An “angry word” typically refers to a harsh or hostile statement spoken in a fit of anger or frustration.These words can be hurtful and damaging to relationships, as they often convey negative emotions and can lead to misunderstandings or conflicts. It’s essential to communicate openly and calmly in relationships to avoid resorting to angry words, as they can have long-lasting repercussions and damage trust between individuals. Effective communication and conflict resolution skills are essential to maintain healthy and respectful relationships, allowing people to address issues without resorting to anger and hurtful language.I can’t believe the level of incompetence I’ve witnessed today! It’s as if no one in this entire organization knows how to do their job properly. The sheer laziness and lack of accountability are infuriating. I’ve had it with the constant excuses and empty promises. If things don’t start improving soon, heads are going to roll, and I won’t be holding back my anger any longer. This is unacceptable, and I demand immediate action! Absolutely, here’s another paragraph with an even stronger angry tone: This is an absolute disaster! I am beyond furious at the utter disregard for basic common sense and decency. It’s like dealing with a bunch of toddlers who can’t follow simple instructions. The sheer audacity of some people to waste my time and act as if they have no responsibility is mind-boggling. I’ve had enough of this nonsense, and I won’t tolerate it any longer. Heads are going to roll, and I won’t rest until I see real change. This level of incompetence is inexcusable, and I demand immediate and drastic measures to fix it!
मेरे गुस्सा पर गुस्सा करने वाले ही मिले मुझे मनाने वाला तो कोई हैं ही नहीं!!!
आज दिल कर रहा था बच्चों की तरह रूठ ही जाऊ पर फिर सोचा क्या फायदा मनायेगा कौन!!!
गुस्सा होने के बाद भी एक दुसरे की परवाह करना यही तो सच्चे रिश्ते की निशानी हैं!!!
कहने को तो अनेक शिकायते थी उनसे वो जरा सा पास क्या आये सारा गुस्सा मोम सा पिघल गया!!!
क्या खाक तरक्की की हैं Medical Science ने इश्क का रोग आज भी लाईलाज हैं!!!
मेरी जिद्द भी तुमसे कम नहीं होगी कभी तुम्हारा गुस्सा कम नहीं होगा तो मेरा प्यार भी कम नहीं होगा!!!
अगर तुमसे कोई गुस्सा बार-बार हुए जा रहा हैं तो इसका मतलब आप उसके लिए बहुत Special हो!!!
बेहद गुस्सा करते हो आजकल नफरत करने लगे हो या मोहब्बत ज्यादा हो गयी!!!
मन तो मेरा भी करता हैं नाराज होने का पर फिर याद आया की मनाने वाला तो कोई नहीं हैं!!!
जहर भी Fail हैं कुछ लोगो की जबान के आगे!!!
गुस्से में बिछड़ने का फैसला लिया उसने बर्बाद मुझे अपनी चाहत में किया उसने हम देते रहे तोहफे हरजाई को वफ़ा के दाग जुदाई का मोहब्बत में दिया उसने!!!
सितम सारे हमारे छांट लिया करो नाराजगी से अच्छा हैं डांट लिया करो!!!
ना जाने क्यों वो हमसे गुस्सा हुए बैठे हैं बात करना तो दूर की बात वो हमारी शक्ल तक देखना भी नहीं चाहते हैं!!!
बहार से गुस्सा दिल से प्यार करते हो नजरे चुराते हो दिल बेकरार करते हो लाख छुपाओं दुनियां से मुझे पता हैं तुम खुद से भी ज्यादा मुझे प्यार करते हो!!!
गुस्सा उस पर नहीं खुद पे आता हैं की मैंने उसे इतना प्यार ही क्यूँ किया!!!
मैं मुस्कुरा कर अपनी किस्मत पे सारा गुस्सा उतार देता हूँ!!!
कभी वो गुस्सा करती हैं कभी हम गुस्सा करते हैं भूल जाते हैं हर बार पर दोबारा वही किस्सा करते हैं!!!
2 मिनट का गुस्सा जिंदगी भर के लिए रिश्तों को खत्म कर सकता हैं!!!
कभी-कभी गुस्सा मुस्कराहट से भी ज्यादा स्पेशल होता हैं क्योंकि स्माइल तो सबके लिए होती हैं मगर गुस्सा सिर्फ उनके लिए होता हैं जिन्हें हम खोना नहीं चाहते!!!
गुस्सा आना सबके लिए जरुरी हैं पर उसे निकालना कहा हैं ये समझना ज्यादा जरुरी हैं!!!
सबसे ज्यादा गुस्सा खुद पर तब आता हैं जब प्यार भी हम करे इंतजार भी हम करे जताये भी हम और रोये भी हम!!!
उनका गुस्सा और मेरा प्यार एक जैसा हैं क्यूंकि ना तो उनका गुस्सा कम होता हैं ना प्यार!!!
तुझे गुस्सा दिलाना एक साजिश हैं मेरी तेरा रूठ कर मुझपर यूँ हक़ जताना अच्छा लगता हैं!!!
कैसे कह दे की उनके कुछ नहीं लगते हम उनके गुस्से पर आज भी हमारा ही हक़ हैं!!!
तुम्हारा तो गुस्सा भी इतना प्यारा हैं की दिल करता हैं दिनभर तुम्हे तंग करते रहे!!!
तुम्हे गुस्सा करने का हक़ हैं मुझ पर नाराजगी में ये मत भूल जाना की हम बहुत प्यार करते हैं तुमसे!!!
मैं बदला नहीं आजकल बस अंदाज सही हैं खामोश रहता हूँ पर गुस्से का मिजाज वाही हैं!!!
गुस्से में आदमी बेकार की बाते तो करता हैं मगर कई बार दिल की बात भी कर जाता हैं!!!
नफरत और गुस्सा आता हैं खुदपर के क्यों आपसे दिल लगाया लेकिन आपने तो मासूम से अरमानों को आसानी से मरोड़कर रख दिया!!!
अगर तुम यही चाहते हो की मैं कभी भी Sad ना रहूँ तो Please कभी गुस्सा होकर मुझसे दूर मत जाना!!!
तेरा रूठ जाना क्या उस चाँद का शरमाना क्या बदल दूँ या बदल जाऊ फिर मैं क्या जमाना क्या!!!
बहुत गुस्सा आता हैं ना जब हम किसी की खुद से ज्यादा Care करे और वो हमारी केयर को समझे बिना ही हमारे साथ Rudely Behave करे!!!
दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता हैं होश जब आता हैं तो वक्त निकल जाता हैं!!!
मेरा गुस्सा वहाँ पर ख़त्म हो जाता हैं जहाँ प्यार से वो पगली बोलती हैं अच्छा बाबा Sorry!!!
मोहब्बत में गुस्सा वही करता हैं जिसमे मोहब्बत कूट-कूट के भरी होती हैं!!!
गुस्सा इतना हैं की तुमसे कभी बात भी ना करूँ फिर भी दिल मैं तेरी फिक्र खुद से ज्यादा हैं!!!
गुस्सा आता ही नहीं तुम्हारी किसी बात का ना जाने कितनी मोहब्बत हो गई हैं तुमसे!!!
तुम्हारा तो गुस्सा भी इतना प्यारा लगता हैं की दिल करता हैं दिन भर तुम्हे ही तंग करते रहे!!
हर चेहरे पर उदासी हैं गम हैं या फिर गुस्सा हैं शहर में ये कौन सी खैरात बंट रही हैं इन दिनों!!!
उसने गुस्से से कहा आपकी तारीफ हमने भी प्यार से कहा जी भर के कीजिये!!!
गुस्से में जो छोड़ जाये वो वापस आ सकता हैं मुस्कुराकर छोडकर जाने वाला कभी वापस नहीं आता!!!
हमारा रूठना-मनाना तो लगा रहता हैं हमारी आँखों में प्यार उनके चेहरे पर गुस्सा तो सदा रहता हैं!!!
गुस्सा तब आता हैं जब कोई इन्सान हमें उसकी Life का इक लम्हा तक नहीं समझता और हम उसे अपनी जिंदगी समझ लेते हैं!!!
राज ना हो अगर प्यार में तो वो प्यार कैसा रूठना ना हो जहाँ पर वहाँ मनाना कैसा प्यार करने वाला ही गुस्सा करता हैं तकरार ना हो जिससे कभी वो यार कैसा!!!
हमारा रूठना-मनाना तो लगा रहता हैं हमारी आँखों में प्यार उनके चेहरे पर गुस्सा तो सदा रहता हैं!!!
बेशक तुम्हे गुस्सा करने का हक हैं मुझ पर नाराजगी में कहीं ये मत भूल जाना की हम बहुत प्यार करते हैं तुमसे!!!
क्रोध में भी शब्दों का चुनाव ऐसा होना चाहिये की कल जब गुस्सा उतरे तो खुद की नजरों में शर्मिंदा ना होना पड़े!!!
हर दम मुझे उनकी नजर देखे वही आये नजर हम जिधर देखे गुस्से से मुँह फुलाए बैठी हैं वो कहाँ जाये अब हम और किधर देखे!!!
पता नहीं कितना प्यार हो गया हैं तुमसे गुस्सा होने पर भी तुम्हारी बहुत याद आती हैं!!!
गुस्से में बोला गया एक कठोर शब्द इतना जहरीला बन सकता हैं की आपकी हजार प्यारी बातों को एक मिनट में नष्ट कर सकता हैं!!!
हम से गुस्सा सिर्फ वही लोग होते हैं जो हम पर अपना हक़ समझते हैं!!!
गुस्सा इतना की पूछो मत और मासूमियत ऐसी की कभी देखी नहीं!!!
किस बात पर गुस्सा ये पूछने वाला हो तो मुस्कान कभी नहीं जाती!!!
गुस्से और गुरुर में कही बातें रिश्ते यादों में बदल देती हैं!!!
फिक्र दिल में होती हैं लफ्जों में नहीं और गुस्सा लफ्जो से होता हैं दिल से नहीं!!!
” जिन्हे गुस्सा आता है, वो लोग सच्चे होते है.. मैंने झूठो को अक्सर मुस्कराते हुए देखा है “
” अब अकेला ही रहने दो यार.. तंग आ गया हूँ ,ये रोज़-रोज़ के गुस्से से “
” छोटी-छोटी बाते दिल मे रखने से.. बड़े-बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते है “
गुस्सा आना सबके लिए जरूरी है.. पर गुस्सा निकालना कहा है ? .. ये समझना जरूरी है “
” गुस्से मे भी उसका प्यार दिखता है.. तकलीफ़ भले मुझको दे, दर्द उसको होता है “
” हम खुल के जिंदगी जिया करो.. हसी के घूंट पिया करो.. दिल रोने सा लगता है.. तुम यूँ ग़ुस्सा ना किया करो “
” तुम्हारे चेहरे पर गुस्सा देख कर ना जाने क्यूँ..तुम पर और भी प्यार आता है “
” गुस्से मे बड़े क्यूट लगते हो.. ये गलत फेहमि है आपकी.. आइने मे देखो जाके एक बार.. तुम एक जंगली भूत लगते हो “
” मासूम-सी आँखो मे मासूम-सा अब कुछ ना रहा.. रहने को गुस्सा और दर्द तो रहा, बस भरोसा ही नही रहा “
” तेरी नज़रे झुकी है.. कोई कमाल किया है क्या ? मुह क्यों है टिंडे जेसा फुला हुआ .. फिर तुम्हे गुस्सा आया है क्या ? “
” ज़िन्दगी को कुछ ऐसे जीना है.. धोखा खाना और गुस्सा पीना है “
” टिड्डी सा इश्क तेरा.. मच्छर सा दिल है.. गुस्से से मुह है इतना फुलाया.. मुह है या बतख का घर है “
” लड़ते बहुत है.. गुस्सा भी बहुत है.. मगर गुस्सा बाहर से है.. मोहब्बत अंदर से है “
” दो मिनट का मज़ा है प्यार मे.. फिर वो होंगे गुस्सा.. फिर लुट जाना तुमारा संसार है “
” नफ़रत भी नही है.. गुस्सा भी नही हूँ .. पर तेरी ज़िन्दगी का अब.. हिस्सा भी नही हूँ “
ना जाने किसकी लगी है नज़र.. पर मे हुआ हूँ क्या नाकाम.. अब गुस्सा ही आता है अक्सर “
” एक पल मे खिलखिला कर हँसती है.. एक पल मे गुस्से से तिलमिलाती है.. कुछ ज़िन्दगी सी है माशूका मेरी “
” दिल की दहलीज़ पर जिसका नाम था.. गुस्से मे अब वो मिल सा गया है “
” तेरे गुस्से पर मुझे आज बहुत प्यार आया.. कोई तो है जिसने मुझे इतने हक़ से धमकाया “
” मुह फुलाए रहना है अब अकेला.. क्योंकि अब मुह देखने वाला साथ नही है “
” नाराजगी उतनी ही जाहिर करो.. जितना कसूर है मेरा.. ज्यादा प्यार और गुस्से से रिश्ते.. टुटते है “
” गुस्सा तो बहुत है मुझे यूँ छोड़ के जाने का, उम्मीद भी उतनी है फ़िर से लौट कर आने की “
” अजनबी हो गया हूँ शायद गुस्से मे.. पर ये अकेलापन आदत बन गया है “
” प्यार इतना कि,, मुझे पाने को हर वक्त खुदा से इबादत किया करती थी.. और गुस्सा इतना कि,, मुझसे लिपटकर मेरी शिकायत किया करती थी “
” रूबरू था कोई शख्स आइने मे मुझसे.. गुस्से मे देखकर मुझे , वो रोने लग गया “
” बादलो का गरजना..और बारिश का बरसना मुझे दो चीज़ो की याद दिलाता है.. तुम्हारा गुस्से मे गरजना और मेरे अश्क़ो का बरसना “
” ना प्यार करने वाला चाहिए.. ना साथ देने वाला चाहिए.. हमे चाहिए ही नही ऐसा कोई रिश्ता.. जो हमे, हमसे ही अलग कर दे “
कभी-कभी इंसान गुस्से मे ही सही.. सच बयान कर ही देता है.. वो सच ,,जो वो खुद से भी छिपाता फिरता है
” रिश्ते कभी नही बदलते.. पर रिश्ते निभाने वाले ! चंद लम्हे लगते है,,उनको बदलने में “
” ये जो मेरे गुस्से को भी मुस्कुराहट मे बदल देते हो.. बस यही वजह कि तुम दिल को इतना भाते हो “
” कदर करना सिख लो.. क्योंकि ना जिन्दगी दुबारा मिलती है ना लोग “
” रिश्तों मे मिठास लाने के लिए,, कई ज़हर पिये है मैंने भी,, इसलिए लोग पूछते है,, अब गुस्सा क्यो नही आता मुझे “
” ख्वाब ही तो था, जो टूट गया.. खुदा मान बैठा था जिसको.. वो अपना मुझसे रूठ गया “
” गुस्सा उन बादलो की तरह है.. जो बरसने से पहले बहुत गर्मी करते है.. और आंसू उस बारिश की तरह है.. जो बरसने के बाद बहुत ठंडक देते है “
” कैसे कह दे कि उनके कुछ नही लगते हम.. उनके गुस्से पर आज भी हमारा ही हक है “
” गुस्से का कोई इलाज नही.. चाहे दोस्ती हो या हो प्यार.. सब उजाड़ ही देती है “
” किस बात पर गुस्सा है.. ये पूछने वाला हो तो.. मुस्कान क़भी नही जाती “
” मुझे तुम्हारा किस्सा पसंद है.. इस किससे मे मेरा हिस्सा पसंद है.. ये जो तुम चेहरा लाल कर देखती हो मुझे.. खुदा कसम ! मुझे ये तुम्हारा गुस्सा पसंद है “
किसी ने एक नाराज शख्स से पूछा की गुस्सा क्या है, उसने बहुत खुबसूरत जवाब दिया की दूसरे की गलती की सजा खुद को देना
गुस्सा, नाराज़गी, शिकायतें सब अपनो से होता हैं अफसोस तुम्हारी लापरवाही ने ये हक़ अब खो दिया
मुझे उसकी मासूम अदा बहुत भाती है नाराज़ मुझसे होती है और गुस्सा सबको दिखाती है।।
कभी वो गुस्सा करती हैं,कभी हम गुस्सा करते हैं । भूल जाते हैं,हर बार,पर दोबारा वही किस्सा करते हैं ।।
कितना गुस्सा था मन में मेरे, उसके दो आँसू देखकर ही बह गया
बेपनाह मोहब्बत का एक ही उसूल है मिले या ना मिले तू हर हाल मे कबूल है !
मीठे का शौक इसलिए भी रखते है क्योकी ज़िन्दगी की हकीकत बहुत कड़वी है !
इस दुनिया मे ऐसा कोई भी व्यक्ति नही जो आपको गुस्सा दिला सके सब खेल आपके मन का है !
गुस्से के कुछ अलग स्वभाव है मिनटो मे यह सबके भाव बदल देता है !
Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.