Narazgi Shayari In Hindi

मेरी नाराजगी को मेरी बेवफाई मत समझना नाराज भी उसी से होते हैं जिससे बेइंतिहा मोहब्बत हो!!!


बेशक तुम्हे गुस्सा करने का हक़ हैं मुझ पर नाराजगी में कहीं ये मत भूल जाना की हम बहुत प्यार करते हैं तुमसे!!!


मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन हैं की कोई मुझे छोड़ सकता हैं लेकिन भूल नहीं सकता!!!


तुझ से नहीं तेरे वक्त से नाराज हूँ जो कभी तुझे मेरे लिए नहीं मिला!!!


हमसे कोई कहता हो जाये तो माफ़ करना हम याद ना कर पाए तोमफ करना दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं पर ये दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना!!!


दिल से अपना दिल की बात सुनलो दिल से मांगते हैं माफ़ी माफ़ करते हैं फेर न करबे कोई गलती बस आलाप भुलाके घुसे को प्यार कर लो!!!


हर बात ख़ामोशी से मान लेना यह भी अंदाज होता हैं नाराजगी का!!!


सितम सारे हमारे छांट लिया करो नाराजगी से अच्छा हैं डांट लिया करो!!!


वो रूठ के बोले तुम्हे सब शिकायत मुझसे ही हैं मैंने सर झुका कर कह दिया मुझे सब उम्मीद भी तो तुमसे ही थी!!!


नाराज नहीं हूँ तेरे फरेब से गम ये हैं की तेरा यकीन अब कैसे करू!!!


हर बात ख़ामोशी से मान लेना यह भी अंदाज होता है नाराजगी का!!!


नाराजगी मुझसे कुछ ऐसे भी जताती हैं वो खफा जिस रोज हो जाती हैं काजल नहीं लगाती हैं वो!!!


उसकी ये मासूम अदा मुझे खूब बहती हैं नाराज मुझसे होती हैं गुस्सा सबको दिखाती हैं!!!


नाराज मत हुआ करों कुछ अच्छा नहीं लगता हैं तेरे हसीन चेहरे पर यह गुस्सा नहीं सजता हैं हो जाती हैं कभी-कभी गलती माफ़ कर दिया करो चाहने वालों से बेदर्दी यह नुस्खा नहीं जँचता हैं!!!


उदास कमरा उदास मौसम उदास जिन्दगी कितनी चीजो पर इल्जाम लग जाता हैं एक तेरे बात न करने पर!!!


मुझसे नाराज हो क्या जो नज़रे हमसे चुराते हो वो कौन सी ऐसी बात हैं जो होंठो मे अपनी छुपाते हैं!!!


रूठ कर मुझे यूँ रुलाओं ना नाराज होकर मुझे यूँ सताओं ना जाना ही हैं तो एक बार में कहदो यूँ हर पल इस जिंदगी को जलाओं ना!!!


किसी को मनाने से पहले ये जान लेना की वो तुमसे नाराज हैं या परेशान!!!


कुछ नाराजगी सिर्फ गले लगाने से ही दूर होती हैं समझने समझाने से नहीं!!!


प्यार से ज्यादा प्यार करते हैं आपसे इस प्यार के कोई अल्फाज नहीं होते मेरे एहसासों को जरा महसूस करके देखों इसके कोई गवाह नहीं होते!!!


तुम नाराज हो जाओ रूठो या खफा हो जाओ पर बात इतनी भी ना बिगाडों की जुदा हो जाओ!!!


तेरी नाराजगी वाजिब हैं दोस्त मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल!!!


रो रो कर पुकारेगी जरा मर तो जाने दो!!!


तेरे हर दर्द को मुहब्बत की इनायत समझा हम कोई तुम थे जो तुम से शिकायत करते!!!


तुम मेरी कल थी और मैं आज हो गया हूँ अब मैं मनाने नहीं आऊँगा क्योंकि मैं नाराज हो गया हूँ!!!


मेरी नाराजगी को मेरी बेवफाई मत समझना नाराज भी उसी से होते हैं जिससे बेइंतिहा मोहब्बत हो!!!


बेशक तुम्हे गुस्सा करने का हक़ हैं मुझ पर नाराजगी में कहीं ये मत भूल जाना की हम बहुत प्यार करते हैं तुमसे!!!


मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन हैं की कोई मुझे छोड़ सकता हैं लेकिन भूल नहीं सकता!!!


तुझ से नहीं तेरे वक्त से नाराज हूँ जो कभी तुझे मेरे लिए नहीं मिला!!!


हमसे कोई कहता हो जाये तो माफ़ करना हम याद ना कर पाए तोमफ करना दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं पर ये दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना!!!


दिल से अपना दिल की बात सुनलो दिल से मांगते हैं माफ़ी माफ़ करते हैं फेर न करबे कोई गलती बस आलाप भुलाके घुसे को प्यार कर लो!!!


हर बात ख़ामोशी से मान लेना यह भी अंदाज होता हैं नाराजगी का!!!


सितम सारे हमारे छांट लिया करो नाराजगी से अच्छा हैं डांट लिया करो!!!


वो रूठ के बोले तुम्हे सब शिकायत मुझसे ही हैं मैंने सर झुका कर कह दिया मुझे सब उम्मीद भी तो तुमसे ही थी!!!


नाराज नहीं हूँ तेरे फरेब से गम ये हैं की तेरा यकीन अब कैसे करू!!!


हर बात ख़ामोशी से मान लेना यह भी अंदाज होता है नाराजगी का!!!


नाराजगी मुझसे कुछ ऐसे भी जताती हैं वो खफा जिस रोज हो जाती हैं काजल नहीं लगाती हैं वो!!!


उसकी ये मासूम अदा मुझे खूब बहती हैं नाराज मुझसे होती हैं गुस्सा सबको दिखाती हैं!!!


नाराज मत हुआ करों कुछ अच्छा नहीं लगता हैं तेरे हसीन चेहरे पर यह गुस्सा नहीं सजता हैं हो जाती हैं कभी-कभी गलती माफ़ कर दिया करो चाहने वालों से बेदर्दी यह नुस्खा नहीं जँचता हैं!!!


उदास कमरा उदास मौसम उदास जिन्दगी कितनी चीजो पर इल्जाम लग जाता हैं एक तेरे बात न करने पर!!!


मुझसे नाराज हो क्या जो नज़रे हमसे चुराते हो वो कौन सी ऐसी बात हैं जो होंठो मे अपनी छुपाते हैं!!!


रूठ कर मुझे यूँ रुलाओं ना नाराज होकर मुझे यूँ सताओं ना जाना ही हैं तो एक बार में कहदो यूँ हर पल इस जिंदगी को जलाओं ना!!!


किसी को मनाने से पहले ये जान लेना की वो तुमसे नाराज हैं या परेशान!!!


कुछ नाराजगी सिर्फ गले लगाने से ही दूर होती हैं समझने समझाने से नहीं!!!


प्यार से ज्यादा प्यार करते हैं आपसे इस प्यार के कोई अल्फाज नहीं होते मेरे एहसासों को जरा महसूस करके देखों इसके कोई गवाह नहीं होते!!!


तुम नाराज हो जाओ रूठो या खफा हो जाओ पर बात इतनी भी ना बिगाडों की जुदा हो जाओ!!!


तेरी नाराजगी वाजिब हैं दोस्त मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल!!!


तेरे हर दर्द को मुहब्बत की इनायत समझा हम कोई तुम थे जो तुम से शिकायत करते!!!


तुम मेरी कल थी और मैं आज हो गया हूँ अब मैं मनाने नहीं आऊँगा क्योंकि मैं नाराज हो गया हूँ!!!


उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी

नाराज़ करने वाले तेरी कोई खाता हि नही मोहब्बत क्या होति है, शायद तुझे पता हि नही


नाराज़गी भी तेरी गँवार ना कर सके और ते मोहब्बत से किनारा भी ना कर सके मेरे तमाम ख़्वाब अहूरे हाई रह गए हम ख़्वाब में भी ख़ुद को तुम्हारे ना कर सके


तुम्हारी नाराज़गी के दर से मैं जो हर बात माँ लेता हूँ कभी तुम को महबूब समझ कर, कभी ख़ुद को मजबूर समझ कर


नाराज़ तुम, नाराज़ हम, फिर कैसे मिटाएँ ये दूरियाँहम मुंतज़िर, तुम बेख़बर दोनों की है मजबूरियाँ


तुम दूरियाँ को जुदाई मत कहना इन ख़ामोशियों को नाराज़गी मत कहना हर हाल में साथ देंगे तुम्हारा ज़िंदगी ने साथ ना दिया तो बेवफ़ा मत कहना


किसी इंसान की ख़ामोशी से नाराज़ मत हिवा करो हालात के हारे हुवे लोग, अक्सर ख़ामोश रहते हैं


तुम सकट दिल निकले, क्या गिला करें हम शिकवा-ए-दिल लैब पर लाने क्य आदत नही है


नाराज़गी भय क्या करें हक़ में तुम्हारे हमें तो दिल भी दुखाने की आदर नही


अपनी नाराज़गी की कोई वजह तो बतायी होती हम ज़माने को छोढ देते तुझे मनाने के लिए


नाराज़गी में क्या रखा है, थोड़ा तो मुस्कुराइए याद करते हैं आपको, थोड़ा तो क़दर दिखाए


वो पल भर की नरजगियाँ और माँ भी जाना पल भर में अब ख़ुद से जब भी रूठों तो कूच लोग बहुत याद आते हैं


नाराज़ हो तो मत करो हम से बात तेरी ख़ामोशी अब हम से जुदाई माँगति है


तेरी नाराज़गी जाया है मैं भी ख़ुद से ख़फ़ा हूँ आज कल


इन दूरियों को बेवफ़ाई मत समझना इन ख़ुशियों को नाराज़गी मत समझना हर हाल में साथ देंगे तुम्हारा हमारे दोस्ती को कमज़ोर मत समझना


नाराज़ करने वाले तेरी कोई खाता हि नही मोहब्बत क्या होती है शायद तुझे पता हि नही


अगर नाराज़ हो, ख़फ़ा हो, तो शिकायत करो मुझसे ख़ामोश रहने से दिलों की दूरियाँ मिटा नही करते


 

ये रात आख़री हुवि तो क्या करोगे हम हाई ना रहे तो इस नाराज़गी का क्या करोगे


कुछ इस तरह वो नाराज़ है हम से जैसे किसी और ने उसे माना लिया हो


बे-सबब छोड़ दिया तुम ने कोई इल्जन दिया होता मेरे ख़ामोश मोहब्बत को कोई नाम दिया होता


मैं मार क्यूँ ना गया तेरे नाराज़गी से पहले मुझे छोड़ना था तो कोयी लक़्ब-ए-बदनाम दिया होता


और नाराज़ हमेशा ख़ुशीयन हि होती हैं ग़मों के इतने नख़रे नही होते


हो सके तो वजह तलाश करो कोई यूँ हि बेवजह नाराज़ नही होता


पता नही कितना नाराज़ है वो मुझे से ख़्वाबान में भी मिलता है तो बात नही करता


प्यार दिल में होना चाहिए लफ़्ज़ों में नही और नाराज़गी लफ़्ज़ों में होने चाहिए, दिल में नही


नाराज़गी ना जताना, हमें मनाना नही आता चाहत कितने है, हमें जताना नही आता इंटेज़ार करते हैं कभ मिलेंगे तुम से मिलने के लिए याद, कोई बहाना नही आता


जहाँ नाराज़गी की क़दर ना हो वहाँ नाराज़ होना छोड़ देना चाहिए


ख़ामोशीयान हि बेहतर है लफ़्ज़ों से लोग रूठ जाते हैं


किसी माशूक़ का आशिक़ से ख़फ़ा हो जाना रूह का जिस्म से गोया जुदा हो जाना


नाराज़ मत होना, हमें मनाना नही आता दूर नही जाना, हमें भूलना नही आता तुम भूल जाओ हमें तुम्हारी मर्ज़ी मगर हम क्या करें हमें भूलना नही आता


तुम भूल हि ना पाओगे हमारे प्यार को जिंदगि भर क्यूँ की हमारे मोहब्बत में नाराज़गी तो होगी, पर बेवफ़ाई नही


तुझ से नही तेरे वक़्त से नाराज़ हूँ जो कभी भी तुझे मेरे लिए नही मिलता


थोड़ी नाराज़गी लिख लेते हैं और लोग उसे शायरी समजा लेते हैं


अब मौत से कह दो की नाराज़गी वो बदल गया है जिसके लिए हम ज़िंदा थे


मैं किसी से नाराज़ नही होती बस ख़ास से आम कर देते हूँ


बड़ी नाराज़गी देखते हैं अब उन आँखों में जो कभी हमें प्यार से देखा करते थें


नाराज़ उन से हुवा जाता है जिन को तुम्हारी नाराज़गी की फ़िक्र हो


नाराज़गी दूर नही हुवि, हज़ारों बार मनाने पर जाने कैसी आशिक़ी है, अड़ी है रुलाने पर


तुझ से नहीं तेरे वक़्त से नाराज हूँ… जो कभी तुझे मेरे लिए नहीं मिला…


ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़, मुझको आदत है मुस्कुराने की..


हर बात खामोशी से मान लेना.. यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का


मेरी हर ख़ाता पर नाराज़ ना होना,

अपनी प्यारी सी मुस्कान कभी ना खोना,

सुकून मिलता हे देखकर आपकी मुस्कुराहट को,

मुझे मौत भी आए तो भी मत रोना


कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हमसे, मिलना पड़ेगा कभी न कभी ज़रूर हमसे नज़रे चुराने वाले ये बेरुखी है कैसी.. कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हमसे


ना जाने किस बात पे वो नाराज है हमसे ख्वाबों मे भी मिलता हू। तो बात नही करती


दिल के ज़्ख़मो को उनसे छुपाना पड़ा,  पलके भीगी थी पर मुस्कुराना पड़ा,  कैसे उल्टे हैं मोहब्बत के ये रिवाज़?  रूठना चाहते थे पर उनको मानना पड़ा


यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता…. सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता…


हमसे कोई खता हो जाए तो माफ़ करना हम याद ना कर पाएं तो माफ़ करना दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं पर ये दिल ही रुक जाए तो माफ़ करना


बेशक मुझपे गुस्सा करने का हक है तुम्हे, पर नाराजगी में हमारा प्यार मत भूल जाना।


उसकी ये मासूम अदा मुझे खूब भाती है, नाराज़ मुझसे होती है, गुस्सा सबको दिखाती है।


किसी को मनाने से पहले ये जान लेना कि वो तुमसे नाराज है या परेशान।


न जाने किस बात पे नाराज हैं वो हमसे,ख्वाबों में भी मिलती है तो बात नहीं करती


ज़ुलफें मत बांधा करो तुम, हवाए नाराज़ रहती हैं


हर बात खामोशी से मान लेना यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का


कैसे ना हो इश्क, उनकी सादगी पर ए-खुदा, ख़फा हैं हमसे, मगर करीब बैठे हैं…

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