
सामने ना हो तो तरसती हैं आँखें, याद में तेरी बरसती हैं आँखें, मेरे लिए ना सही, इनके लिए ही आ जाया करो, तुमसे बेपनाह मोहब्बत करती हैं ये आँखें।

ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ नहीं हूँ मगर इतना बताता हूँ, वो आँखें तुझसे ज़्यादा गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूँ।

ज़रा संभालके मोहतरमा, माना कि आपने पलके झुका ली, तो मोहब्बत होगी लेकिन कही हमने आँखे मिला ली तो क़य़ामत होगी।