
मुझे न जाने उस पर इतना यकीन क्यों है, उसका ख्याल भी इतना हसीन क्यों है, सुना है प्यार का दर्द मीठा होता है, तो आँख से निकला आँसू नमकीन क्यों है।

आती नही वो पर निसानी भेज देती हैं, दास्तां पुरानी ख्वाबो में भेज देती हैं, उनके यादो के मंजर कितने मिठे है, आखो में कभी-कभी पानी भेज देती हैं।

इस जहाँ में किसी से कभी प्यार मत करना, अपने कीमती आँसू इस तरह बर्बाद मत करना, कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं, फूलों पर कभी तुम ऐतबार मत करना।

जिन्हें सलीका है ग़म समझने का उन्हींके रोने में आँसू नज़र नहीं आते… ख़ुशी की आँख में आँसू की भी जगह रखना बुरे ज़माने कभी पूछकर नहीं आते…