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कभी मतलब के लिए तो कभी बस दिल्लगी के लिए हर कोई मुहब्बत ढूंढ रहा है।
कैसे करू भरोसा गैरो के प्यार पर अपने ही मजा लेते अपनो की हार पर।
मज़बूत होने में मज़ा ही तब है जब सारी दुनिया कमज़ोर कर देने पर तुली हो।
मसला यह भी है इस ज़ालिम दुनिया का कोई अगर अच्छा भी है तो वो अच्छा क्यों है…
आज गुमनाम हूँ तो ज़रा फासला रख मुझसे कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता निकाल लेना।
देख के दुनिया अब हम भी बदलेंगे मिजाज़ रिश्ता सब से होगा लेकिन वास्ता किसी से नहीं।
मेरी तारीफ करे या मुझे बदनाम करे जिसे जो बात करनी है सर ए आम करे।
दिल धोखे में है और धोखेबाज दिल में।
मेरे अकेले रहने की एक वजह ये भी है कि मुझे झूठे और धोखेबाज लोगों से रिश्ता तोड़ने में देर नहीं लगती।
शायरी करने के लिये कुछ खास नही चाहिये। बस एक यार चाहिये वो भी मतलबी चाहिये।
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