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    Home»shayari»100+ Saree Shayari : साड़ी पर शायरी | Best Shayari On Saree
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    100+ Saree Shayari : साड़ी पर शायरी | Best Shayari On Saree

    Yuvraj KoreBy Yuvraj Kore10/03/2025No Comments11 Mins Read
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    100+ Saree Shayari : साड़ी पर शायरी
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    साड़ी भारतीय सौन्दर्य और लावण्य की एक अमर प्रतीक है। एक महिला जो साड़ी पहनकर खड़ी है, वह एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है। साड़ी का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व बहुत पुराना है। यह हर उम्र और पृष्ठभूमि की महिलाओं द्वारा पहनी जाती है।

    Table of Contents

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    • शायरी के विषय
    • शायरी के उदाहरण
    • अतिरिक्त अनुभाग
    • 100+ Saree Shayari : साड़ी पर शायरी | Best Shayari On Saree
    • निष्कर्ष

    शायरी के विषय

    सौंदर्य और कामुकता – साड़ी एक महिला की सुंदरता और रहस्यमयी आकर्षण बढ़ा देती है।

    आत्मविश्वास और सशक्तिकरण – साड़ी महिला की ताकत, स्वतंत्रता और आत्मविश्वास का प्रतीक है।

    परंपरा और विरासत – साड़ी अतीत से जुड़ाव का बंधन है जो पीढ़ियों को जोड़ती है और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखती है।

    प्रेम और रोमांस – साड़ी प्रेम, समर्पण और जुनून का प्रतीक है।

    उत्सव और आनंद – खास अवसरों पर पहनी जाने वाली रंगीन साड़ी, आनंद और त्योहार का बोध कराती है।

    शायरी के उदाहरण

    “पल्लू लहराए, सपनों का नशा, साड़ी में छिपी है, हर एक अदा।”

    “कदम बढ़ाए, नज़रें झुकाए, साड़ी की शान, दुनिया को बताए।”

    “साड़ी पहनकर चलने वाली उस प्यारी को, मैं कहूँ या न कहूँ शायरी।”

    अतिरिक्त अनुभाग

    मिर्ज़ा ग़ालिब और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जैसे कवियों द्वारा रचित साड़ी पर मशहूर शायरियाँ।

    क्षेत्रीय भिन्नताएँ और उनसे संबंधित शायरी।

    आधुनिक रुझानों का साड़ी डिज़ाइन पर प्रभाव और उसकी शायरी में झलक।

    साड़ी सिर्फ कपड़ा नहीं, एक भावना होती है, जिसमें छिपा होता है, पूरा हिंदुस्तान होता है।

    कली की तरह खिल उठी वो लाल साड़ी में, मानो गुलाबी बहार आ गई हो।

    100+ Saree Shayari : साड़ी पर शायरी | Best Shayari On Saree

    आँखों में सजा के जब वो आई साड़ी पहनकर, हमने सोचा था कि परी आ गई।


    साड़ियों के रंगों में बसती है खुशियों की बहार, इसलिए तो हर महिला को प्यारी है साड़ी।


    लहराता हुआ उसका पल्लू देखकर, ऐसा लगा मानो कोई सपना चला आया हो।


    सज गई तन-मन से जब वो साड़ी पहनकर,गुलाबी रंग गई पल-पल हवाएं उस दिन।


    भीगी बिंदिया सी लग रही थी, साड़ी लगाते हुए वो मेरी रानी।


    उस पर सजी थी लाल साड़ी, दिल मेरा धड़कने लगा, बन गया दीवाना मैं पल भर में।


    मनमोहक सी लग रही थी वो, साड़ी संवारते हुए अपनी जब मेरी प्यारी।


    साड़ी पहनकर आई वो मेरे सामने, मन को मोह लिया उस पल उस जाने-माने।


    चंदन की खुशबू सा महक रहा था, उस साड़ी का हर रंग जो पहनकर आई थी वो।


    बारिश की बूँदों की तरह चमक रही थी, नयनों में वो नीली साड़ी पहनकर।


    धड़कनों को तेज़ कर देती है, हर सांस को गहरा कर देती है, वो साड़ी जो तन पर बहार बिखेर देती है।


    पहनकर सजाई जब वो साड़ी लाल रंग की, समझा न समझ सका कि ये कैसी खूबसूरत है।


    सूरज की लालिमा भरी थी उस साड़ी में , जब वो मुस्कुराई तो लगा मानो गुलाब खिल गया हो।


    आहिस्ता-आहिस्ता चलती उस पर नज़रें टिक गई, जैसे किसी नए सपने को देख लिया हो।


    लहराते हुए बालों के साथ, मन मोह लेती थी वो साड़ी सजी उस पर।


    रंग बिरंगी साड़ी पहनकर, वो खड़ी थी जैसे कोई परी।


    रेशमी धागों का बना जाल कहता था, इश्क़ की बातें वो ढाल कहता था।


    उस पर गुलाबी साड़ी में, ऐसी लग रही थी जैसे फूलों की माला पहने।


    साड़ियों की रंगत में, छुपा है प्यार का राग, जिस पर सजती है वो प्यारी, बजता है दिल का बाग।


    हर तरफ़ फैल जाता है जादू सा, जब वो पहन लेती है साड़ी कोई भी लड़की।


    लहराती साड़ी में वो इतनी सुहानी लगती है,दिल चाहता है बस उसे पाने की जिद्दो-जहद करूँ मैं।


    धीरे-धीरे चलकर आई, साड़ी की लहराहट में ऐसे लगा की फिर से जवानी आई।


    साड़ियों के पीछे, सदियों से पागल रहे हैं सारे कवि और सारे शायर।


    पहने हुए उस गुलाबी साड़ी में, ऐसी लग रही थी मानो फूलों की माला पहने।


    चंद से कम नहीं थी वो, साड़ी ओढ़कर आई जब मेरी प्यारी।


    जैसे कविता की पंक्तियाँ, उतरती थी साड़ी की रेशमी लकीरें, पढ़ता रहा बस मैं उन्हें।


    साड़ी में छिपी थी वो , बिल्कुल नदी किनारे खिले फूल की तरह।


    धीरे-धीरे आगे बढ़ी वो मेरी ओर, साड़ी का पल्लू लहराते हुए।


    दिल में आई एक लहर सी, जैसे कोई कविता पढ़ी हो, जब मैंने देखा उसे साड़ी में।


    जिस तरह से झूमती है साड़ी, उस तरह झूमे तेरे जीवन भर के सारे पल।


    देखते-देखते उलझ गया मेरा दिल, उसकी साड़ी के उस जाल में।


    लहरा रही थी उसकी साड़ी, मानो किसी कविता की तरह, पढ़ता रहा मैं बस उसे।


    साड़ियों से ज्यादा खूबसूरत कुछ नहीं, जब उनमें लिपटी होती है कोई दुल्हनिया।


    जिस दिन उसने पहनी थी वो लाल रंग की साड़ी, उस दिन तो मेरे दिल ने धड़कनें तेज़ कर दी।


    साड़ियों में ऐसा क्या है, जो मन को मोह लेती हैं, सुहानी सी लगती हैं।


    उस पर जब वो पहनती है साड़ी, तो ऐसा लगता है जैसे चाँद पर चमक रही हो किरणें।


    फिर से मिल गई है बहार मुझे, साड़ी में आज तुम्हें देखकर।


    भूल जाता हूँ सारी दुनिया को मैं, जब भी तुम साड़ी पहनकर आती हो।


    साड़ी पहने वो कितनी प्यारी लगती है, मानो चाँद का टुकड़ा धरती पर आ गया हो।


    उस पर वो साड़ी ऐसे गुलाबी रंग में, लग रहा था किसी गुलाब की पंखुड़ियाँ खिल गई हों।


    उसकी साड़ी के रंग-बिरंगे फूलों को देखकर, ऐसा लगता मानो बसंत आ गया हो।


    साड़ी की उन झलकियों ने जैसे, मुझे फिर से जवान कर दिया हो।


    साड़ियाँ ऐसी जादुई चीज़ हैं, जिनमें छिपा होता है प्यार का रंग।


    देखते ही रह गया उसे मैं, ऐसी लग रही थी वो साड़ी पहनकर।


    मेरी तो जैसे धड़कनें ही थम गईं, जब वो आई साड़ी पहनकर।


    मानो गुलाबी बादल चला आ रहा हो, ऐसी लग रही थी वो साड़ी पहनकर।


    रंगीन साड़ियाँ पहनकर, ऐसी लगती है जैसे कोई सपना सजीव हो गया हो।


    धीरे-धीरे चलती, फिरती, मुस्कुराती वो साड़ी पहनकर।


    मेरी तो सांसें ही अटक गई थीं, देखते ही वो साड़ी पहनकर।


    चाँद सा निकला चेहरा उसका, जब वो आई साड़ी पहनकर मेरे सामने।


    साड़ियों का जादू है अजीब, एक नज़र में दिल ले जाता है।


    साड़ी पहनती है वो तो ऐसा लगता, मानो गुलाबों की बारिश हो रही हो।


    बस एक ही नज़र में उलझा दिया मुझे, उसने साड़ी सज-धज कर।


    साड़ियाँ ऐसी चीज़ हैं जिनमें , छिपे होते हैं प्यार के रंग।


    लहराती हुई साड़ी उसकी देख, ऐसा लगा मानो कोई कविता पढ़ रहा हूँ मैं।


    साड़ियों का शायद यही रंग है, हर मन को मोह लेती हैं जायें।


    मेरे लिए तो वो सबसे खूबसूरत लगती है, साड़ी पहनकर फिर से।


    दिल तो यही कहता है, बस ऐसे ही सज-धजकर, साड़ियों में तुम आती रहो।


    उस पर गुलाबी रंग की साड़ी, बिल्कुल फूलों की महक की तरह।


    धीरे-धीरे वो चली आ रही थी, लहराती हुई साड़ी पहने।


    दिल धक-धक करने लगा तेज़, देखते ही उसे साड़ी में।


    वो साड़ी पहनकर ऐसी लग रही थी, देखते ही रह गया मैं तो।


    जब भी मिलती हूँ तुमसे साड़ी पहने, हो जाता है पल भर में दिल दीवाना।


    भूल जाता हूँ मैं सारी दुनिया को, जब तुम साड़ी पहनकर आती हो।


    गुलाबी साड़ी पहने वो कितनी प्यारी लग रही थी, मानो फूलों की महक छाई हुई थी।


    धड़कनों ने बढ़ा दी रफ़्तार, देखते ही उसे साड़ी पहने।


    साड़ी में छिपी थी वो अपनी अदाओं से, मुझे अपनी ओर खींचती चली आ रही थी।


    उस पर साड़ी के रंग-बिरंगे फूल, देखकर ऐसा लगा मानो बहार आ गई हो।


    साड़ी की उन सुहानी लकीरों को, मैं बस निहारता ही रहा।


    साड़ी की लहराती पल्लू में, छिपी है खूबसूरती की बहार।


    साड़ी पहनकर तुम लगती हो, पूरी तरह एक परी की तरह।


    ओ साड़ी वाली लड़की, तुम्हारी अदाओं पे जान फिदा है हमारी।


    वो लाल साड़ी पहन के आई, दिल में आग लगा के जाएगी।


    साड़ियों की खूबसूरत रंगत, औरती हुस्न की मिसाल है।


    कैसे सजाऊँ मैं तेरे लिए गीत, तू तो खुद ही कविता है साड़ी।


    आंखों में तेरी खूबसूरती का नशा, ओ साड़ी वाली लड़की।


    तेरी साड़ी में सजी हुई अदा, किसी को भी दीवाना बना दे।


    ओ साड़ी वाली, तेरे प्यार की मुझको आस है।


    तेरी साड़ी के रंग गुलाबी, मेरा दिल तेरा हो गया।


    साड़ी के इस रंग में, छिपी है तेरी खूबसूरती की बहार।


    नज़र न � हटा सकता किसी और से, साड़ी में तू कितनी सुंदर है।


    तेरी साड़ी महक उड़ाती है, मेरे दिल में अजीब सी बेचैनी है।


    साड़ी सिलते हुए मेरी याद आयी, क्या याद है वो पल पुराने।


    साड़ी पहनकर सजी हुई, मेरी प्रेमिका लग रही है गुलाब की तरह।


    अनगिनत खूबियों से भरी, साड़ी की तरह तू है मेरी जान।


    वो साड़ी ओढ़ कर जब निकली, हर तरफ फैल गयी खुशबू।


    भारत की संस्कृति का प्रतीक है, सुहाग की शोभा है साड़ी।


    कस के बांहों में भरना है, ओ साड़ी वाली तुम्हें अब तो।


    मेरी प्यारी का चेहरा चाँद सा, साड़ी में वो कितनी सुंदर है।


    तेरे होंठो पे मेरा नाम लिखा है, ओ साड़ी वाली तू कहाँ से आयी।


    इश्क़ की हो तुम पहली किताब, मुझे रंगीन सपने दिखाती हो साड़ी।


    मेरा प्यार है तू, कसम से मेरी, ये कह कर हाथ थाम ले ना।


    आज की रात तुम मेरे साथ रहोगी न, ओ साड़ी वाली ख़ूबसूरत लड़की।


    धड़कनों की ताल पर नाचती है, वो साड़ी वाली खूबसूरत लड़की।


    अब तक तो दुनिया में कयामत न आयी, साड़ी ओढ़ तुमने पहली बार आज क्यूँ पहनी।


    बिन साड़ी के भी तू कितनी सुंदर है, साड़ी में तो और भी खूबसूरत लगती है।


    कभी पीली तो कभी लाल, हर रंग की साड़ी तुझ पर अच्छी लगती है।


    आँखों में तेरी, खो गया हूँ मैं, सारी दुनिया से मैंने मोहब्बत कर ली।


    साड़ी का पल्लू लहराती, लड़की है जैसे नदी की लहरें।


    साड़ी में तेरी अदाएं देख, दीवाना सा हो गया हूँ मैं तेरा।


    भारतीय संस्कृति की पहचान है, भारत की बेटी की शान है साड़ी।


    तेरी आँखों में खोया हूँ मैं, ओ मेरी साड़ी वाली रानी।


    लहराती हुई साड़ी देख, दिल दे बैठा है तुझे।


    लाल साड़ी है तेरे अंग पर, मानो चोली में सजी हो तू मोहब्बत की रानी।


    मचलती तेरी पल्लू साड़ी में चाँद तारो की तरह, लगती है दिलकश तू।


    हर मौसम में तू सजती है, मगर साड़ी में और भी प्यारी लगती है।


    मेरी तस्वीर अपनी साड़ी में छपा लेना, हर पल तेरे सामने रहूँगा मैं।


    हर रंग की साड़ी तुझ पर सुहानी लगती है, मेरी जान तू कितनी ख़ूबसूरत है।


    ओ साड़ी वाली तेरी आँखों में, मेरा दिल डूब गया है।


    साड़ियाँ सिलते-सिलते, थक गयी होगी मेरी बीवी।


    तेरा प्यार पाकर भी, हम तृप्त नहीं हैं साड़ी।


    इतनी सारी साड़ियाँ हैं मेरे पास, पर मैं तो तेरी ही पहनना चाहता हूँ।


    साड़ी के बिना तेरी खूबसूरती अधूरी है, प्यारी तू सदा सज-धज के रहना।


    छुप जाती है तेरी खूबसूरती, जब हटा लेती है तू साड़ी।


    मेरी तो सारी दुनिया है तू, तेरी एक झलक के लिए तरसता हूँ रोज।


    तुम पहनो या न पहनो साड़ी, हमारी नज़रों में तो आप ही सबसे ख़ूबसूरत हो।


    साड़ियों का जब भी ज़िक्र होगा, हमेशा तेरा नाम लिया जाएगा।


    तेरी साड़ी में लपेट कर, रखना चाहता हूँ तुझे अपने दिल के पास।


    खूबसूरती की मिसाल हो तुम, साड़ी में नज़र आते ही मन मोह लेती हो।


    साड़ी के साथ मिल जाता है, औरत की ख़ूबसूरती को नया आयाम।


    साड़ी की खूबसूरती बढ़ा देती है, एक औरत की करिश्मा कई गुना।


    तेरी साड़ी के साथ तेरा हर गहना, मुझे बेहद पसंद है जान।


    मेरी प्यारी कितनी सुंदर है, साड़ी में लगती परी की तरह।


    साड़ी सिलते-सिलते थक गयी होगी, मगर खूबसूरत बन के आयी हो।


    साड़ी का टुकड़ा लेकर, साथ में रखता हूँ हर पल।


    फिर मिली तुझसे आज हमें, तेरी साड़ी के रंग ने मोह लिया।


    तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो, सज-धज कर आना शादी में।


    देख के लोग तुझे तारिफ़ करते हैं, मुझे नाज़ है तुझ पर साड़ी।


    साड़ी तेरे होंठों की तरह है, मुझसे दूर रह ही नहीं सकती।


    तेरी साड़ी को सहलाने का मन करता है, आजा प्यारी एक बार फिर से।


    खुशबू तेरी साड़ी की, मुझे सदा बेचैन कर देती है।


    निष्कर्ष

    साड़ी की समयपरीक्षित लोकप्रियता और सुंदर शायरी रचने की क्षमता इसे एक सांस्कृतिक खजाना बनाती है। महिलाओं की शक्ति और अनुग्रह का प्रतीक साड़ी को सिर्फ एक वस्त्र के रूप में नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सराहना की जानी चाहिए।

    मैंने आपके द्वारा दिए गए आउटलाइन के अनुसार अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुसार लेख का निर्माण किया है। यदि आपको कहीं सुधार या परिमार्जन की आवश्यकता हो तो मुझे जरूर बताएँ।

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    Welcome to our blog! My name is Yuvraj Kore, and I am a blogger who has been exploring the world of blogging since 2017. It all started back in 2014 when I attended a digital marketing program at college and learned about the intriguing world of blogging.

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