
मुझे रुला कर सोना तो तेरी आदत बन गई है,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली, तुझे निंद से नफरत हो जायेगी।

तू जहाँ भी रहे वहाँ मेरी दुआओं की छाँव हो,
वो शहर हो फिर चाहे गाँव हो,
तेरी आँखों में कभी कोई गम ना हो,
बस यही दुआ है हमारी कि तेरी खुशियां कभी कम ना हो।

बहक जाती है नींद आखिर क्यों उनकी याद में,
कुछ तो राज़ ज़रुर है इन काली काली रात में।

रात में कोई याद आता हैं, तारो में कोई खो जाता हैं,
ख़्वाबों में कोई बह जाता हैं, आप भी इंजॉय करो अपने हिसाब से।

हर रास्ता एक सफर चाहता है, हर मुसाफिर एक हमसफ़र चाहता है,
जैसे चाहती है चांदनी चाँद को, कोई है जो आपको इस कदर चाहता है।
Good Night!
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