The power of a single word can transcend mere language and touch the very depths of our hearts. These words carry the weight of emotions, memories, and experiences, creating connections that resonate with our souls. They have the remarkable ability to heal wounds, mend broken spirits, and inspire us to be better. Whether it’s a simple “love” that ignites passion, “forgiveness” that fosters reconciliation, or “hope” that lights up even the darkest of paths, these heart-touching words remind us of the beauty and resilience of the human spirit. In a world often filled with chaos and uncertainty, the right word at the right moment can be a beacon of light, offering comfort, understanding, and a sense of belonging. Such is the profound impact of words that truly touch our hearts. Certainly, words have an incredible capacity to evoke deep emotions and touch our hearts in various ways. They can be a source of solace during times of grief, a catalyst for positive change, and a means of expressing the most profound aspects of our human experience. One of the remarkable things about heart-touching words is their universality. No matter where we come from or what language we speak, certain words can bridge cultural and linguistic divides. For instance, “peace,” “joy,” and “compassion” convey sentiments that are understood and cherished by people around the world. These words remind us of our shared humanity and our common desire for a better, more harmonious world. Furthermore, heart-touching words are often imbued with a sense of nostalgia. Hearing or reading a word that carries personal significance can transport us back in time, conjuring up memories and emotions long forgotten. Words like “home,” “family,” or even a loved one’s name can trigger a flood of sentiment and connection. In literature and poetry, writers have masterfully crafted words and phrases to create emotional landscapes that resonate deeply with readers. The works of poets like Rumi, Maya Angelou, and Pablo Neruda, for example, are celebrated for their ability to touch the heart and soul through the beauty and power of language. In our everyday lives, heart-touching words can serve as a source of motivation and inspiration. They can encourage us to persevere in the face of adversity, remind us of our worth, and help us find hope in challenging circumstances. Words like “courage,” “resilience,” and “faith” can empower individuals to overcome obstacles and achieve remarkable feats. In essence, the potency of heart-touching words lies in their ability to transcend the limitations of mere language and communicate on a profound, emotional level. They remind us of the beauty, complexity, and resilience of the human experience and connect us to each other in ways that are truly magical.
रुकना नहीं है मुसीबतों को देखकर, नदियाँ कभी चट्टानों को देख कर रास्ता बदला नहीं करती।
मत मांग किसी से सहारे की भीख तेरी मुसीबतों का सहारा तू खुद है।
अब दो ही चीज़े मेरे सबसे क़रीब है एक मेरा परिवार और दूसरे मेरे दोस्त, अगर यह दोनों ही नहीं ना हो तो मेरी जिंदगी सबसे बदक़िस्मत होगी।
माँ मेरी वाकई बहुत अनपढ़ है, मैं मांग बस एक रोटी की करता हूँ वह मुझे हमेशा ही दो रोटी परोस देती है।
दोस्ती प्यार और दान कभी धर्म देख कर नहीं किया जाता।
अक्सर जुबां पर हलकी-सी हसी लेकर घूमने वालो का दिल बहुत भारी होता है।
इश्क़ दिल से किया जाता है साहब जिस्म से तो बस मतलब पूरे होते हैं।
माँ बाप के त्यागों को कभी फ़र्ज़ मत समझ लेना वरना ज़िन्दगी में बहुत पछताओगे।
नहीं खोल रहा है भगवान् इस बार भी कामयाबी के दरवाज़े मेरे लिए, शायद और बड़ा दरवाजा ढूंढा है उस ने मेरे लिए।
नसीहत देते लोग साथ नहीं देता कोई. वादा करके तो ऐसे तोड़ देते है जैसे नेता हों।
ज़माना भी सिर्फ़ उसे याद रखता है जो कामयाबी की बुनियाद रखता है।
दौलत और शौहरत से नहीं खुशियाँ अपनों से मिलती है।
दुनिया के सारे शौर शराबों से दूर जब अकेला बैठा तब खुद से मिलने का कहीं मौका मिला।
कभी-कभी क्षमताओं का पता जीतने के बाद पता लगता है।
माना की पैसा बोलता है पर मैं बहरा हूँ।
कुछ अजीब-सा हादसा हुआ है मेरे साथ जिन-जिन को मैंने अच्छे समय से मिलाया था आज उनके पास ही वक़्त नहीं मेरे लिए।
मामूली हूँ मैं पर हर कोई मेरे लिए ख़ास है, धोखे खाये काफी पर आज भी मुझे विशवास पर विशवास है।
कुछ से माफ़ी मांग लेना और कुछ को माफ़ कर देना यही बड़े दिल की निशानी होती है।
धरम को अलग रख दे सभी एक हैं और लालच हटा दोगे तो बन्दे सारे नेक हैं।
अत्यधिक गुरूर आ जाये तो याद रखना इंसान और अखबार पुराने हो ही जाते हैं, पर अच्छी खबरे और मीठे बोल बस याद रह जाते हैं
तलाश कर रहे हो प्यार की एक बार माँ के पास बैठो तो सही तलाश ख़त्म न हो जाये तो कहना।
जब दर्द हमदर्द से मिलने लगे तो ज़िन्दगी झरनुम-सी लगने लगती है।
मोहोब्बत उसकी जगह अगर खुद से की होती तो अकेला पन ज़रूर होता पर ये दर्द नहीं।
कुछ बात लफ्ज़ो से बेहतर खामोशियाँ बयाँ कर दिया करती है।
कौन कहता है वक़्त किसी का नहीं होता, मैने मेरे ही वक़्त को मुझे बर्बाद करते देखा है।
भीख के शहरी किले मुझे नहीं भा,ते मैं तो जीता हूँ अपने गांव की कुटिया में नवाबों की तरह।
अभी ज़रा वक़्त है उसे मुझे आज़माने दो वह रो-रो के पुकारेगी बस मेरा वक़्त तो आने दो।
मौसम भी मेरी ज़िन्दगी का अजीब बदला, सब बदल गए पर ना जाने क्यों मैं ना बदला।
बैठा हूँ आज कुछ रिश्तों का हिसाब करने, गर वफाओं में तुझे रख दिया तो बाकी रिश्ते नाराज़ हो जेएंगे।
सोचता हूँ अगर कुछ ख्वाहिशे अधूरी न होती तो, जीने में मज़ा क्या आता।
जब पैसा पास था सारे सांप रेंग कर मेरे तलवे चाटा करते थे, अब पैसा जाते ही मानो मेरे हाथ में लाठी आ गई है।
जुबां आईने-सी साफ़ रखने वाले अक्सर लोगो की आँखों में कांच से चुभा करते हैं।
कुछ करना चाहते हो तो खुद करना होगा और सारी दुनिया से लड़ने से पहले खुद ही से युद्ध लड़ना होगा।
क्यों न नाज़ हो मुझे अपनी मोहोब्बत पर वो अपनी माँ की मोहब्बत की लाज रख कर, मेरी मोहब्बत को भुला रहा है।
गर्म कपड़ों के सारे बैग खुल गए प्यार से बुना कोई स्वेटर नहीं निकला।
अगर जिस्म से लिपटना ही मोहब्बत है तो अज़गर से बड़ा कोई महबूब नहीं।
गरीब अक्सर तबयत का बहाना बनाकर मजबूरियाँ छुपा जाते हैं।
थक कर बैठना मंज़ूर है मुझे, राहो में पर गिरकर हार जाना यह मंज़ूर नहीं।
हवा के रुख बदलने से कैसा खौफ, मैने तो अपनों को भी वक़्त पर बदलते हुए देखा है।
मेरी क़ाबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगा लो की लोग मुझे गिराने की कोशिश नहीं साजिश किया करते हैं।
फरेब की आशिकी का ज़माना है अब कपड़े उतरा करते है जिस्म से इश्क़ के नाम पर।
लड़को की ज़िन्दगी आसान कहाँ साहब खुअहिशे मर जाती है उनकी ज़िम्मेदारियों के नीचे आ कर।
सीख जाते अगर मीठे झूठ बोल पाने का हुनर, तो ना जाने कितने रिश्ते बच जाते टूटने से।
ज़िम्मेदारियों के बाज़ार में फ़ुरसतें न जाने कहा खो कर रह गई मेरी।
डूब रहा था जब तो समंदर को भी हैरानी हुई सोचने लगा कैसा शक्श है किसी को पुकारता ही नहीं।
वक़्त के दलदल में ज़िन्दगी कब सिमट जाती है खबर ही नहीं मिलती।
हर दलदल से बहार निकल आता हूँ शायद मेरी माँ मेरे लिए दुआओं में याद कर रही है।
समझ गया कलियुग चल रहा है, जब दोस्त और मौसम दोनों बेमौसम बदलने लगे।
सिर्फ़ तेरा होकर रह नहीं सकता मैं मुझे तो सारे ज़माने को अपना दीवाना बनाना है।
क़त्ल के लिए खंजर की क्या ज़रूरत मेरे लफ्ज़ ही काफी हैं तुम्हारे लिए।
ज़िन्दगी सोचकर गुज़ारने वालो कभी इसे जीकर देखो मजा न आ जाये तो कहना।
रास्ता क्या तुमने बदला मेरी तो मंज़िल ही बदल गई।
उंचाईओं पर पहुंच कर घमंड मत करना दोस्त याद रखना तुमसे ऊपर भी एक मालिक है।
पैर ज़मीन पर है मेरे पर नज़रे और हौसले आसमान छू रहे है।
कर लूँगा मैं इतना काबिल खुद को की खुदा ज़मीन पर आकर आशीर्वाद भी देगा और शाबाशी भी।
अजीब-सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम और झांकते ज़्यादा है।
वफ़ा की तलाश में निकले थे घर से वफ़ा तो मिली नहीं अब घर भी कहीं खो कर रह गया।
हम चाहे लाख बुरे पर नफरत करने वालों तुम भी तो अच्छे कहाँ हो।
सलाहकार तो सभी बने हुए हैं ज़माने में, मेरा मक़सद तो कलाकार बनने का है।
कुछ दोस्त क्या ज़हरीले निकले, लोगो दोस्तों की तुलना साँपों से करने लगे।
समझ नहीं आया उनके लफ्ज़ थे या तीर सीधा सीने पर आ कर चुभ गए।
बस कुछ लिहाज़ अपने माँ बाप की परवरिश का है मुझे वरना कड़वे शब्दों का पिटारा तो मेरे पास भी है।
हाथो की लकीरों पर इतना विश्वास मत कर बन्दे तक़दीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।
जिस दिन दिया धोखा मुझे मेरी वफ़ा ने, उस दिन मेरे अंदर की अच्छाई का कत्ले आम हो गया।
दम घुट गया मेरे अरमानों का, जब माँ ने कहा पूरी घर की ज़िम्मेदारियाँ अब तेरे कन्धों पर है।
जब ज़िन्दगी की अदालत में मुक़दमा एक दूसरे का साथ देने का था, तभी मेरे अपनों ने ही दी मेरे खिलाफ गवाही।
ज़माना पीठ पीछे बुराई ही करता रह गया, और हम आगे निकल गए।
साजिश की ज़माने ने गिराने की बहुत शायद तभी मेरे सर उठा के चलने पर उन्हें ताज़्ज़ुब होता है।
होने वाली है लम्बी ये रात क्योंकि सपनो में मिलने को मुझसे मेरी मेहबूब आने वाली है।
तेरे जाने के बाद काली रातों से वफ़ा हो गई मुझे।
परिवार को देख कर बस चुप हो जाता हूँ, वरना एक भगत सिंह तो मेरे अंदर भी है।
यूँ तो मुझे गिले बहुत मिले है, पर मुझे कोई गिला नहीं।
रुक मत बन्दे मुश्किल रास्ते हसीन मंज़िल तक ले ही जाएंगे।
क्यों करूँ मैं फ़िक्र मेरे लिए, उड़ती अफवाहों और खोखले बर्तनों का तो काम ही है शोर करना होता है।
पीठ पीछे वार होते हैं जलन के हथियार से सगे होते देखे हैं दुश्मन मैने अक्सर व्यापार में।
दोस्त तो कई दिखते है अब भी रास्तों में पहले की ही तरह, बस अब वह दोस्ती नहीं दिखा करती आँखों में उनकी।
हर दिन नहीं रोता था सिरहाने से चिपक कर, पर तेरी जुदाई ने मुझे ये हुनर भी सीखा दिया।
उचाईयों पर बैठा हुआ हूँ मैं, पर तुम्हरी गालियों की आवाज़ मुझे सुनाई नहीं दे रही।
माना की हवाओं में ज़हर है, पर सांस लिए बिना रह भी तो नहीं सकते।
उसके लफ्ज़ थे या चाक़ू जख्म भर ही नहीं रहे है।
वह मेरा खेल ख़त्म करने की बात करते हैं मेरी पारी तो बस अभी शुरू ही हुई है।
ना भरी महफिलों में बुलाया करो तालियाँ रूठ जाती है हमारे आने से।
सब कुछ लगा दिया था मैने मेरा दाव, पर शायद तभी आज बाज़ी मेरी है।
एक दफा मैं कुछ ऐसा लिख गया की ऊपर वाले को भी उसकी लिखी क़िस्मत पर शक हो गया।
जुबां खोलते हो धुआँ निकल रहा है, अब कुछ बोलूंगा तो आग लगनी तय है।
दुनिया वाले खुद से ऊपर किसी को मानते नहीं है, और फिर लोग कहतें हैं ऊपर वाले पर भरोसा रखो।
मैने अपनी सोच को इतना ऊपर कर लिया है कि खुदा भी अब मेरी खुअहिशों को मंज़ूर करने लगा है।
कामयाब होना है तो जुबां बंद और कान दोनों खुले रखने होंगे।
थक जाओ जो नफरत करते-करते हमे, कभी बैठना हमारे पास प्यार से आके।
ज्ञान तो दुनिआ में हर जगह बह रहा है, अब ये हमारे ऊपर है कि हम हर राह पर हाथ धोते चल रहे हैं या नहीं।
माना जुबां थोड़ी गन्दी है मेरी पर किरदार और कपड़े हमेशा साफ़ रखता हूँ।
माँगा तो मैंने भी चाहतों को ही था खुदा से, नजाने झोली में ये नफ़रतें ही क्यों दिखाई दे रही है।
खुद को बदलते देखा है मैने, वक़्त से तेज़ और ज़माने से आगे।
अकेले जीना सीख लो दोस्त हर Classroom चार दीवारों से घिरा और दोस्तों से भरा नहीं होगा।
पास तो सभी के पास होता है प्यार, बस कुछ छुपाने म विश्वास रखतें है तो कुछ बांटने में।
आग तो भरी पड़ी है सच्चाई की मेरे अंदर भी, पर फिलहाल शोले उगल कर ही काम चला रहा हूँ।
बस अपनी और अपनों की ज़िंदगियाँ बदल दूँ इसी ख्याहिश में जी रहा हूँ।
ज़िन्दगी का हिस्सा नहीं अब तू ज़िन्दगी बन चुकी है।
विरासत में शान मिली है मेरे माँ बाप की बदौलत ही जान मिली है।
सही उम्र में ही सही ग़लत में फ़र्क़ कर लेना ही परिपक़्वता कहलाती है।
भर दो कितनी भी मिटटी नहीं दफना पाओगे मेरे गहरे विचारो को।
Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.