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शेरों के पुत्र शेर ही जाने जाते हैं, लाखों के बीच फौजी पहचाने जाते हैं।
जिक्र अगर असली हीरो का होता है, तो जुवां पर नाम इस देश के वीरों का होता है।
इश्क़ है पहला जो आज तलक निभा रहा हूँ मैं, वतन से मोहब्बत है मुझे, वही तो जता रहा हूँ मैं।
अपना लहू बहाकर वतन की सुरक्षा बढ़ाते है, इसलिए तो हम भारतीय फौजी कहलाते है।
सर पे ताज हाथों में जान होती है गौर से देखो इनमें ही तो शान होती है।
मुझे ना तन चाहिए, मुझे ना धन चाहिए, हम फौजी को तो साहब, तिरंगे का बस कफन चाहिए।
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली, जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली।
अगर किसी पर मर मिटने को इश्क़ कहते है , तो एक फौज़ी से बड़ा कोई आशिक़ नही जनाब।
घर को याद कर वो भी रोते होंगे, हम तो चैन से सो जाते हैं ना जाने वो कब सोते होंगे।
फ़ौजी भी बेमिसाल होते है, अजनबी होते हुए भी दिल के समीप होते हैं।
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