Apno Ke Liye Shayari in Hindi

अपनों के लिए दिल बड़ा कर दिखाना पड़ता है रिश्ते न उलझें गलतफहमी की डोरियों में इसलिए कभी-कभी जीती बाजी हार जाना पड़ता है.


सपने और अपने दोनों जिंदगी में जरूरी होते हैं क्योंकि सपनों के बिना सफलता नहीं मिलती और अपनों के बिना सफल होने पर भी खुशियाँ नहीं मिलती.


वैसे तो कई लोग जिंदगी में आते-जाते हैं लेकिन कुछ लोग अपनों से भी खास हो जाते हैं ऐसे लोग हमारे आसपास रहें या न रहें दिन-रात हमारी यादों को महकाते हैं.


अपनों की जिंदगी में खुशबु बनकर बिखर रहा हूँ अपनों का प्यार पाकर थोड़ा और निखर रहा हूँ ये खेल है जिंदगी का, कभी टूट रहा हूँ, कभी संवर रहा हूँ.


लोगों की भीड़ में, अपनों का साथ हमेशा खास होता है मानो या न मानो, कुछ रिश्तों का अलग हीं एहसास होता है.

सौ जतन किए मैंने उसे पाने के लेकिन वो कभी मेरा हुआ नहीं क्योंकि किस्मत में हो, तभी अपने साथ आते हैं किसी और तरीके से लोग अपने नहीं बनाये जाते हैं.


मैं भी कभी, किसी के इश्क में धोखा न खाती कौन अपना है, कौन पराया अगर मैं ये पहचान जाती.


हर किसी की ख्वाहिश होती है कि कोई उसका अपना हो प्यारी सी दो आँखों में किसी का खूबसूरत सपना हो.


माना कभी अपने हमें रुलाते, तो कभी हँसी दे जाते हैं लेकिन ये अपने हीं, दुनियादारी की सच्ची तस्वीर दिखाते हैं.

खुद को मेरा अपना बताना और दूसरों से वफ़ाएं निभाना यही उस बेवफा का था अंदाज पुराना.


बस मेरी इतनी खता रही मैं वफा रहा और वो बेवफा रही.


जमाने में किसी को अपना समझना जरा सम्भलकर क्योंकि कई लोग घूम रहे हैं अपनेपन का ढोंग कर.


अपनों से मेरे रिश्ते इसलिए तार-तार हुए क्योंकि मैंने कुछ वहम पाल लिए थे और उन्होंने कुछ अहम पाल लिए थे.


मुश्किलों का दौर जो आएगा तो तुम भी जान जाओगे कि आसपास की भीड़ में कौन अपना है, और कौन नहीं.


गरीबी जिंदगी का अक्सर रुख मोड़ देती है ये अपनों के साथ होने का भ्रम तोड़ देती है.


उसने भी अपनों की कीमत जान ली होती कभी किसी ने उसकी तबियत तक जो पूछी होती.


इस जमाने में किसी से कोई शिकायत नहीं मुझे क्योंकि लोग तो हैं ढेरों लेकिन इनमें कोई मेरा अपना नहीं.


ए हवा मेरे अपनो को पैगाम देना  खुशियों का दिन हँसी की श्याम देना  जो पढ़े इस मेरी शायरी को उसके  चहेरे पर मीठी सी मुस्कान देना।


हँसना और हँसाना आदत हे मेरी  हर कोई खुश रहे ये दुआ हे मेरी  चाहें कोई मुझे याद करे या न करे  लेकिन अपनो को याद करना आदत में मेरी


अक्शर अपने ही अपनो से  करते हे अपनेपन की अभिलाषा  पर अक्शर अपनो ने ही बदल दी हे  अपनेपन की परिभाषा।


अपनो की इमायात ख़त्म नहीं होती  रिश्तों की महक दूरियों से कम नहीं होती  जीवन में अगर साथ हो अपनो का तो ये  ज़िन्दगी जन्नत से कम नहीं होती।


दुनिया से हम लड़ सकते हे  मगर अपनो से नहीं लड़ सकते  क्योकि अपनो के साथ मुझे  जितना नहीं हे बल्कि जीना हे।


कितना अजीब लगता हे जब  बादल हो और बरसाद न हो  जब मोहब्बत हो और प्यार न हो  और जब कोई अपना हो और साथ न हो।


ज़िन्दगी मिली हे जीने के लिए  उसे खुलकर जीना सीखो  हर पल हर दिन खुश रहो क्योकि  तुमको खुश देखके हम भी खुश होते हे।


सुख और दुःख में हम – तुम  यु ही हर पल साथ रहेंगे  एक जन्म नहीं बल्कि सातों जनम  हम पति – पत्नी बन के आएंगे।


ना कोई मंजिल चाहिए हमें  और ना ही कोई पहचान चाहिए हमें  बस एक ही दुआ हे हमारी उस रब से  की अपनो के चहेरे पर हमेंशा मुस्कान चाहिए


रिश्तों में कभी मेरा भरोसा न टूटे  दोस्ती का साथ कभी मुझसे न छूटे  ए खुदा मुझे संभाल लेना गलती से पहले  कही मेरी गलती से मेरा कोई अपना न रूठे।


वो आजकल अपना होने का दावा करते हे  मुझे मालूम हे वो दिखावा करते हे  पीठ पीछे मेरी करते रहते हे बुराई और  मुँह पे वाह – वाह किया करते हे।


क्या करना शिकायत गैरो पर  हमें तो अपनो ने ही दगा किया हे  अपना समझते थे हम जिनको  हम पर वार उसने ही किया हे


कब तक साथ निभाते हे ये लोग  यादो की तरह भुला देते हे लोग  वो और जमाना था जब लोग रोते थे गैरो के लिए  और आज अपनो को रुलाकर मुस्कुराते हे ये लोग


किसी को शायरी पसंद हे तो  किसी को गजल पसंद हे  औरो का तो मुझे पता नहीं मगर   मुझे तो अपनो की मुस्कान पसंद हे


अपनो के साथ कभी वक्त का पता नहि चलता  लेकिन अपनो का पता चलता हे वक्त के साथ  वक्त नहीं बदलता अपनो के साथ  पर अपने जरूर बदल जाते हे वक्त के साथ।


जहा याद न आये आपनो की  वो तन्हाई किस काम की  बिगड़े रिश्ते न बने तो वो  खुदाई किस काम की  जाना हे मुझे अपनी मंजिल पर  मगर जहाँ से अपने न दिखे  वो मंजिल किस काम की।


सुबह का उजाला हमेंशा आपके साथ हो  हर पल हर दिन आपके लिए खास हो  निकलती हे दिल से ये दुआ आपके लिए  की सारी खुशियाँ हमेंशा आपके पास हो।


चाँद की चांदनी का नूर आप पर बरसे  आप के ऊपर अपनो का प्यार बरसे  खुदा से बस यही दुआ करते हे हम की  आप ख़ुशी के लिए नहीं बल्कि  ख़ुशी आपके के लिए तरसे


अपनो की चाहत में  मिलावट थी इस कदर  की तंग आके में दुश्मनो को  मनाने चला गया।


सो जा ए दिल की अब  धुंध बहुत हे इस शहर में  अपने जो दिखते नहीं और  जो दिखते हे वो अपने नहीं


हर वक्त वक्त को बदल देता हे  छोटे से जख़्म को नासूर कर देता हे  कौन चाहता हे भला अपनो से दूर होना  वक्त हर किसी को मजबूर बना देता हे।


वक्त निकालकर बातें किया करो  अपनो से क्या पता कल वक्त हो  मगर बात करने वाला कोई अपना न हो।


सारी ज़िन्दगी तन्हा गुजारी हमने  अपनो से दिल की बाजी हारी हमने  हम तो मरे हे तेरे शब्दों की मार से  वरना ज़िन्दगी पर आई मौते तो मारी हमने


ए ज़िन्दगी तू सच में बहुत ही  खूबसूरत हे,  मगर ये भी सच हे की तू अपनो  के बिना बिलकुछ अच्छी नहीं लगती।


दुसरो को नहीं मैने तो खुद  अपनो को आजमाया हे  मैने हर एक की तन्हाई दूर की हे  फिर भी हर मोड़ मैने खुद को तन्हा पाया हे


जरा सी गलती पर यु ना छोड़  किसी अपने का दामन  ज़िन्दगी बीत जाती हे  अपनो को अपना बनाने में।


बहुत अकेला कर दिया हे मुझे  मेरे अपनो ने ही  समझ नहीं आता की बुरे हम हे  या फिर हमारी किस्मत।


तुम ही हो दुनिया तुम ही हो जीवन  तुम ही हो मेरी सांसो की पहचान  साथ तुम्हारे बसी हे खुशियाँ मेरी  तुम्हारा साथ ही हे मेरा अरमान


उसका और मेरा रिश्ता भी  कितना बड़ा अजीब हे  पास रह नहीं सकते और  दूर रहा नहीं जाता।


मैने देखे हे अपनो के लिबास में  बहुत सारे धोखेबाजों को  मगर तुम जैसे धोखा देना का हुनर मैने  आज तक किसी और में नहीं देखा।


सोचा था हमने कभी की किस्मत  को भी बदल देंगे अपनो के साथ से  पर अपने तो खुद ही बदल गए  किस्मत की हिसाब से।


तेरी याद अब ज़िन्दगी से  भुलाई नहीं जाती ,  और अपनो से दुश्मनी  कभी निभाई नहीं जाती।


तुम मेरे गुस्सा करने पर  कभी मायूस मत होना क्योकि  गुस्सा अपनो पर ही किया जाता हे  और आप तो मेरी जान हो।


हजारों खामियाँ होगी मुझ में  मगर एक खूबी ये भी हे की  आज तक मैने कभी अपनो को  पराया नहीं किया।


होश का पानी छिड़को  मदहोशी की आँखों पर  कभी अपनो से न उलझो  गैरो की बातों पर


मोतियों की तरह होते हे  ये अपने भी अगर कोई गिर जाये  तो झुक कर उठा लेना चाहिए।


सीखा दिया ये दुनिया ने मुझे अपनो पर भी शक करना वरना   हमारी फितरत तो थी गैरो पर  भी भरोसा करना।


हे माता रानी बस एक कृपा करना  मेरे अपनो पर सदा ही अपनी कृपा  बनाये रखना।


कभी – कभी अपनो को अपना  होने का एहसास दिलावो वरना  क्या पता वक्त आपके अपनो को  आपके बिना जीना सीखा दे।


एक चाहत होती हे साहब  अपनो के साथ जीने की  वरना मामूल हमें भी हे की एक दिन ऊपर अकेले ही जाना हे।


अगर ये बुरा वक्त न आया होता तो  मुझे शायद अपनो में छुपे गैर और  गैरो में छुपे अपनो का पता न लगता।


वक्त बदल जाने से उतनी  तकलीफ नहीं होती हे   जीतनी किसी अपने के बदल  जाने से होती हे


जब तक ना लगे  बेवफाई की ठोकर  तब तक हर किसी को अपने  महबूब पे नाज़ होता हे।


सहारा तो बहुतो का मिला हमें  पर बे सहारा भी अपनो ने ही किया हमें


वक़्त नूर को बेनूर कर देता है, छोटे से जख्म को नासूर कर देता है, कौन चाहता है अपनों से दूर रहना, पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है।


 किसी को दिल दीवाना पसंद है, किसी को दिल का नजराना पसंद है, औरों की तो मुझे ख़बर नही लेकिन, मुझे तो अपनो का मुस्कुराना पसंद है।


 वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ, पर अपनों का पता चलता है वक़्त के साथ, वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ, पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ।


एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं, और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं।


होने वाले ख़ुद ही अपने हो जाते हैं, किसी को कहकर अपना बनाया नहीं जाता।


 मुझे गुमान था कि चाहा बहुत सबने मुझे, मैं अज़ीज़ सबको था मगर ज़रूरत के लिए।


सो जा ऐ दिल कि अब धुन्ध बहुत है तेरे शहर में, अपने दिखते नहीं और जो दिखते हैं वो अपने नहीं।


 कुछ लोग तो इसलिये अपने बने हैं अभी, कि मेरी बर्बादी का दीदार करीब से हो।


मुंबई में दिन-रात दौड़ती है जिन्दगी चंद ख्वाहिशें पूरी करने के लिए, अपनों से बिछड़ना बड़ा दुःख देता है पर यहाँ जिन्दगी जीते है मरने के लिए.


कुछ खूबसूरत से पल किस्सा बन जाते हैं, जाने कब जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं, कुछ लोग अपने होकर भी अपने नहीं होते, और कुछ बेगाने होकर भी जीवन का हिस्सा बन जाते है।


छोटी सी है जिंदगी हँस के जियो, भुला के सारे गम दिल से जियो, उदासी में क्या रखा है मुस्कुरा के जियो, अपने लिए न सही अपनों के लिए जियो।


ऐ मेरे दिल मत कर इतनी मोहब्बत तू किसी से, इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा, एक दिन टूट कर बिखर जायेगा अपनों के हाथों से, किसने तोड़ा ये भी किसी से कह नहीं पायेगा।


आखिर क्यों बनाया मुझे ए बनाने वाले, बहुत दर्द देते हैं ये जमाने वाले, मैंने आग के उजाले में कुछ चेहरे देखे, मेरे अपने ही थे मेरे घर को जलाने वाले।


किसी को दिल दीवाना पसंद है, किसी को दिल का  नजराना पसंद है, औरों की तो मुझे ख़बर नही लेकिन, हमे तो अपनो का मुस्कुराना पसंद है।


अपनों के साथ वक़्त का पता नहीं चलता, पर अपनों का पता चलता है वक़्त के साथ, वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ, पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ।


ठहरती नहीं ज़िन्दगी कभी किसी के बिना, पर ये गुजरती भी नही अपनों के बिना।

जो साथ छोड़ दे वो अपने कैसे, जो मुकम्मल न हों वो सपने कैसे।


साँसों का टूट जाना तो बहुत छोटी सी बात है दोस्तो, जब अपने याद करना छोड़ दें मौत तो उसे कहते हैं।


लकड़ी के मकानों में चिरागों को न रखिये, अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते।


ये कह कर मेरे दुश्मन मुझे छोड़ गए, कि तेरे अपने ही काफी हैं तुझे रुलाने के लिए।


ज़िन्दगी में यह हुनर भी आजमाना चाहिए, अपनों से अगर हो जंग तो हार जाना चाहिए।


सो जा ऐ दिल कि अब बहुत धुन्ध है शहर में तेरे, अपने दिखते नहीं और जो दिखते हैं वो अपने नहीं।


कुछ लोग तो इसलिये अपने बने हैं अभी, कि मेरी बर्बादी का दीदार नजदीक से हो।


गैरों से मुहब्बत होने लगी है आजकल मुझे, जैसे जैसे अपनों को आजमाता जा रहा हूँ।


अपने अहम् को थोड़ा-सा झुका के चलिये, सब अपने लगेंगे ज़रा-सा मुस्कुरा के चलिये।


छोटी सी है ज़िन्दगी हँस के जियो, भुला के सारे ग़म दिल से जियो, उदासी में क्या रखा है मुस्कुरा के जियो, अपने लिए न सही अपनों के लिए जियो।


फूल बनकर मुस्कुराना ही ज़िन्दगी है, मुस्कुरा कर ग़म भुलाना ही ज़िन्दगी है, जीत कर कोई खुश हो तो अच्छा है, हार कर भी खुशियाँ मनाना ही ज़िन्दगी है।


रुकी रुकी-सी जिन्दगी अब चल पड़ी है शायद ये किसी अपने की दुआ का असर है।


जख्म भरे दिल में भी बहार लायेगी अपनों की मोहोब्बत…….. बस जिन्दगी में प्यार लायेगी।


हर याद जिन्दगी की अब भुलाई नहीं जाती और अपनों से दुश्मनी कभी निभाई नहीं जाती।


गमों के हर पल हम ख़ुशी से जिया करते है और ख़ुशी के पल में हम अपनों को याद किया करते है।


रिश्तों में अपनेपन का स्वाद चाहती है जिंदगी दिल में मोहोब्बत और मीठा प्यार चाहती है जिन्दगी


चेहरे पर हंसी और आँखों में नमी शायद किसी अपने की याद आ गयी फिर।


कुछ ख़मियाँ है शायद मुझमे तभी कोई अपना अब मुझे याद नहीं करता।


अपनों की साजिशों से परेशान जिन्दगी गैरों से पूछती है तरीका निजात का……- अज्ञात


साजिशें हजार हुई जिन्दगी में मगर हर साजिश में हाथ अपनों का रहा।


अपनों की आड़ लेकर ये गैरों सी नफरत दिखाते है कुछ अपने अपने हो कर भी जख्म दे जाते है।


छूट गये हर रिश्ते जिन्दगी की दौड़ में क्यूंकि अब अपने ही लगे है अपनों होड़ में।


जख्म भरे दिल से पूछो की कितनी साजिशों में उसने अपनों को पाया है


अपनों को भुला कर तुम भी जी नहीं पाओगे रोओगे जिन्दगी भर मगर किसी से कह नहीं पाओगे।

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