किस्मत या भाग्य जैसे महत्वपूर्ण तत्वों का हिंदी संस्कृति में हमेशा से विशेष स्थान रहा है। पीढ़ियों से किस्मत की अनिश्चितताओं और चुनौतियों के बावजूद इसकी ताकत को स्वीकार किया गया है। शायरी जैसी कलाविधियों के माध्यम से इस ताकतवर भावना की अभिव्यक्ति हुई है। किस्मत पर कई तरह की शायरियाँ लिखी गयी हैं जो प्रेम, संघर्ष, समर्पण और कर्म के सिद्धांत पर आधारित हैं।
किस्मत शायरी के विषय
प्रेम व नियति – कई शायरों ने प्रेम और किस्मत के गहरे संबंध को चित्रित किया है। यहाँ किस्मत ही दो आत्माओं को एक साथ लाती है या अलग करती है।
आशा व संघर्ष – कुछ शायरी में भाग्य की अनिश्चितताओं के बावजूद इंसानी आत्मा की दृढ़ता और आशा की शक्ति का बखान किया गया है। संघर्ष और धैर्य महत्वपूर्ण है।
स्वीकारोक्ति व आत्मसमर्पण – कुछ शायरी अपनी लिखी हुई किस्मत को स्वीकार करने पर आधारित हैं – चाहे वह चुनौतीपूर्ण क्यों न हो। ये समर्पण भाव को दर्शाती हैं।
कर्म व प्रतिफल – शायरी में कर्म के सिद्धांत पर भी जोर दिया गया है जहाँ हर कर्म का फल अवश्य मिलता है और भाग्य इसी के आधार पर पुरस्कृत या दंडित करता है।
प्रार्थना व ईश्वरीय हस्तक्षेप – किस्मत पर भगवान की मर्जी भी कार्य करती है, ऐसा कई शायरों ने माना है। उनके शब्दों में प्रार्थना से भाग्य बदल सकता है।
किस्मत शायरी के उदाहरण
लिखी है जो किस्मत में, वो मिटा नहीं सकता कोई…
मोहब्बत हो तो किस्मत बदल देती है…
हवाओं से लिखी है मेरी कहानी…
तेरे दर पे आकर दुआ मांगते हैं…
बदलता नहीं ये किस्मत कैसी है इसकी फितरत, सोचता हूँ खरीद लू पर लेता नहीं ये रिश्वत..
किस्मत मात्र एक छलावा है कर्म के गीत गाओ, हो गई सुबह ख्वाब छोड़ो हकीकत से आँख मिलाओ..!!
जो क़िस्मत में होगा वो ख़ुद चलकर आएगा, जो नहीं होगा वो पास आकर भी दूर चला जाएगा..!!
किस्मत कि लकीरों में तुम लिखे हो या नही पता नहीं, पर हाथों की लकीरों पे तुम्हें हर रोज लिखता हूँ..!!
मुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो, देर से किस्मत खुलने वालो का दुगुना फायदा हो..!!
क़िस्मत मे है जो लिखा वो आखिर होकर रहता, हैं चंद लकीरें उलझी सी हाथों में रखा ही क्या..!!
किस्मत अपनी अपनी है, किसको क्या सौगात मिले, किसी को खाली सीप मिले, किसी को मोती साथ मिले..!!
उदास मत हो जिन्दगी ही है कट जायेगी, क़िस्मत ही है किसी दिन पलट जायेगी..!!
प्यार की कली सबके लिए खिलती नहीं, चाहने पर हर एक चीज मिलती नहीं, सच्चा प्यार किस्मत से ही मिलता है, और हर किसी को ऐसी तकदीर मिलती नहीं..!!
कभी कभी किस्मत भी कमाल कर देता है, रोटी कमाने निकलों तो सिर पर ताज रख देता है..!!
किस्मत की बात है, कल तक मैं उसकी ज़िन्दगी था, आज ज़िन्दगी में कहीं भी नही हूँ..!!
बहुत खूबसूरत है आंखे तुम्हारी, इन्हें बना दो किस्मत हमारी, हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ, अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी..!!
कुछ लोग किस्मत की तरह होते हैं, जो दुआ से मिलते हैं और, कुछ लोग दुआ की तरह होते हैं, जो किस्मत बदल देते हैं..!!
मेरी क़िस्मत की लड़ाई में खुद लड़ूंगा, चाहें वो मिले ना मिले, मेरी ज़िन्दगी है मैं खुद जियूंगा..!!
मेरे लिखने से अगर बदल जाती किस्मत तो, हिस्से में तेरे सारा जहाँ लिख देती..!!
मंजूर है मुझे हर शर्त वो तेरी, मैं किस्मत में नहीं खुद पर यकीं रखती हूं..!!
कल भी मन अकेला था आज भी अकेला है, जाने मेरी किस्मत ने कैसा खेल खेला है..!!
सारा इल्जाम अपने सर ले कर, हमने किस्मत को माफ कर दिया..!!
भाग्य बदलने चला किस्मत पर अपनी रो दिया, लकीरों में था जो उसके उसने वो भी खो दिया..!!
जिंदगी और किस्मत से ज्यादा सवाल करना फिजूल है, भला सवाल किसे पसंद होते है..!!
किस्मत की कश्ती का माँझी क्यों सो जाता है, चाँद ढूँढते ढूँढते तारों में खो जाता है..!!
मेरी किस्मत से खेलने वाले, मुझको दुनिया से बेखबर कर दे..!!
कुछ तो लिखा होगा किस्मत में, वरना आप हम से यूं ना मिले होते..!!
तुम मिले तो यूँ लगा हर दुआ कुबूल हो गयी, काँच सी टूटी किस्मत मेरी हीरों का नूर हो गयी..!!
मेरी क़िस्मत की लड़ाई में खुद लड़ूंगा, चाहें वो मिले ना मिले, मेरी ज़िन्दगी है मैं खुद जीऊंगा..!!
हैरान हो जाएंगे देखकर दुनिया वाले मेरी बरक़त को, कुछ इस कदर बदल देंगे हम अपनी किस्मत को..!!
इल्म हो गया मुझे मेरी अहमियत खो गई है, जागी थी जो फिर से वो किस्मत अब सो गई है..!!
मैंने किस्मत पर भरोसा करना छोड़ दिया था, पर तुझे पाया तो किस्मत अच्छी लगने लगी है..!!
रास्ते मुश्किल है पर हम मंज़िल ज़रूर पायेंगे, ये जो किस्मत अकड़ कर बैठी है इसे भी ज़रूर हरायेंगे..!!
खरीद सकते तो उन्हें अपनी जिंदगी बेचकर खरीद लाते, पर अफसोस कुछ लोग कीमत से नही किस्मत से मिलते है..!!
मेरा कसूर नहीं जो मेरी किस्मत का कसूर है, जिसे भी अपना बनाने की कोशिश करता हूँ, वो ही दूर हो जाता है..!!
तक़दीर ने क्या खूब खेल खेला है, मेरे दिल पे तेरा नाम और जिंदगी किसी और के नाम लिखा है..!!
आये नया साल बन के उजाला, खुले आपकी किस्मत का ताला, हमेशा रहे मेहरबान ऊपर वाला, यही दुआ करते है ये आपका चाहने वाला..!!
सुना है अब भी मेरे हाथों कि लकीरों में, नाजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है..!!
जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो, जरुरी तो नहीं हम जिसके हैं वो हमारा हो, कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती है, जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो..!!
दिल टुटा इस कदर की धड़कना भूल गया, किस्मत अच्छी थी जो आपने आकर मेरे दिल को थाम लिया..!!
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली, कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली, उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे, शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली..!!
रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी..!!
लिखा है मेरी तक़दीर में तेरा नाम दुनिया से क्या डरना, चाहे लाख कोशिश कर ले जमाना, मुमकिन नही हमको तुम से जुदा कर पाना..!!
किस्मत की लकीरें भी आज इठलाई है, तेरे नाम की मेहँदी जो हाथों अपर रचाई है..!!
सारा इलज़ाम अपने सर लेकर, हमने क़िस्मत को माफ़ कर दिया..!!
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता..!!
ज़माने से ना डर जरा किस्मत पे भरोसा कर, जब तक़दीर लिखने वाले ने लिखा है साथ, तो फिर किस बात का है दर..!!
अहंकार में ही इंसान सब कुछ खोता है, बेवजह किस्मत को दोष देकर रोता है..!!
कहर हो बला हो जो कुछ हो काश तुम मेरे लिये होते, मेरी किस्मत में गम अगर इतना था दिल भी या रब कई दिये होते..!!
ख़राब हम नहीं हमारी किस्मत है, जहां भी जाते है अकेले ही रह जाते है..!!
ए खुदा किसी एक का तो नसीब बदल दे, चाहे उसे मेरा या मुझे उसका कर दे..!!
सूरत कितनी ही खुबसुरत क्यो न हो, नसीब की मोहताज हुआ करती है..!!
खूबसूरती का कोई फायदा नहीं अगर नसीब अच्छे न हो, तो दिलों के बादशाह अक्सर फकीर होते हैं..!!
मेरी क़िस्मत की लड़ाई में खुद लडूंगा, चाहें वो मिले ना मिले, मेरी ज़िन्दगी है मैं खुद जीऊंगा..!!
क़िस्मत चले न चले पर अगर मेहनत चलती रही, तो मंज़िल मिल ही जाएगी..!!
नसीब के खेल को भी अजीब तरह से खेला है हमने, जो ना थे नसीब में उसी को टूट कर चाह बैठे..!!
मत कर हिसाब मेरे प्यार का कही ऐसा ना हो, कि बाद में तू ही कर्जदार निकले..!!
किसी राह पे मिल जाओ मुसाफ़िर बन के, क्या पता अपनी किस्मत में हमसफ़र भी लिखा हो..!!
कुम्भकरण की तरह जब किस्मत सोती है, तभी इंसान से जमकर मेहनत होती है..!!
हाथों की लकीर, किस्मत और नसीब, जवानी में ऐसी बातें लगती है अजीब, कर्म करके तू लिख दे अपना नसीब, दुनिया भी कहे इंसान था वो अजीब..!!
किस्मत पर रोना मैंने छोड़ दिया, अपनी उम्मीदों को मैंने हौसलों से जोड़ दिया..!!
लेकर अपनी-अपनी क़िस्मत आए थे, गुलशन में गुल कुछ बहारों में खिले, कुछ ख़िज़ाँ में खो गए..!!
हुनर सड़कों पर तमाशा करता है, और किस्मत महलों में राज करती है..!!
क्या खूब मैनें किस्मत पाई है खुदा ने कहा, हंसकर संभाल कर रख पगले, ये मेरी पसंद है जो तेरे हिस्से में आई है..!!
किस्मत भी उनका साथ देती है, जिनमें कुछ कर गुजरने की हिम्मत होती है..!!
जब भी रब दुनिया की किस्मत में चमत्कार लिखता है, मेरे नसीब में थोड़ा और इंतज़ार लिखता है..!!
मेरा कसूर नहीं जे मेरी किस्मत का कसूर है, जिसे भी अपना बनाने की कोशिश करता हूँ, वो ही दूर हो जाता है..!!
जैसे बिछड़ने की जल्दबाजी हो, मिलकर भी ऐसे बिछड़ना हुआ, जैसे कायनातए किस्मत की जालसाजी हो..!!
मेरी चाहत को मेरे हालात के तराजू में कभी मत तोलना, मेने वो ज़ख्म भी खाए है जो मेरी किस्मत में नहीं थे..!!
अपने हाथों अपनी किस्मत बिगाड़ा हूँ, जिंदगी एक खेल है और मैं अनाड़ी हूँ..!!
दुआ की न पूछो की कितनी है कुदरत, उठा के हाथ देखो बदलती है किस्मत..!!
किस्मत ने कहा आज से सब हुआ तेरा, मैंने कहा अभी मन नहीं भरा मेरा..!!
बिकने वाले और भी है जाओ जाकर खरीद लो, हम कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते है..!!
प्यार हो तो किस्मत में हो, वरना दिलों में तो सबके होता हैं..!!
बिन लगाए पौधा फूल नहीं खिलता, वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा, किसी को कुछ नहीं मिलता..!!
काश किस्मत भी नींद की तरह होती, हर सुबह खुल जाती..!!
हुत #खूबसूरत है आखै तुम्हारी, इन्हें बना दो “किस्मत” हमारी, हमें नहीं चाहिये ज़माने की #खुशियाँ, अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी.
#किस्मत को बेकार_बोलने वालों कभी किसी गरीब के पास #बैठकर पूछना जिंदगी क्या है
बहुत “खूबसूरत” है आँखे तुम्हारी, इन्हें बना दो #किस्मत हमारी, हमे नही चाहिए ‘ज़माने’ कि खुशियाँ, अगर मिल जाये #मोहब्बत तुम्हारी।
#नसीब अच्छे ना हो तो “खूबसूरती” का कोई फायदा नहीं, दिलों के #शहेंशाह अकसर फकीर होते हैं।
चरके वो दिए “दिल” को महरूमी-ए-क़िस्मत ने अब हिज्र भी तन्हाई और #वस्ल भी #तन्हाई*
बड़ा #मुश्किल काम दे दिया ‘किस्मत’ ने मुझको, कहती है तुम तो सबके हो गए, अब #ढूंढो उनको जो तुम्हारे है।
#किस्मत तेरी दासी हैं यदि परिश्रम तेरा_सच्चा हैं, नियत भी_साथ देगा और जीत भी तेरा_पक्का हैं !
#मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर ‘थक’ गया हू ऐ खुदा, #किस्मत मे कोई ऐसा लिख दे, जो मौत तक ‘वफा’ करे।
लग जा गले यह #रात फिर न आएगी, #किस्मत भी हमको शायद फिर ना मिलाएगी, बाकी है बस चंद_सांसे इस दिल में, रूह भी ना जाने कैसे तेरे बिन रह पाएगी…
अपनी #क़िस्मत में लिखी थी धूप की नाराज़गी, साया-ए-दीवार था लेकिन #पस-ए-दीवार था !!*
ये साल हमारी #किस्मत को कुछ नए ‘ढंग’ से आंकेगा, ये साल हमारी #हिम्मत में कुछ नए ‘सितारे’ टाँकेगा। इस साल_अगर हम अंदर से दुःख की ‘बदली’ को हटा सके तो मुमकिन हैं इसी_साल हम सबमें सूरज झांकेगा।
बिंदास #मुस्कुराओ क्या ग़म हे, ज़िन्दगी में #टेंशन किसको कम हे, अच्छा या ”बुरा” तो केवल भ्रम हे, जिन्दगी का नाम ही कभी #ख़ुशी कभी गम हैं.
बहते #अश्को की जुबां नहीं होती, कभी लब्ज़ो में #मोहब्बत बया नहीं होती, मिले जो ‘प्यार’ तो कदर करना, क्यों की #किस्मत हर किसी पे ‘महेरबान’ नहीं होती।
बड़ी #गहराई से चाहा है तुझे, बड़ी ‘दुआओं’ से पाया है तुझे, तुझे भुलाने की #सोचूँ भी तो कैसे, #किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे।
हाथों की ‘लकीर’, किस्मत और नसीब, जवानी में ऐसी बातें लगती है #अजीब। कर्म_करके तू लिख दे अपना नसीब दुनिया भी कहे #इंसान था वो अजीब।
माना कि #किस्मत पे मेरा कोई जोर नही पर ये सच है कि “मोहब्बत” मेरी कमज़ोर नहीं उसके #दिल में उसकी यादों में कोई और है लेकिन मेरी हर #सांस में उसके सिवा कोई और नहीं
कल भी मन_अकेला थाएआज भी अकेला है जाने मेरी #किस्मत ने कैसा खेल खेला है’!
ये ‘लकीरें’ ये नसीब ये #किस्मत सब फ़रेब के आईनें हैं, हाथों में तेरा हाथ होने से ही “मुकम्मल” ज़िंदगी के मायने हैं… मेरी ‘चाहत’ को मेरे हालात के_तराजू में कभी मत तोलना, मेने वो ‘ज़ख्म’ भी खाए है जो मेरी #किस्मत में नहीं थे.
आपको ‘याद’ करना मेरी आदत बन गई है, आपका खयाल रखना मेरी #फितरत बन गई है, आपसे ‘मिलना’ ये मेरी चाहत बन गई है, आपको #प्यार करना मेरी ‘किस्मत’ बन गई है।
लोग पूछते हैं “सवालात” आपके बारे में, आप भी होते_पास तो अच्छा होता, ये जमाने को #हरगिज़ न होगा गवारा, न जाहिर होते ‘तालूकात’ तो अच्छा होता..
कुछ तेरी #फ़ितरत में नहीं थी ‘वफ़ादारी’, कुछ मेरी किस्मत में बेवफ़ाई थी, वक़्त को क्या दोष दूँ, वक़्त ने तो बस #मुहोब्बत आजमाई थी।*
जिसके ‘लफ़्जों’ में हमे अपना अक्स मिलता है… बङे नसीब से ऐसा कोई ‘शख़्स’ मिलता है…
चरके वो दिए दिल को महरूमी-ए-क़िस्मत ने अब हिज्र भी ‘तन्हाई’ और वस्ल भी तन्हाई ना-मुरादी अपनी किस्मत #गुमराही अपना नसीब, कारवाँ की ‘खैर’ हो हम कारवाँ तक आ गए।
मुक़द्दर की “लिखावट” का एक ऐसा भी कायदा हो, देर से किस्मत #खुलने वालो का दुगुना फायदा हो.
”दिमाग” पर जोर डालकर गिनते हो गलतियाँ मेरी, कभी दिल पर हाथ रख कर पूछना की “कसूर” किसका था।
किसी #कशमकश में रहा होगा खुदा भी जो उसने मुझे तो तेरी #किस्मत में लिखा पर तुझे मेरी “किस्मत” में नहीं लिखा।’
लगता हैं इन #हवाओं में रुसवाई मिल गयी हैं, तन्हाई मेरी “किस्मत” में लिख दी गयी हैं, पहले_यकीन हुआ करता था, अब दिल को #तस्सली देनी पड़ती हैं कि तुम_मेरे हो। न ‘कसूर’ इन लहरों का था, न कसूर उन #तूफानों था, हम बैठ ही लिये थे उस “कश्ती” में, नसीब में जिसके डूबना था!
#साहिल पे पहुंचने से ‘इनकार’ किसे है लेकिन, तूफ़ानो से #लड़ने का मज़ा ही कुछ और है, कहते है, कि #किस्मत खुदा लिखता है लेकिन, उसे मिटा के खुद_गढ़ने का मजा ही कुछ और है।
अपनी #उलझन में ही अपनी, “मुश्किलों” के हल मिले , जैसे टेढ़ी मेढ़ी_शाखों पर भी रसीले फल मिले , उसके खारेपन में भी कोई तो “कशिश” जरुर होगी, वर्ना क्यूँ जाकर_सागर से यूँ गंगाजल मिले ..
बिन लगाए ‘पौधा’ फूल नहीं खिलता, फल नहीं मिलता, वक्त से पहले और #किस्मत से ज्यादा “किसी” को कुछ नहीं मिलता।
निष्कर्ष
किस्मत शायरी ने सदियों से भाग्य और नियति की अनिश्चितताओं के बावजूद मनुष्य की आशा, साहस और स्वीकारोक्ति की भावनाओं को सुंदर ढंग से चित्रित किया है। आज भी इनकी प्रासंगिकता बनी हुई है और प्रेरणा का स्रोत हैं।
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