Bhagawad Gita Quotes {Life Lessons} by Krishna in Hindi

आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ, न मध्य, न अंत दिखाई दे रहा है।

आपके सार्वलौकिक रूप का मुझे न प्रारंभ, न मध्य, न अंत दिखाई दे रहा है।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, अपने कार्य करते रहो।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, अपने कार्य करते रहो।

जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।

जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।

जो भी नए कर्म और उनके संस्कार बनते है वह सब केवल मनुष्य जन्म में ही बनते है, पशु पक्षी आदि योनियों में नहीं, क्यों की वह योनियां कर्मफल भोगने के लिए ही मिलती हैं।

जो भी नए कर्म और उनके संस्कार बनते है वह सब केवल मनुष्य जन्म में ही बनते है, पशु पक्षी आदि योनियों में नहीं, क्यों की वह योनियां कर्मफल भोगने के लिए ही मिलती हैं।

जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है उसी के अनुसार ईश्वर उसे फल देते हैं। कंस ने श्रीकृष्ण को सदैव मृत्यु के लिए स्मरण किया तो श्रीकृष्ण ने भी कंस को मृत्यु प्रदान की। अतः परमात्मा को उसी रूप में स्मरण करना चाहिए जिस रूप में मानव उन्हें पाना चाहता है।

जो मनुष्य जिस प्रकार से ईश्वर का स्मरण करता है उसी के अनुसार ईश्वर उसे फल देते हैं। कंस ने श्रीकृष्ण को सदैव मृत्यु के लिए स्मरण किया तो श्रीकृष्ण ने भी कंस को मृत्यु प्रदान की। अतः परमात्मा को उसी रूप में स्मरण करना चाहिए जिस रूप में मानव उन्हें पाना चाहता है।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।

वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।

वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।

दम्भ, अहंकार, घमंड, क्रोध, अज्ञान, ये आसुरी सम्प्रदा के लक्षण है।

दम्भ, अहंकार, घमंड, क्रोध, अज्ञान, ये आसुरी सम्प्रदा के लक्षण है।

कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये।

कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये।

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