न होती ये दारू तो कैसे हम जीते, न होती ये दारू तो क्या हम पीते।

न होती ये दारू तो कैसे हम जीते, न होती ये दारू तो क्या हम पीते।

पी लेते हैं दारू, जला लेते हैं सिगरेट, हम तुम्हारी तरह ऐब नहीं छुपाते।

पी लेते हैं दारू, जला लेते हैं सिगरेट, हम तुम्हारी तरह ऐब नहीं छुपाते।

अगर दारू भी बेशर्म तुम सी होती, खुदा कसम हर मयखाने पर शर्म के ताले लगे होते।

अगर दारू भी बेशर्म तुम सी होती, खुदा कसम हर मयखाने पर शर्म के ताले लगे होते।

पकौड़े निभाते हैं दोनों से वफा, ना चाय वाले खफा, ना दारू वाले खफा।

पकौड़े निभाते हैं दोनों से वफा, ना चाय वाले खफा, ना दारू वाले खफा।

मेरे अल्फाज दारू की तरह है, पुराने है मगर नशा जबरदस्त करते है।

मेरे अल्फाज दारू की तरह है, पुराने है मगर नशा जबरदस्त करते है।

ना पीते है दारू, ना पीते है व्हिस्की लेकिन जब हो जाये गम, तब पीते है देशी रम।

ना पीते है दारू, ना पीते है व्हिस्की लेकिन जब हो जाये गम, तब पीते है देशी रम।

सपनो का हमने अम्बर बना रखा है, और जनाब देशी है हम, इसीलिए दारू का हमने चैम्बर बना रखा है।

सपनो का हमने अम्बर बना रखा है, और जनाब देशी है हम, इसीलिए दारू का हमने चैम्बर बना रखा है।

चल आ उसकी बेवफाई के किस्से सुनाऊ तुझे, थोड़ी देर तो बैठ मेरे साथ, आजा दारू पिलाऊं तुझे।

चल आ उसकी बेवफाई के किस्से सुनाऊ तुझे, थोड़ी देर तो बैठ मेरे साथ, आजा दारू पिलाऊं तुझे।

यार हमें भी बता दो के तुमने कैसे हमे भुला दिया, हम ‘सनम’ दवा दारू और दिलासों में ही उलझे हैं।

यार हमें भी बता दो के तुमने कैसे हमे भुला दिया, हम ‘सनम’ दवा दारू और दिलासों में ही उलझे हैं।

कैसे छोड़ दूं इसे ये कोई इश्क़ थोड़ी हैं, नशे में भी संभाल के रखती हैं, दारू हैं कोई मज़ाक थोड़ी हैं।

कैसे छोड़ दूं इसे ये कोई इश्क़ थोड़ी हैं, नशे में भी संभाल के रखती हैं, दारू हैं कोई मज़ाक थोड़ी हैं।

लत लगाई गुलज़ार ने लिखने की, अब किसी से प्यार कैसे होए, नशा चढ़ाया कबीर ने दोहों का, अब दारू से नशा कैसे होए।

लत लगाई गुलज़ार ने लिखने की, अब किसी से प्यार कैसे होए, नशा चढ़ाया कबीर ने दोहों का, अब दारू से नशा कैसे होए।

छोड़ना ही था तो कोई और बहाना बना लेती, दारू तो तुम्हारे पिता भी पीते है।

छोड़ना ही था तो कोई और बहाना बना लेती, दारू तो तुम्हारे पिता भी पीते है।

शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है, पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है।

शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है, पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है।

जितने गम ज़माने में, उतने जाम मयखाने में, न रोको तुम मुझे पीने से, नशा है छुपा गम छुपाने में।

जितने गम ज़माने में, उतने जाम मयखाने में, न रोको तुम मुझे पीने से, नशा है छुपा गम छुपाने में।

दारू के बोतल जैसे है हम, किसी को बहुत पसंद है, तो किसी को मेरे नाम से ही ऎलार्जी है।

दारू के बोतल जैसे है हम, किसी को बहुत पसंद है, तो किसी को मेरे नाम से ही ऎलार्जी है।

दारू बदनाम कर गई, फ़िक्र मिटाकर आराम लिख गई, दर्द भूला कर मदहोश कर गई।

दारू बदनाम कर गई, फ़िक्र मिटाकर आराम लिख गई, दर्द भूला कर मदहोश कर गई।

दर्द है, दवा है, दारु है, इश्क में बस यही बचा है, जो समझ गए वक़्त पर, उनका सबकुछ बचा है।

दर्द है, दवा है, दारु है, इश्क में बस यही बचा है, जो समझ गए वक़्त पर, उनका सबकुछ बचा है।

दवा और दारू सबके हिस्से में नहीं आते जनाब, या तो बीमारी होगी या किसी के इश्क़ की ख़ुमारी होगी।

दवा और दारू सबके हिस्से में नहीं आते जनाब, या तो बीमारी होगी या किसी के इश्क़ की ख़ुमारी होगी।

वो शराब भी बेवफा निकली यारो, जिसे भुलाने के लिये पिए, पीनी के बाद वो और भी याद आने लगे।

वो शराब भी बेवफा निकली यारो, जिसे भुलाने के लिये पिए, पीनी के बाद वो और भी याद आने लगे।

बहुत मुश्किल से दवा हाथ लगी है, दारू कहकर बदनाम न करो।

बहुत मुश्किल से दवा हाथ लगी है, दारू कहकर बदनाम न करो।

ये भी कोई जीना है, न पीने को दारू है, न घुमाने को हसीना है।

ये भी कोई जीना है, न पीने को दारू है, न घुमाने को हसीना है।

तू याद बहुत आती है, ये मैं किसको बताता, ना होती दारू, तो मैं कैसे तुझे भुलाता।।

तू याद बहुत आती है, ये मैं किसको बताता, ना होती दारू, तो मैं कैसे तुझे भुलाता।।

तेरी आँखे देशी दारू सी, तूने होठों से दारू पिलाई है, मेरा दिल है बर्फ का टुकड़ा सा, तू मेरे दिल मे आकर समाई है।

तेरी आँखे देशी दारू सी, तूने होठों से दारू पिलाई है, मेरा दिल है बर्फ का टुकड़ा सा, तू मेरे दिल मे आकर समाई है।

पीने वालों के लिये दारू एक नशा है, पर हम जैसे दिल टूटे हुए आशिको के लिऐ अमृत हैं।

पीने वालों के लिये दारू एक नशा है, पर हम जैसे दिल टूटे हुए आशिको के लिऐ अमृत हैं।

दवा, दारू ओर इश्क़ की बीमारी जिसे लग जाती हैं ना दोस्त, उसकी जिंदगी तबाह ही समझों तुम।

दवा, दारू ओर इश्क़ की बीमारी जिसे लग जाती हैं ना दोस्त, उसकी जिंदगी तबाह ही समझों तुम।

जिन्दगी है चार दिन की, कुछ भी ना गिला कीजिये, दवा, दारू, इश्क, जो मिले मज़ा लीजिये।

जिन्दगी है चार दिन की, कुछ भी ना गिला कीजिये, दवा, दारू, इश्क, जो मिले मज़ा लीजिये।

जाम पर जाम खुल गए उसकी याद में आखिर, ना वो लौटी , ना वो मोहब्बत, ना उसकी बातें।

जाम पर जाम खुल गए उसकी याद में आखिर, ना वो लौटी , ना वो मोहब्बत, ना उसकी बातें।

जनाब, दारू तो बेकार ही बदनाम है, इश्क़ की लत भी कुछ कम नहीं है।

जनाब, दारू तो बेकार ही बदनाम है, इश्क़ की लत भी कुछ कम नहीं है।

जब दवा दारू भी काम ना आए गमे दर्द में, तो बेसक चले जाओ अपने माँ बाप की शरण में।

जब दवा दारू भी काम ना आए गमे दर्द में, तो बेसक चले जाओ अपने माँ बाप की शरण में।

मुझे जिंदगी तो मस्त जीनी है, बस अब गम भुलाने के लिए, मुझे यारों दारू पिनी है।

मुझे जिंदगी तो मस्त जीनी है, बस अब गम भुलाने के लिए, मुझे यारों दारू पिनी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *