
लत लगाई गुलज़ार ने लिखने की, अब किसी से प्यार कैसे होए, नशा चढ़ाया कबीर ने दोहों का, अब दारू से नशा कैसे होए।

तेरी आँखे देशी दारू सी, तूने होठों से दारू पिलाई है, मेरा दिल है बर्फ का टुकड़ा सा, तू मेरे दिल मे आकर समाई है।
लत लगाई गुलज़ार ने लिखने की, अब किसी से प्यार कैसे होए, नशा चढ़ाया कबीर ने दोहों का, अब दारू से नशा कैसे होए।
तेरी आँखे देशी दारू सी, तूने होठों से दारू पिलाई है, मेरा दिल है बर्फ का टुकड़ा सा, तू मेरे दिल मे आकर समाई है।