
चाँद नहीं आया तो क्या हुआ धीरे धीरे उसका सुरूर आ रहा है तुम नहीं हो तो क्या हुआ तुम्हारी यादों से चेहरे पर नूर आ रहा है।

चाँद से बाते करता है, अपने चाँद की बाते करता है, ये पगला आशिक, रातभर चाँद पाने के तरीके सोचा करता है।

जैसे चाँद और तारों के एक दूसरे के पास होने का आभास होता है, बस कुछ वैसा ही किस्सा है हम दोनों का भी।

चाँद से ऐतबार करूँ, चाँद से इकरार करूँ, चाँद का इज़हार करूँ, चाँद से ही प्यार करूँ, एक चाँद ही तो हैं जिसका मैं इन्तजार करूँ।