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जरूरी नहीं प्यार में सब कुछ कहना, प्यार जताने का नया तरीका है चुप रहना
नाम ना लेना बस इतना कहना उनसे ऐ हवा, तुम्हे वो आज भी याद करता है जिससे तुम हो खफ़ा.
खामोश रहकर भी मोहब्बत की जाती हैं, जब इश्क़ हद से ज्यादा बढ़ जाती हैं.
यूँ चुपचाप क्यों हो, इसका राज बता दो, इश्क़ में गुस्ताखी हो गयी हो तो सजा दो.
इतने खामोश से क्यूँ रहते हो, अगर इश्क है तो क्यूँ नही कहते हो.
अगर लड़कियाँ दिल की बात समझती, तो सच्ची मोहब्बत करने वालों को इनसे शिकायत न रहती.
कुछ मत कहना चुप रहना, तेरे दिल की बात जान लेंगे, अगर दिल में मोहब्बत होगी तो आँखों से पहचान लेंगे.
काश दिल के पास भी जुबान होता, कुछ कहने के लिए होठो का मुहताज न होता.
चुप रहकर इजहार कैसे करें, बता इतने दूर रहकर प्यार कैसे करें.
तेरी खामोशी… अगर तेरी मजबूरी हैं, तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी हैं.
मेरी आंखों में कुछ हादसे है जो वजह है मेरी खामोशी की। ये याद रखना कि.. ये याद रखा जाएगा..
खुशी कहा हम तो गम चाहते है.. खुशी उन्हें दी.. जिन्हे हम चाहते हैं..!
मैं एक तन्हा “मुसाफ़िर हूँ. जो न बात “किसी की” करता है और न बात “किसी से करता है. इससे पहले कि खामोशियां बढ़े दर्मियान आओ हम एक बार फिर से झगड लें ।।
बोलने से तो सब समझ जाएंगे -जो मेरी ख़ामोशी को समझे मुझे उसकी तलाश है
हर खामोशी अना नही होती कुछ खामोशियाँ सब्र भी होती है।
चुप रहने से बड़ा कोई हथियार नहीं,माफ़ कर देने से बड़ी कोई सज़ा नही।
बक-बक करने वाला इंसान किसीकी खामोशी की वजह जल्दी समझ लेता है।
तन्हाई का भी अपना अलग मजा है। के खुद से ही खुद बारे में लिख देती है..!!
सुना है कि सच को चिल्लाने की जरूरत ही नहींप ड़ती चलो अच्छा हुआ आज मेरी खामोशी की वजह मिल गई।
मन तो बहुत करता है। अपने सारे जज़्बात तुझे बता दू मगर तूने कभी खामोशी को ही नही समझा तो अल्फाजो को कैसे समझेगी। लफ़्ज़ जिन्हें बयाँ न कर पाएँ… वह गुफ़्तगू आप नज़रों से कर लीजिएगा…
हजारों किए तेरे वादों में कोई एक तो सच्चा होता, मिले ही ना होते तुझसे कभी, यही अच्छा होता ।
इसान को उस जगह हमेशा ‘खामोश रहना चाहिये जहां.. दो कौड़ी के लोग अपनी हैसियत के गुण गाते हों..!
जब भी कभी इस दिलं को उसकी याद आती है… तो ये अपनी खामोशिया भी खामोश हो जाती है…
खामोशींयोकी भी अपनी एक जूबा होती है… बस ओ हर किसी को समझ नही आती है..
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं, अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर खामोश।
शब्द तो हर कोई समझ जाता है। तलाश सिर्फ उसकी जो खामोशी समझ ले। जब आपकी आवान किसी को चुभने लगे, तो तोहफे में उन्हें खामोशी दे दीनिए
तेरी ‘ख़ामोशी में है कुछ बात ऐसी…. तेरा सोता हुआ चेहरा भी मुझे सुकून देता है।
आपकी बेवजह ख़ामोशी मुझे ऐसे दर्द दिया… जैसे चाये मे “Top20” डूब के मर गया…
खामोशींयोकी भी अपनी एक जूबा होती है… बस ओ हर किसी को समझ नही आती है…
खामोशी की भी अपनी जुबाँ होती हैं जो हाले दिल चुप होकर बयाँ करती हैं।
ख़ामोशी का अपना ही मज़ा है, पेड़ों की जड़ें फड़फड़ाया नहीं करती।
भले ही ‘शब्द’ को कोई ‘स्पर्श’ नहीं कर सकता. पर शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है।
अक्सर यह सोचता था की खामोश क्यों हो तुम मुझे क्या पता था मेरी बातों से परेशान हो तुम !
वक्त लगा हैं इस चेहरे को फिर से हंसने में.. लोगो को पास से देखा है हमने।
डर सा लगता है कोई फिर से खामोश ना कर दे।
अब तो समझो मेरी खामोशी का कारण, ये सिर्फ़ मेरी जुबान की खामोशी नहीं, ये मेरे दिल की बात है।
ना पूछो, हजारों के शोर में हमारी खामोशी का राज। अकेलेपन में जो सुकून है, भरी महफिल में कहा।
खामोश बाते बहोत है उन सुनसान रातों की कद्र करनी पड़ी हमे उनके जज्बातों की।
रफ्तार जिंदगी की थमी है यूँ धड़कने ख़ामोश है साँसों के शोर से।
वक्त तुम्हारे ख़िलाफ़ हो तो खामोश हो जाना, कोई छीन नहीं सकता जो तेरे नसीब में है पाना।
जब खामोशी कमजोरी बन जाती है, तो खूबसूरत रिश्तों में दरारे आ जाती है.
दर्द हद से ज्यादा हो तो आवाज छीन लेती है, ऐ दोस्त, कोई खामोशी बेवजह नहीं होती है.
उसने कुछ इस तरह से की बेवफाई, मेरे लबो को खामोशी ही रास आई.
तेरी खामोशी, अगर तेरी मजबूरी है, तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी है.
बातों को कोई न समझे बेहतर है खामोश हो जाना।
मैंने अपनी एक ऐसी दुनिया बसाई है, जिसमें एक तरफ खामोशी और दूसरी तरफ तन्हाई है.
लोग कहते है कि वो बड़ा सयाना है, उन्हें क्या पता खामोशी से उसका रिश्ता पुराना है.
बोलने से जब अपने रूठ जाए, तब खामोशी को अपनी ताकत बनाएं।
मुझे अपने इश्क़ की वफ़ा पर बड़ा नाज था, जब वो बेवफा निकला, मैं भी खामोश हो गया.
उसने कुछ कहा भी नहीं और मेरी बात हो गई, बड़ी अच्छी तरह से उसकी खामोशी से मुलाक़ात हो गई.
रात गम सुम है मगर खामोश नहीं, कैसे कह दूँ आज फिर होश नहीं, ऐसे डूबा हूँ तेरी आँखों की गहराई में हाथ में जाम है मगर पीने का होश नहीं.
राज खोल देते हैं, नाजुक से इशारे अक्सर, कितनी ख़ामोश मोहब्बत की जुबान होती हैं.
चलो अब जाने भी दो, क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं, और बयाँ हम से होगा नहीं.
हर ख़ामोशी का मतलब इन्कार नही होता, हर नाकामी का मतलब हार नही होता, तो क्या हुआ अगर हम तुम्हें पा न सके सिर्फ पाने का मतलब प्यार नहीं होता.
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी हैं और शोर भी हैं, तूने गौर से नहीं देखा, इन आखों में कुछ और भी हैं.
ख़ामोशी को इख़्तियार कर लेना, अपने दिल को थोड़ा बेकरार कर लेना, जिन्दगी का असली दर्द लेना हो तो बस किसी से बेपनाह प्यार कर लेना.
दिल की धड़कने हमेशा कुछ-न-कुछ कहती हैं, कोई सुने या न सुने ये ख़ामोश नहीं रहती हैं.
जब इंसान अंदर से टूट जाता हैं, तो अक्सर बाहर से खामोश हो जाता हैं.
जब कोई ख्याल दिल से टकराता हैं, दिल ना चाह कर भी, ख़ामोश रह जाता हैं, कोई सब कुछ कहकर प्यार जताता हैं, कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता हैं.
जब ख़ामोश आखों से बात होती हैं, ऐसे ही मोहब्बत की शुरूआत होती हैं.
इंसान की अच्छाई पर सब खामोश रहते हैं, चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं.
ख़ामोश फ़िजा थी कोई साया न था, इस शहर में मुझसा कोई आया न था, किसी जुल्म ने छीन ली हमसे हमारी मोहब्बत हमने तो किसी का दिल दुखाया न था.
कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे, हम उतना याद आयेंगे, जितना तुम मुझे भुलाओगे.
मेरी जिंदगी में मेरे दोस्तों ने मुझको खूब हँसाया, घर की जरूरतों ने मेरे चेहरे पर सिर्फ खामोशी ही लाया।
दोस्त की ख़ामोशी को मैं समझ नहीं पाया, चेहरे पर मुस्कान रखी और अकेले में आंसू बहाया।
ख़ामोश शहर की चीखती रातें, सब चुप हैं पर, कहने को है हजार बातें.
चुभता तो बहुत कुछ हैं मुझे भी तीर की तरह, लेकिन खामोश रहता हूँ तेरी तस्वीर की तरह.
जब कोई बाहर से खामोश होता है, तो उसके अंदर बहुत ज्यादा शोर होता हैं.
जज्बात कहते हैं, खामोशी से बसर हो जाएँ, दर्द की ज़िद हैं कि दुनिया को खबर हो जाएँ.
जिन्हों ने सजाये यहा मेले सुख दुख संग संग झेले वही चुनकर खामोशी यूँ चले जाये अकेले!
सूरज घाटियों से बाहर आ गया है फूलों में एक नए रंग की छटा है तुम चुप क्यों हो अब मुस्कुराओ तेरी मुस्कान देखने के लिए एक नया सवेरा आया है!
दर्द को दूर ले जाता है ख़ामोशी अनावश्यक नहीं है
किताबों से ये हुनर सिखा है हमने सब कुछ छिपाए रखो खुद में मगर ख़ामोशी से !!!
भूल गए हैं लफ्ज़ मेरे लबों का पता जैसे या फिर खामोशियों ने जहन में पहरा लगा रखा है!
आदमी सब रात के सन्नाटे में इकट्ठा हो गए कोई रोता हुआ आया तो किसी ने बाल बनाए!
सूरज घाटियों से बाहर आ गया है फूलों में एक नए रंग की छटा है तुम चुप क्यों हो अब मुस्कुराओ तेरी मुस्कान देखने के लिए एक नया सवेरा आया है!
यह मेरी खामोशी थी जिसने सब कुछ बोर कर दिया इस दिल में बस उनकी यादें रह जाती हैं शायद उसकी भी कोई मजबूरी थी अधूरी रह गई मेरी जिंदगी की कहानी!
ख्वाइश तो यही है कि तेरी बाँहों में पनाह मिल जाये शमा खामोश हो जाये और शाम ढल जाये और तेरी बाँहों से हटने से पहले ये शाम हो जाये!
जो सुनता हूँ सुनता हूँ मैं अपनी ख़मोशी से जो कहती है कहती है मुझ से मेरी ख़ामोशी!
प्यार कोई बोल नहीं प्यार आवाज नहीं इक ख़ामोशी है सुनती है कहा करती है!
हमारी खामोशी हमारी कमजोरी बन गई है दिल के जज़्बात उन्हें बयां नहीं कर सकता और इस तरह उनसे दूरी थी!
जब से उसकी सच्चाई हमारे पास आई हमारे होठों को तब से खामोशी पसंद है!
चलो आज खामोश मोहब्बत को एक नाम देते हैं मौसम से पहले कभी परेशान न हों अपनी धड़कती इच्छाओं को एक गर्म शाम दें!
जब से ये अक्ल जवान हो गयी तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी!
खामोशियां तेरी मुझसे बातें करती है मेरा हर दर्द और हर आह समाजति है पता है मजबूर है तू और में भी फ़िर भी आंखें तेरे दीदार को तरस्ती है!
ये पानी ख़ामोशी से बह रहा है इसे देखें कि इस में डूब जाएँ!
हम उनसे मुहब्बत नहीं बता पाए हल-ए-दिल कभी और उसे समझ में नहीं आता कि यह चुप्पी क्या है!
दुनिया के लोगों ने हमारे कारनामों का शोर मचाया है जब भी हमने कुछ किया है, मौन में किया है!
यह लुक उस लुक के साथ बोला चुप रहो लेकिन फिर भी बात करो जब प्यार की फिजा मिली खुश तो दोनों आँखों ने बारिश को रुला दिया।
तेरी खामोशी… अगर तेरी मजबूरी हैं, तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरीहैं.
बोल कर सारा संदेह ख़तम कर देने से अच्छा है चुप रह कर बेवकूफ समझा जाना.
चुप रह कर इजहार कैसे करें, बता इतने दूर रहकर प्यार कैसे करें.
करीब आतेरी आँखों में देख लू खुद को बहुत दिनों से आइना नहीं देखा मैंने
ये बात और है के तक़दीर लिपट के रोई वरना ! बाज़ू तो हम नें तुम्हे देख कर ही फैलाए थे !!
एक तुम को ना जीत सके हम तुमको ! उम्र बीत गयी खुद को खिलाडी कहते कहते !!
उम्र भर युही गलती करते रहे ग़ालिब धूल चेहरे पर थी और हम आयना साफ करते रहे !
Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.