कहने को शब्द नही लिखने को भाव नही दर्द तो हो रहा है पर दिखाने को घाव नही
गुरुर उनका कुछ ऐसे तोड़ दिया हमने अब उनको देख कर मुस्कुराना छोड़ दिया हमने
जिसका ये ऐलान है कि वो मजे में है या तो वो फकीर है या फिर नशे में है।
तुम्हें पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता, तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लंबी चलेगी.
एक अजीब सी बेचैनी है तेरे बिन, रह भी लेते हैं.. रहा भी नही जाता।।
अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएं कैसे, तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आए कैसे.!
कहानियां पूरी कैसे हों, जब किरदार अधूरे हैं.!!
इतना साफ मत रख अपने दामन को, लोग अगर गंगा समझ बैठे तो गंदा कर देंगे!
यही सोचकर ज्यादा शिकवा नही किया मैंने, की अपनी जगह हर कोई सही होता है..!
झट से बदल दूँ इतनी न हैसियत, न आदत है मेरी रिश्ते हों या लिबास मै बरसों…. चलाता हूँ….
हम पढ़कर किताब सीख लेंगे मोहब्बत सारी, जरूरी नही सब कुछ आजमा कर देखा जाए।
सफर ए जिंदगी में जब कोई, मुश्किल मकाम आया, ना गैरों ने तवज्जो दी, ना अपना कोई काम आया…!
सहमा सहमा डरा सा रहता है, ना जाने क्यों जी भरा सा रहता है।
दर्द मोहब्बत का ए दोस्त बहुत खूब होगा, न चुभेगा… ना दिखेगा… बस महसूस होगा..!
अपना कोई मिल जाता तो हम फूट के रो लेते, यहां सब गैर हैं तो हंस के गुजर जाएगी..!
तुझे सिर्फ अपना गम दिखता है, पर अफसोस तुझे कितना कम दिखता है।
हद से बढ़ जाए ताल्लुक तो गम मिलते हैं, हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं।
कुछ उसे भी दूरियाँ पसंद थीं , और कुछ मैंने भी वक़्त मांगना छोड़ दिया !
बिछड़ के तुझसे किसी दूसरे पर मरना है, ये तजुर्बा भी इसी जिन्दगी में करना है।
तुम्हारा साथ छूटने के बाद, बड़े हल्के से पकड़ता हूं अब मै सबकुछ.!
एक दूरी बनाए रखनी थी सबसे नजदीकियां निभाते हुए।
मेरी बेतुकी सी बातों पर वो हंसता बहुत था…. एक शख़्स मेरी खुशी के लिए जिन्दगी से लड़ता बहुत था..
मत देख वो शख्स गुनहगार है कितना, ये देख की तेरे साथ वफादार है कितना।
खामोश मोहब्बत का एहसास है वो, मेरे ख्वाहिश मेरे जज़्बात है वो, अक्सर ये ख्याल क्यूँ आता है दिल में, मेरी पहली और आखिरी तलाश है वो।
इश्क की राहों में जिस दिल ने शोर मचा रखा था, बेवफाई की गलियों से आज वो खामोश निकला.
बड़ी ख़ामोशी से गुज़र जाते हैं हम एक दूसरे के करीब से फिर भी दिलों का शोर सुनाई दे ही जाता है..
मेरी खामोशी थी जो सब कुछ सह गयी, उसकी यादें ही अब इस दिल में रह गयी, थी शायद उसकी भी कोई मज़बूरी, जो मेरी जिंदगी की कहानी अधूरी ही रह गयी
तड़प रहे हैं हम तुमसे एक अल्फाज़ के लिए तोड़ दो खामोशी हमें जिंदा रखने के लिए
चुभता तो बहुत कुछ है मुझे भी तीर की तरह लेकिन खामोश रहता हूं तेरी तस्वीर की तरह
खामोशी को इखतियार कर लेना अपने दिल को थोड़ा बेकरार कर लेना जिंदगी का असली दर्द लेना हो तो बस किसी से बेपनाह प्यार कर लेना
जब खामोश आंखो से बात होती है तो ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है तेरे ही ख्यालों में खोए रहते हैं ना जाने कब दिन और कब रात होती है
ख्वाहिश तो यही है कि तेरी बाहों में पनाह मिल जाए शमा खामोश हो जाए और शाम ढल जाए मोहब्बत तो इतना करें कि इतिहास बन जाए और तेरी बाहों से हटने से पहले ये शाम हो जाए
खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं, और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं…!
देख रहा हूं सह भी रहा हूं और खामोश भी हूं क्योंकि वक्त अभी आया नहीं मेरा
दिल चाहता है तुमसे प्यारी सी बात हो खमोश तराने हो लंबी सी रात हो फिर उनसे रात भर यही मेरी बात हो तुम मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरी कायनाथ हो
कोई तो हो जो घबराए मेरी खामोशी से, किसी को तो समझ आए मेरे लहज़े का दुःख…
खालीयो शिशा मे निशान रह जाला टूटल दिल मे भी अरमान रह जाला जवन खामोशी से गुजर जाला उ दरिय़ा भी आपन दिल मे तूफान राखेला !!
नेताओं की चीख में खामोशी का मधुर राग है लोकतंत्र में उंगली पर ये सबसे स्वच्छ दाग है।।
जिंदगी के लिये जान ज़रूरी है, जीने के लिये अरमान ज़रूरी है, हमारे पास हो चाहे कितना भी गम, लेकिन तेरे चहरे पर मुस्कान ज़रूरी है |
ज़िन्दगी जन्नत हो जाती है, जब लाइफ पार्टनर केयर करने वाला मिल जाता है।
चलो अब जाने भी दो यार क्या करोगे दास्तान सुनकर, खामोशी तुम समझोगे नहीं और बयां हमसे होगा नहीं।
तड़प रहे है हम तुमसे एक अल्फाज के लिए, तोड़ दो खामोशी हमें जिन्दा रखने के लिए।
खामोशी बयां कर देती है सब कुछ, जब दिल का रिश्ता जुड़ जाता है किसी से |
तेरी खामोशियों को पढ़कर खामोश हो जाता हूं, भला कर भी क्या सकता हूं गम-ए-आगोश हो जाता हूं |
क्यों करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मोहब्बत, लोग समजते है इस बदनसीब का कोई नहीं |
ब अल्फ़ाज नहीं बचे कहने को एक वो है, जो मेरी ख़ामोशी नहीं समझती।
ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना हामी भर लेना, बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता – जावेद अख़्तर
जब इंसान अंदर से टूट जाता हैं, तो अक्सर बाहर से खामोश हो जाता हैं.
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ, उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की – गुलज़ार
मेरी जिंदगी में मेरे दोस्तों ने मुझको खूब हँसाया, घर की जरूरतों ने मेरे चेहरे पर सिर्फ खामोशी ही लाया।
चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है, लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई |
तेरी खामोशी जला देती है इस दिल की तमन्नाओ को, बाकी सारी बातें अच्छी हैं तेरी तश्वीर में।
कभी सावन के शोर ने मदहोश किया था मौसम, आज पतझड़ में हर दरख़्त खामोश खड़ा है |
चलो अब जाने भी दो यार क्या करोगे दास्तान सुनकर, खामोशी तुम समझोगे नहीं और बयां हमसे होगा नहीं।
वो अब हर एक बात का मतलब पूछता है मुझसे फ़राज़, कभी जो मेरी ख़ामोशी की तफ्सील लिखा करता था |
ये मंजर जो दिख रहा है तेज आंधियों का, इससे पहले यहाँ एक ख़ामोशी भी छाई थी |
कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ, गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ, रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू, मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।
दिल चीर जाते हैं… ये अल्फाज उनके… वो जब कहते हैं हम कभी एक नहीं हो सकते।
रुतबा तो खामोशियों का होता है मेरे दोस्त… अलफ़ाज़ तो बदल जाते है लोगों को देखकर।
बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार |मुनाफा कम है,पर गुज़ारा हो ही जाता है ||
वो बेपन्हा प्यार करता था | गया तो मेरी जान साथ ले गया ||
आदतन तुमने कर दिए वादे, आदतन हमने ऐतबार किया | तेरी राहों में बारहा रुक कर, हमने अपमा ही इंतज़ार किया ||
खोना नहीं चाहते थे तुम्हें | इसलिए रिश्ते को नाम दोस्ती दिया ||
अकेला नहीं हूँ यार बस डर लगता है फिर से कोई, छोड़ गया तो क्या होगा मेरा ||
किसी की आदत हो जाना, मोहबत से भी ज्यादा खतरनाक है…
होने को तो सब जरुरी है, मगर सबसे पहले “तुम” हो..!!
कुछ होश नहीं रहता, कुछ ध्यान नहीं रहता | इंसान मोहबत में, इंसान नहीं रहता ||
नजाकत तो देखिये जनाब चाँद सा जब कहा उनको, तो कहने लगी… चाँद कहिए ना ये चाँद सा क्या है ?
मोहबत में बुरा वक़्त तब शुरू हो जाता है, जब वो किसी से बोल दे की मैं आपके बिना नहीं रह सकता…
जो हाथ की लकीर में नहीं था, ज़िन्दगी उसी से टकरा गई… ! !
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर, मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर लेकिन हद से गुजर जाने का नहीं…
कदर कर लिया करो कुछ लोग बार-बार नहीं, मिलते, और मेरी जैसी तो बिलकुल नहीं…
पूरा हक़ है तेरा मुझपे, तू सब जताया कर मैं ना भी पूछू फिर भी मुझे सब बताया कर…
न हक़ दो इतना की तकलीफ हो तुन्हें न वक्त दो इतना की गुजर हो उन्हें…
कुछ इस तरह से हमारी बातें कम हो गई.. कैसे हो पर शुरू और ठीक हो पर खत्म हो गई..
इश्क के भी अलग ही फसाने हैं। जो हमारे नही हैं हम उनके ही दीवाने हैं।।
वादों की तरह इश्क़ भी आधा रहा, मुलाकातें कम रहीं, इंतजार ज्यादा रहा
इश्क़ में यह बात मुझे रह रह कर खटकती है, दिल उसका भरा था मुझसे तो आंख मेरी क्यूं छलकती है।
जिंदगी जला ली हमने जैसी जलानी थी, शाहब अब धुएं पे तमाशा कैसा और राख पर बहस कैसी..!
ना अनपढ़ रहे, ना काबिल हुए खामखां ए जिन्दगी, तेरे स्कूल में दाखिल हुए..!
लाज़मी नही है कि हर किसी को मौत छू कर निकले, किसी किसी को छू कर जिंदगी भी निकल जाती है…
तकलीफ़ भी मिटी नही, दर्द भी रह गया, पता नही आंसुओं के साथ क्या-क्या बह गया.!!
कौन हूं, कहां हूं, क्या हूं, क्या नही हूं मैं खुद से खुद पे दस्तक दी और कह दिया नही हूं मैं
मेरे दिल की राख कुरेद मत, इसे मुस्कुरा के हवा न दे, ये चराग़ फिर भी चराग़ है, कहीं तेरा हाथ जला ना दे..
आग, ज़हर, मौत फिर सब प्यारी लगने लगती है, अपनी बेचारगी भी जब बेचारी लगने लगती है।
कोई दर्द से बच जाए, ये सवाल ही नही होता! क्योंकि, मोहब्बत के रास्ते पर अस्पताल ही नही होता।।
फासला दिल से ना हो बस यही दुआ करना, कभी यादों में, तो कभी ख्वाबों में, मिला करना..!
मोहब्बत गुजरी थी कभी अपने भी करीब से, बड़ा महंगा था मामला, संभाली ना गई मुझ गरीब से।।
जख्म तो आज भी ताज़ा है पर वो निशान चला गया मोहब्बत तो आज भी बेपनाह है पर वो इंसान चला गया
जिंदगी में कुछ हसीन पल यूं ही गुजर जाते हैं, रह जाती हैं यादें और इंसान बिछड़ जाते हैं
अक्सर गुजरती हैं रातें तेरी यादों के साथ अक्सर हर एक सवेरा नई आस लेकर आता है…
इस तरह भी होता है इश्क आजमाकर तो देख बिना मिले उम्र भर चलता है सिलसिला निभा कर तो देख
उनको भी हमसे मोहब्बत हो ज़रूरी तो नही, इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नही..
वक्त कम मिला साथ वक्त बिताने को, फिर एक जन्म लेंगे तुमसे मुकम्मल इश्क़ फरमाने को…
काबिल नही थे फिर भी हमने इकरार किया, उम्मीद नहीं थी लौटने की फिर भी इंतज़ार किया…
मुझे तुझसे कोई शिकवा या शिकायत नही, शायद मेरे नसीब में तेरी चाहत नही है, मेरी तकदीर लिखकर खुदा भी मुकर गया, मैने पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट नही है।
तमन्ना जब किसी की नाकाम होती है, जिंदगी उसकी एक उदास शाम होती है, दिल के साथ दौलत ना हो जिसके पास, मोहब्बत इस गरीब की नीलाम होती है!!
फिजूल हैं सारी दलीलें सब गवाह दीवानों की वकालत में सुकून का कानून ही नही है इश्क़ की अदालत में..
Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.