा हूं, चांद के आगोश में आंखें सेक रहा हूं, यूं तो नजर आते नहीं हकिकत में कभी, सपना ही सही मगर मैं उन्हें देख रहा हूं.,
न चाहकर भी मेरे लब पर ये फरियाद आ जाती है, ऐ चाँद सामने न आ किसी की याद आ जाती है.,
सुबह हुई कि छेडने लगता है सूरज मुझको, कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो.,
चलो चाँद का किरदार अपना लें हम दोस्तो, दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें.,
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा, तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ आज शाम से मैं.,
एक ये दिन हैं जब चाँद को देखे, मुद्दत बीती जाती है, एक वो दिन थे जब चाँद खुद, हमारी छत पे आया करता था.,
ऐ चाँद चला जा क्यों आया है तू मेरी चौखट पर, छोड़ गया वो शख्स जिसके धोखे में तुझे देखते थे.,
बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद, कोई साजिश छुपा रहा है चाँद.,
कितना भी कर ले, चाँद से इश्क़, रात के मुक़द्दर मे, अँधियारे ही लिखे हैं.,
रुसवाई का डर है या अंधेरों से मुहब्बत खुदा जाने, अब मैं चाँद को अपने आँगन में उतरने नहीं देता.,
ना जाने किस रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को, रात भर बिना कम्बल भटकता रहता है इन सर्द रातो में.,
आप कुछ यूँ मेरे आइना-ए-दिल में आए, जिस तरह चाँद उतर आया हो पैमाने में.,
हमारे हाथों में इक शक्ल चाँद जैसी थी, तुम्हे ये कैसे बतायें वो रात कैसी थी.,
बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर, पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर.,
कुछ तुम कोरे कोरे से, कुछ हम सादे सादे से, एक आसमां पर जैसे, दो चाँद आधे आधे से.,
चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले, कितने ग़म थे जो तेरे ग़म के बहाने निकले.,
ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है, उस ही मालिक ने मुझे भी तो मोहब्बत दी है.,
चाँद तो अपनी चाँदनी को ही निहारता है, उसे कहाँ खबर कोई चकोर प्यासा रह जाता है.,
रातों में टूटी छतों से टपकता है चाँद, बारिशों सी हरकतें भी करता है चाँद.,
क्यूँ मेरी तरह रातों को रहता है परेशाँ, ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है.,
कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा, कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा.,
तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा मैंने, चाँद कहता रह गया मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ.,
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है, उसपे शबाब का रंग गहरा है, खुदा को यकीन न था वफ़ा पे, तभी चाँद पे तारों का पहरा है.,
इक अदा आपकी दिल चुराने की, इक अदा आपकी दिल में बस जाने की, चेहरा आपका चाँद सा और एक, हसरत हमारी उस चाँद को पाने की.,
चाँद तारो की कसम खाता हूँ, मैं बहारों की कसम खाता हूँ, कोई आप जैसा नज़र नहीं आया, मैं नजारों की कसम खाता हूँ.,
पूरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता हैं, भूल जाता हैं कि आधा चाँद भी ख़ूबसूरत होता हैं.,
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए, तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए.,
रात में एक टूटता तारा देखा बिलकुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फ़र्क नही पड़ा बिल्कुल तेरे जैसा था.,
रात भर करता रहा तेरी तारीफ़ चाँद से, चाँद इतना जला की सुबह तक सूरज हो गया.,
उस चाँद को बहुत गुरूर हैं कि उसके पास नूर हैं, मगर वो क्या जाने कि मेरा यार भी कोहिनूर हैं.,
रात गुमसुम हैं मगर चाँद ख़ामोश नहीं, कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं, ऐसे डूबा तेरी आँखों की गहराई में आज, हाथ में जाम हैं, मगर पीने का होश नहीं.,
मेरा और उस चाँद का मुक़द्दर एक जैसा है, वो तारो में तन्हा मैं हजारो में तन्हा.,
चलो चाँद का किरदार अपना लें हम, दाग अपने पास रखें और रौशनी बाँट दें.,
आज टूटेगा गुरूर चाँद का देखना दोस्तो, आज मैंने उन्हें छत पर बुला रखा है.,
रातो में टुटी छतों पे टपकता है चाँद, बारिशों सी हरकते भी करता हैं चाँद.,
बुझ गये ग़म की हवा से, प्यार के जलते चराग, बेवफ़ाई चाँद ने की, पड़ गया इसमें भी दाग.,
दिन में चैन नहीं ना होश हैं रात में, खो गया है चाँद भी देखो बादल के आगोश में.,
तुम आ गये हो तो फिर चाँदनी सी बातें हों, ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है.,
मोहब्बत भी चाँद की तरह दिखता हैं, जब पूरा होता हैं तो फिर घटने लगता हैं.,
रात भर तेरी तारिफ़ करता रहा चाँद से, चाँद इतना जला कि सूरज हो गया.,
ख्वाबो की बातें वो जाने जिनका नींद से रिश्ता हो, मैं तो रात गुजारती हुँ चाँद को देखने में.,
वो चाँद मुझ पे किआ अजब एहसान कर गया, ज़ालिम मुझे तो साहिब-ए-ईमान कर गया, वो जेहन में समाया तो कुछ इस तरह लगा, जैसे मैं हिफ़्ज़ रात मै क़ुरान कर गया.,
अहसान अगर करो तो किसी को खबर न हो, सूरज का जेसी ज़िक्र नहीं चाँदनी क साथ.,
चाँद सा चेहरा देखने की इजाज़त दे दो, मुझे ये शाम सजाने के इजाज़त दे दो, मुझे क़ैद कर लो अपने इश्क़ में, या मुझे इश्क़ करने के इजाज़त दे दो.,
टूटे खवाबो की तस्वीर कब पूरी होती है, चाँद तारों क बीच भी दूरी होती है, देना तो हमें खुदा सब कुछ चाहता है, पर उसकी भी कुछ मजबूरी होती है.,
मुन्तज़िर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे, चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके.,
पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती, दिल में क्या है वो बात नहीं समझती, तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है, पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती.,
कितना हसीन चाँद सा चेहरा है, उसपे शबाब का रंग गहरा है, खुदा को यकीन न था वफ़ा पे, तभी चाँद पे तारों का पहरा है.,
नहीं कर सकता हैं कोई वैज्ञानिक मेरी बराबरी, मैं चाँद देखने साइकल से जाया करता था.,
इजाजत हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ जाऊँ, देखों ना चाँद के पास भी तो एक सितारा है.,
खूबसूरत गज़ल जैसा है तेरा चाँद सा चेहरा, निगाहे शेर पढ़ती हैं तो लब इरशाद करते है.,
जिस चाँद के हजारों हो चाहने वाले दोस्त, वो क्या समझेगा एक सितारे कि कमी को.,
रात भर आसमां में हम चाँद ढूढ़ते रहे, चाँद चुपके से मेरे आँगन में उतर आया.,
क्यों मेरी तरह रातों को रहता है परेशान, ऐ चाँद बता किस से तेरी आँख लड़ी है.,
चाँद में नज़र कैसे आए तेरी सूरत मुझको, आँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया.,
है चाँद का मुहं भी उतरा- उतरा, तारो ने चमकना छोड़ दिया, जिस दिन से जुदा वो हमसे हुए, इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया.,
मेरी निगाहों में एक ख़्वाब आवारा है, चाँद भी देखूं तो चेहरा तुम्हारा है.,
आज शाम ये चाँद भी क्या खूब दीखता है, देखूं क़रीब से जो इसको मेरा मेहबूब दीखता है.,
तेरे हुस्न के दामन को, हमने संवर कर देखा है, चाँद देखो आज फिर, फलक से उतर कर देखा है.,
रौशनी चाँद की होती है, मचलना दिल को पड़ता है, जो तेरी याद आती है, संभलना दिल को पड़ता है.,
कल चौदहवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा, कुछ ने कहा ये चाँद है, कुछ ने कहा चेहरा तेरा.,
रहने दो अभी चाँद सा चेहरा मिरे आगे, मय और पिलाओ कि अभी रात बहुत है.,
उसकी ज़िद थी कोई मुझसा दूसरा लाओ, बड़ी मुश्किल से मै चाँद खींच के लाया हूँ.,
ना चाह कर भी मेरे लब पर ये फ़रियाद आ जाती है, ए चाँद सामने ना आ किसी की याद आ जाती है.,
चाँद है ज़ेरे-क़दम सूरज खिलौना हो गया, हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया.,
चेहरे से जरा आँचल जब आपने सरकाया, दुनिया ये पुकार उठी लो चाँद निकल आया.,
चांद पर थोड़ा गुरूर हम भी कर लें, पर मेरी नजरें पहले महबूब से तो हटें।
कुछ वो कोरे से हैं, कुछ मैं सादा सा, जैसे एक ही आसमां में दो चांद हों आधा-आधा सा।
चांद से तो हर किसी को प्यार है, मैं खुशनसीब हूं कि चांद को मुझसे प्यार है।
इसी कशमकश में ये रात गुजर जाए, मैं चांद देखने निकलूं और वो बादलों में छिप जाए।
लोग पूछते हैं कि हम चांद को यूं बार-बार देखते क्यों हैं, अब उन्हें कौन समझाए की चांद में हमें महबूब नजर आता है।
अब चांद में भी नजर आने लगा है चेहरा उनका, जबसे इजहार-ए -मोहब्बत हुआ है उनका।
न चांद की चाह न फलक का इंतजार हैं, कैसे कहूं मुझे बस तुझसे ही प्यार है।
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