
शीशे से हैं ख्वाब मेरे, गिरते ही टुट जाते हैं, फिर समेटना भी चाहें तो, कुछ यूँ ही अधूरे छूट जाते हैं।

देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी, पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी, सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी, हस्ते रहो तो आसान है ज़िन्दगी।
शीशे से हैं ख्वाब मेरे, गिरते ही टुट जाते हैं, फिर समेटना भी चाहें तो, कुछ यूँ ही अधूरे छूट जाते हैं।
देखो तो ख्वाब है ज़िन्दगी, पढ़ो तो किताब है ज़िन्दगी, सुनो तो ज्ञान है ज़िन्दगी, हस्ते रहो तो आसान है ज़िन्दगी।